- टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को पर्यटकों के जल्द आने की उम्मीद

- पर्यटकों के आने से फिर चमकेगी चिकन, ट्रैवेल और होटल इंडस्ट्री

LUCKNOW: जिन शहरों में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व की धरोहरें होती हैं, वहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इन शहरों की अर्थव्यवस्था में टूरिज्म इंडस्ट्री का अहम रोल रहता है। हजारों की संख्या में लोगों को इस इंडस्ट्री से रोजगार मिलता है। अपनी नवाबी नगरी में बहुत सी ऐसी इमारतें हैं जो पूरी दुनिया में अपना महत्व रखती हैं और हर साल देश ही नहीं, विदेश से भी लोग इन्हें देखने आते हैं। कोरोना संक्रमण का वैसे तो सभी इंडस्ट्री पर नकारात्मक असर पड़ा है लेकिन टूरिज्म इंडस्ट्री की कमर इस संक्रमण ने तोड़ दी है। हालांकि अब यहां की ऐतिहासिक इमारतें आदि खोल दी गई हैं। जिससे इस इंडस्ट्री के लोगों को उम्मीद है कि उनके भी अच्छे दिन जल्द आ जाएंगे

ट्रैवल एजेंसी

अभी सिर्फ 10 फीसद काम

ट्रैवल एजेंसी से जुड़े लोगों ने बताया कि अब लोग फोन कर लखनऊ की घूमने वाली जगहों, होटलों आदि की जानकारी करने लगे हैं। लॉकडाउन से इस इंडस्ट्री को बहुत नुकसान हुआ है। देखना होगा कि अगले तीन माह में इस इंडस्ट्री में कितना सुधार होता है। वहीं एक अन्य ट्रैवल कंपनी के ओनर इमरान खान ने बताया कि लोकल टूरिज्म में अभी सिर्फ 10 फीसद ही काम हो रहा है। उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले समय बेहतर होगा।

कोट

कोरोना वायरस को देखते हुए लिए गए लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर अगर किसी इंडस्ट्री पर पड़ा है तो वह टूर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री ही है। छह माह तक तो यहां कोई भी काम नहीं हुआ। अब जो हालात बन रहे हैं, उसे देखते हुए उम्मीद जगी है कि धीरे-धीरे सब सुधरने लगेगा।

अभिषेक, ट्रैवल एजेंसी ओनर

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होटल इंडस्ट्री

अभी पूरी तरह नहीं खुले होटल

यूपी होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी गिरीश ओबेराय ने बताया कि प्रदेश स्तर पर होटलों की सिर्फ 10 से 15 फीसद बुकिंग हो रही है। लखनऊ में अब 65 से 70 फीसद होटल और रेस्टोरेंट खुल चुके हैं, हालांकि लोग बहुत कम आ रहे हैं। छुट्टी मनाने वाले अभी नहीं आ रहे हैं। अगस्त और सितंबर माह टूरिज्म के लिए बेहतर माना जाता था, जो ऐसे ही निकल गया। हम उम्मीद कर सकते हैं कि अक्टूबर में होटलों की बुकिंग में कुछ तेजी जरूर आएगी।

कोट

राजधानी में करीब 70 फीसद होटल खुले तो हैं लेकिन इस बिजनेस में अब पहले जैसी बात नहीं रही है। अब इमामबाड़ा खोल दिया गया है। धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर आ रही है। उम्मीद तो यही है कि अक्टूबर के बाद इस इंडस्ट्री में कुछ बेहतर नतीजे दिखाई देंगे।

गिरीश ओबेरॉय, जनरल सेक्रेट्री, यूपी होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन

