70 के करीब दुर्गा समितियां हैं राजधानी में

2 से 3 लाख रुपए खर्च होते हैं एक सामान्य पंडाल और आयोजन में

15 लाख से अधिक लोग देखने आते हैं दुर्गा पूजा

- दुर्गा पूजा का आयोजन कराने वाली समितियां बोलीं, मानेंगे सरकार का निर्णय

- सशर्त दुर्गा पूजा आयोजन की मिले मंजूरी, आयोजन न होने से लोगों में निराशा

LUCKNOW: कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक दुर्गा पूजा पर भी रोक लगा दी है। ऐसे में इस बार न तो भव्य दुर्गा पंडाल सजेंगे और ना ही किसी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन राजधानी में किया जाएगा। यही नहीं सिंदूर खेला का आयोजन भी नहीं होगा। सरकार के इस निर्णय से दुर्गा समितियों के पदाधिकारी निराश तो हैं लेकिन वे कोरोना को देखते हुए सरकार के हर फैसले का साथ देने को पूरी तरह तैयार हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि वे सरकार से दुर्गा पूजा के आयोजन को लेकर कुछ छूट चाहते हैं ताकि दशकों पुरानी यह परंपरा इस बार टूटने न पाए। आइए जानते हैं, क्या कह रहे हैं दुर्गा पूजा समितियों के सदस्य

नौवीं के दिन घट और कलश पूजा

हम सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करेंगे। उम्मीद है गाइडलाइन जल्द आ जाएगी। अभी जो योजना है उसके अनुसार नौवीं वाले दिन घट और कलश पूजा की जाएगी। पंडाल नहीं बनेगा और ना ही भोग और प्रसाद वितरित किया जाएगा। सिंदूर खेला का भी आयोजन नहीं होगा। ढाकिया भी इस बार नहीं बुलाए जाएंगे। हमने तय किया है कि समिति के लोग आपसी सहयोग से कोरोना प्रभावित लोगों की मदद करेंगे।

तुहिन बनर्जी, सदस्य, ट्रांस गोमती दशहरा एवं दुर्गा पूजा समिति, चंद्र शेखर आजाद पार्क, अलीगंज

100 लोगों को आने की मिले अनुमति

इस बार मूर्ति स्थापित नहीं होगी इसलिए कलश स्थापना करने का विचार चल रहा है। कोरोना को देखते हुए इस बार पंडाल नहीं बनाया जा रहा है और ना ही कोई फंक्शन होगा। हम सरकार के फैसले के साथ हैं। हालांकि हमारा मानना है कि जब एक तरह से सब कुछ खुल गया है तो कम से कम सौ लोगों के साथ दुर्गा पूजा के पहले की तरह आयोजन की अनुमति मिलनी चाहिए। सरकार मंजूरी दे तो हम इसे आसानी से मैनेज भी कर लेंगे। हम फाइनल गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं, उसी के अनुसार काम किया जाएगा।

अरुन बनर्जी, अध्यक्ष बंगाली क्लब

घर पर ही पूजा का विचार

इस बार सार्वजनिक दुर्गा पूजा नहीं होगी और कोई आयोजन नहीं होंगे। हम लोग तो घर पर ही मां की पूजा करने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है। दुर्गा पूजा का आयोजन एक साल करने पर उसे लगातार तीन साल करना होता है, इससे लोगों में निराशा भी है। बाकी सरकार का जो भी आदेश होगा, हम सब उसका पूरी तरह पालन करेंगे। मां दुर्गा से यही प्रार्थना करेंगे कि वह जल्द इस कोरोना रूपी संकट का निदान करे।

सौरभ बंदोपाध्याय, अध्यक्ष, सद्भावना सांस्कृतिक समिति, सहारा एस्टेट

मंदिर में होगी छोटी प्रतिमा की स्थापना

हम सभी लोग फाइनल गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं। समिति का एक मंदिर है, वहीं इस बार दुर्गा प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाएगी। मां की पूजा के दौरान सिर्फ समिति के लोग ही शामिल हो सकेंगे। किसी भी बाहरी व्यक्ति को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। दशहरा वाले दिन सिंदूर खेला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सिर्फ समिति की महिला सदस्य ही शामिल होंगी। कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम, प्रसाद, भोग वितरण आदि कुछ नहीं होगा। समिति के लोगों को भी सिर्फ सूखा प्रसाद ही दिया जाएगा।

निहार रंजन डे, मीडिया प्रभारी, कंटोनमेंट पूजा एवं सेवा पूजा समिति

रामलीला की तरह मिले मंजूरी

सरकार से यही अपील है कि हमें सशर्त दुर्गा पूजा करने की अनुमति दी जाए। राजधानी की सभी दुर्गा पूजा समितियों को एक साथ बैठकर निर्णय लेना होगा कि क्या करना है और क्या नहीं। यह तय कर लिया गया है कि न तो पंडाल बनाया जाएगा और ना ही मां की प्रतिमा की स्थापना होगी और ना ही किसी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। हमारा सरकार से यही कहना है कि अगर सशर्त रामलीला के आयोजन की मंजूरी दी जा सकती है तो फिर दुर्गा पूजा के आयोजन को मंजूरी क्यों नहीं दी जा सकती है।

केके घोषाल, जनरल सेक्रेटरी, दुर्गा समिति, आनंद नगर

Posted By: Inextlive