इंटरनेट पर सबसे ज्यादा पोर्न साइट्स सर्च की जाती हैं। सबसे ज्यादा टीनएजर्स होते हैं जो इंटरनेट पर पोर्न सर्च करते हैं। वे नेटफ्लिक्स एमेजॉन और अन्य सोशल मीडिया कम देखते हैं सबसे ज्यादा पोर्न को समय देते हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। सोशल मीडिया आज के वक्त में बच्चों से लेकर बड़ों तक का शौक और जरूरत बन गया है। एक तरफ जहां इसके कई फायदे हैं, तो बहुत से नुकसान भी हैं। लखनऊ में पिछले दिनों कोरोना के चलते चलने वाली ऑनलाइन क्लासेस में कई बार स्कूल, कॉलेज स्तर पर ग्रुप में पोर्न फिल्म डालने कई शिकायतें सामने आईं। वर्तमान में टीनएजर्स में पोर्नोग्राफी की लत बढ़ रही है। बैन होने के बाद भी वे वीपीएन व अन्य सोशल मीडिया साइट्स की मदद से पोर्न वीडियो क्लिप देख रहे हैैं।केस एकऑनलाइन क्लास ग्रुप में डाला पोर्न वीडियो


निशातगंज में रहने वाले 9वीं क्लास के एक स्टूडेंट ने ऑनलाइन क्लास के दौरान पोर्न वीडियो ग्रुप में डाल दिया। इसकी शिकायत प्रिंसिपल ने साइबर क्राइम सेल से की थी। छानबीन में पता चला कि स्टूडेंट मोबाइल पर पोर्न फिल्म देखने के साथ उसे स्टोर करके रखता था। क्लिप (धोखे से) ग्रुप में चली गई।केस दोबेटे के लिए बंद किया फेसबुक

आलमबाग में रहने वाले एक बिजनेसमैन अपने फेसबुक पर अक्सर वीडियो देखते थे, जिसमें कई बार अडल्ट कंटेंट वाली मूवी के सीन्स आते थे। कुछ दिन बाद उन्होंने देखा कि उनका बेटा भी उनके मोबाइल पर वे सीन्स देख रहा है, जिसके बाद उन्होंने फेसबुक ब्लॉक कर दिया।टीनएजर्स में बढ़ रही पोर्नोग्राफी की लतइंटरनेट पर सबसे ज्यादा पोर्न साइट्स सर्च की जाती हैं। कई रिपोट्र्स के मुताबिक, सबसे ज्यादा टीनएजर्स होते हैं जो इंटरनेट पर पोर्न सर्च करते हैं। वे नेटफ्लिक्स, एमेजॉन और अन्य सोशल मीडिया कम देखते हैं, सबसे ज्यादा पोर्न को समय देते हैं।पोर्न के लिए आइसोलेट करते हैं टीनएजर्समोबाइल पर बच्चे अकेले समय बिताएं तो पैरेंट्स को होशियार हो जाना चाहिए। इसका सबसे बड़ा प्रभाव आइसोलेशन माना जाता है। अधिकतर बच्चे जब ऐसा कंटेंट देखने लगते हैं तो वे अकेलापन चाहते हैं और जो किशोर नियमित रूप से पोर्नोग्राफी देखते हैं, उनमें जैंडर रोल, सेक्स और सैक्सुअल परफोरमेंस के बारे में अस्वस्थ विचार विकसित हो सकते हैं।नहीं है ऐज वैरीफिकेशन सिस्टम

ब्रिटेन में पोर्न वेबसाइट एक्सेस करने से पहले लोगों को यह साबित करना होता है कि उनकी उम्र 18 साल है। नियम के मुताबिक, पोर्न वेबसाइट विजिट करने वाले लोगों को अप्रैल 2018 से अपनी उम्र का सबूत देना होता है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि बच्चों के लिए इंटरनेट को सुरक्षित बनाया जा सके। इसके लिए गैंबलिंग वेबसाइट्स की तर्ज पर यूजर्स से क्रेडिट कार्ड डीटेल मांगा जा सकता है। भारत में ऐसी वेबसाइट्स पर वेरिफिकेशन सिस्टम होता है, पर उसे आसानी से गलत जानकारी देकर धोखा दिया जा सकता है। साइबर एक्सपर्ट मानवेंद्र सिंह के अनुसार, भारत में यह संभव नहीं है। इसके पीछे कई बुनियादी चुनौतियां हैं।क्यों नहीं हो पा रहा सिस्टम लागू?