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चिकन इंडस्ट्री

तीन सौ करोड़ का कारोबार बेकार

राजधानी आने वाले पर्यटक चिकन के कपड़े न खरीदें, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन और अब ट्रेनों के पूरी तरह से न चलने से पर्यटक अभी राजधानी नहीं आ रहे हैं। इसका सीधा असर यहां की चिकन इंडस्ट्री पर साफ दिखाई दे रहा है। इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने बताया कि शहर में हर साल तीन सौ करोड़ से अधिक का कारोबार होता है। इस बार पीक सीजन तो करोना में ही चला गया। पर्यटक अभी राजधानी नहीं आ रहे हैं। छह माह से चिकन इंडस्ट्री ठप पड़ी है और इससे जुड़े करीब पांच लाख लोग किसी तरह अपना घर चला रहे हैं। इमामबाड़ा आदि के खुलने से धीरे-धीरे पर्यटक यहां आना शुरू होंगे और चिकन इंडस्ट्री फिर अपनी रंगत बिखेरने लगेगी। हालांकि इसमें कुछ समय जरूर लगेगा।

कोट

लॉकडाउन के बाद अनलॉक भले हो गया लेकिन चिकन कारोबार अभी लॉक ही है। हमारी सरकार से अपील है कि वह चिकन कारोबारियों को जीएसटी के साथ बिजली के बिल और अन्य टैक्स में छूट दे ताकि आने वाले कुछ माह में यह इंडस्ट्री फिर से रफ्तार पकड़ सके।

सुरेश छाबलानी, चिकन कारोबारी

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गाइड और तांगे वाले

चेहरे पर आई हल्की मुस्कान

पर्यटन स्थल बंद होने से गाइड और तांगे वालों की जिंदगी भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। छह माह तक इन लोगों की इनकम पूरी तरह से बंद रही। अब इमामबाड़ा खुल गया है और गाइडों की इनकम शुरू हो गई है। वहीं इमामबाड़ा के बाहर से पर्यटकों को पुराना लखनऊ घुमाने वाले तांगे वालों को भी कुछ काम मिलने लगा है। गाइड हों या तांगे वाले सभी इस उम्मीद में हैं कि जैसे ही सभी ट्रेनें फिर से पटरी पर आएंगी और कोरोना का असर कम होगा। बड़ी संख्या में पर्यटक राजधानी आने लगेंगे और उनकी रोजी-रोटी पहले की तरह चलने लगेगी।

कोट

बाहर से राजधानी आने वाले पर्यटक बिना गाइड के इमामबाड़ा नहीं घूमते हैं। साढ़े छह माह के करीब इमामबाड़ा बंद रहा, ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल हो गया था। अब इमामबाड़ा खुल गया है। जैसे-जैसे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, हमारे मुफलिसी के दिन खत्म हो जाएंगे।

ताजदार हुसैन, गाइड

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फूड इंडस्ट्री

जायका भी पकड़ेगा रफ्तार

अवध के नॉनवेज का स्वाद भी पर्यटकों को खूब भाता है। कोरोना काल में यह स्वाद भी फीका हो गया है। मशहूर टुंडे कबाब, इदरिश बिरयानी जैसी फेमस दुकानों का कारोबार आधे से भी कम पर सिमट गया है। नॉनवेज का बिजनेस शुरू तो हो गया है लेकिन अभी इसमें तेजी नहीं आई है। इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि इस साल तो छह माह बेगारी में ही गुजर गए हैं। अगर कोरोना का असर कम होता है और पर्यटक एक बार फिर राजधानी की ओर रुख करते हैं तो अगले कुछ माह में उनका धंधा फिर से रंगत बिखेरने लगेगा।

कोट

छह माह बाद कारोबार शुरू तो हुआ है लेकिन रफ्तार काफी सुस्त है। न तो स्थानीय लोग नॉनवेज खाने या पैक कराने आ रहे हैं और ना ही पर्यटक आ रहे हैं। धंधा पहले की तुलना में पचास फीसद से भी कम रह गया है।

अबु बकर, इदरीश बिरयानी

अभी इस इंडस्ट्री में कोई सुधार नहीं हुआ है। स्थानीय निवासियों ने भी दूरी बना रखी है। पर्यटक भी सिर्फ दस फीसद के करीब ही आ रहे हैं। हम तो बस उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाला कल कुछ बेहतर होगा।

इमरान खान, खान ग्रुप

Posted By: Inextlive