मानवेंद्र सिंह ने बताया कि इंडिया में कोई कॉमन नेशनल सिक्योरिटी सिस्टम नहीं है। भारत में हर आदमी के पास क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड नहीं है। ऐसे में जो लोग 18 साल से ऊपर हैं और इन वेबसाइट का इस्तेमाल करना चाहते हैं, वे नहीं कर पाएंगे। विकल्पों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि आधार को वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसके खतरे अलग हैं। आधार से वैरीफिकेशन सेंसिटिव हो सकता है। बायोमिट्रिक डेटा लीक हो सकता है। देश के अंदर ही आधार डेटा लीक के इतने मामले हो रहे हैं। विदेश में जाने से खतरा और बढ़ जाएगा।बच्चे के विकास में आती है बाधा
यूके की नेशनल सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू चिल्ड्रेन की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन पोर्नोग्राफी बच्चे के विकास में बाधा बन सकती है और उसकी निर्णय लेने की क्षमता पर भी असर डालती है। रिपोर्ट के मुताबिक, 15 से 16 साल की उम्र के 65 फीसदी और 11 से 16 साल की उम्र की 48 फीसदी बच्चे ऑनलाइन पोर्न की वजह से प्रभावित हैं। अध्ययन में पता चला कि 28 फीसदी बच्चों को इंटरनेट पर ब्राउजिंग के समय पोर्न साइट्स के लिंक मिले, जबकि 19 फीसदी बच्चों ने सीधे सर्च करके पोर्न देखा।सोशल मीडिया पर पोर्न वीडियोज का जालसाइबर एक्सपर्ट अमित तिवारी के मुताबिक, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में डाली जाने वाली वीडियो तब तक वायरल होती रहती है, जब तक उसके खिलाफ रिपोर्ट न किया जाए। अगर आपको फेसबुक में किसी भी वीडियो या फोटो को न देखना हो तो इसके लिए रिपोर्ट करना होगा।पोर्न को लेकर नियम कानून
पोर्न बनाने, बेचने, शेयर करने, इसके प्रदर्शन आदि पर बैन है। इसके बावजूद भारत दुनिया का तीसरा सबसे अधिक पोर्न देखने वाला देश है। 2017 से 2018 के बीच भारत में पोर्न देखने की दर में 75 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी। छोटे शहरों के लोग काफी अधिक संख्या में इसे देख रहे हैं। 2018 में भारत सरकार ने करीब 857 पोर्न वेबसाइटों पर बैन लगा दिया था। ऐसा पहले भी किया गया है, लेकिन इसका कोई खास प्रभाव कभी पड़ा। ये वेबसाइट्स नए-नए डोमेन लेकर भारतीय बाजार में आ जाती हैं। अब तो ऐप्स के जरिए वॉट्सऐप के जरिए, टेलीग्राम के जरिए कई तरीकों से यूजर इनको देख रहा है। भारतीय सर्वर की जगह विदेशी सर्वर पर वीडियो देख लिए जाते हैं।857 पोर्न वेबसाइट्स को किया गया बैनहाइकोर्ट के आदेश को मानते हुए सरकार ने 857 पोर्न वेबसाइट्स को यह कहते हुए बैन किया था कि उनके कंटेंट अनैतिक और अश्लील हैं। इसके बाद डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशंस ने देश के प्रमुख इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को पत्र लिखकर इन वेबसाइट्स के एक्सेस को बंद करने का निर्देश दिया था। पत्र में कहा गया था कि पोर्न वेबसाइट्स के कंटेंट संविधान के आर्टिकल 19(2) के अनुसार अनैतिक और अश्लील है।बैन के बाद वीपीएन के जरिए डाउनलोडमोबाइल में वीपीएन ऐप्स को डाउनलोड कर बैन की गई पोर्न वेबसाइट्स को ऐक्सेस करने के मामले में इजाफा हुआ है। वीपीएन के जरिए पोर्न वेबसाइट को ऐक्से करने वालों की संख्या देश में 5 करोड़ 70 लाख तक पहुंच गई। ये आंकड़े लंदन की एक वीपीएन रिव्यू फर्म ने जारी किए हैं। आंकड़े अक्टूबर 2018 से अक्टूबर 2019 के बीच डाउनलोड किए गए वीपीएन मोबाइल ऐप पर आधारित हैं। अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच मोबाइल वीपीएन डाउनलोड का औसत बढ़कर प्रतिमाह 66 फीसदी हो गया था।फ्री वीपीएन ऐप करते हैं यूजरिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ज्यादातर वीपीएन सर्विसेज फ्री हैं। ये यूजर्स के डेटा को बेचकर पैसे कमाती हैं। देश में 1 करोड़ 10 लाख यूजर फ्री टर्बो वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं। वहीं 70 लाख यूजर सोलो वीपीएन और हॉटस्पॉट शील्ड फ्री को पसंद करते हैं। पेड सर्विस की बात करें तो इसमें 1 करोड़ 80 लाख यूजर्स के साथ एक्सप्रेस वीपीएन टॉप पर रहा।कैसे रखे बच्चों को पोर्न से दूर-अगर आप बच्चे को मोबाइल दे रहे हैं तो उसमें इंटरनेट न दें।-घर में वाई-फाई है तो बेहतर होगा कि आप इंटरनेट को पासवर्ड प्रोटेक्टेड रखें और बच्चे को पासवर्ड न बताएं।-किशोर अगर पोर्न साइट्स देखता है तो आप उसका फोकस चेंज कर दें, यानी उसको दूसरे कामों में लगाएं। उसके साथ खेलें, बातें करें, रिसर्च और नई तकनीकों के बारे में बात करें।-बच्चों के टीचर और स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन से बात करें और स्कूल में सेक्स एजुकेशन दिए जाने पर जोर दें।पोर्न से बच्चों में होने वाले प्रभाव-बहुत ज्यादा पोर्न फिल्म देखने का हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। पोर्न फिल्म देखने के दौरान जहां मूड बूस्टिंग हॉर्मोन का स्त्रावण बढ़ जाता है, वहीं दिमाग पर इसका बुरा असर होता है।-एक स्टडी में कहा गया है कि पोर्न फिल्म देखने से दिमाग में गलत चीजें जन्म लेने लगती हैं, जो अपराध की तरफ ले जाती है।-पोर्न देखने का सबसे बड़ा नुकसान मस्तिष्क पर पड़ता है। व्यक्ति धीरे-धीरे अकेलेपन का शिकार होने लगता है और धीरे-धीरे मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है। एक रिसर्च केमुताबिक, पोर्न मूवी से टीनएजर्स की जीवनशैली पर असर पड़ रहा है।-एक रिसर्च में पाया गया है कि जो व्यक्ति ज्यादा पोर्न देखते हैं, उनका दिमाग सिकुड़ जाता है। अगर व्यक्ति के दिमाग का स्ट्रेटम छोटा है तो उसे ओर भी नुकसान हो सकता है।-पोर्न देखने से सेक्स को लेकर विकृत नजरिया बन जाता है, जो समाज में रेप जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेवार बनता है।आज सोशल मीडिया समाज पर हावी होता जा रहा है। बच्चे भी इससे अछूते नहीं है। बच्चे इससे जुड़कर एक नया संसार देखते हैं और उस ओर आकर्षित होते हैं। अमेरिका में जो 20-25 साल पहले होता था, वह भारत में आज हो रहा है। सोशल मीडिया साइट्स से कहीं न कहीं सामाजिक प्रक्रिया में शिथिलता आई है। इससे बच्चों के भटकने की आशंका बढ़ गई है। नाबालिगों को भटकाने के तरीके पहले भी थे, लेकिन इतने विकल्प नहीं थे, जितने आज हैं। यह आने वाले समय में और बढ़ेगा। आज अधिकतर बच्चों के पास मोबाइल है और पेरेंट्स उनकी ठीक से मानीटरिंग नहीं कर रहे हैं, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।-डॉ। देवाशीष शुक्ला, मनोचिकित्सक

Posted By: Inextlive