पिछले सत्र के लिए तीन चरणों में पूरी हुई आवेदन प्रक्रिया के तहत 12 हजार 770 बच्चों का चयन किया गया था। पर इसमें 50 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनको अभी तक स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल सका है।


लखनऊ (ब्यूरो)। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत सत्र 2021-22 के लिए चयनित हुए करीब 50 प्रतिशत बच्चों को निशुल्क प्रवेश नहीं मिल सका था। इन बच्चों की पढ़ाई पूरे साल प्रभावित रही थी। अब जब सत्र 2022-23 के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है, तो एक बार फिर अभिभावक शिक्षा विभाग के चक्कर लगाते हुए यह जानकारी ले रहे हैं कि उनके बच्चे को पुराने आवेदन पर ही प्रवेश मिलेगा या नया आवेदन करना पड़ेगा। बता दें कि पिछले सत्र के लिए तीन चरणों में पूरी हुई आवेदन प्रक्रिया के तहत 12 हजार 770 बच्चों का चयन किया गया था। पर इसमें 50 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनको अभी तक स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल सका है। अधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में निजी स्कूल खुल नहीं रहे थे, जिससे एडमिशन पूरे नहीं हो सके।तीन सालों से नहीं मिला बजट
वहीं, निजी स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि निशुल्क प्रवेश लेने वाले बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति का पैसा सरकार से हर साल मिलना चाहिए, जो पिछले तीन सालों से नहीं मिल पाया है। अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि इस सत्र में वह एक भी बच्चे का प्रवेश आरटीई के तहत नहीं लेंगे। अगर सरकार समय से फीस प्रतिपूर्ति का पैसा दे तो दिक्कत नहीं होगी।हर कीमत पर होगा एडमिशनबेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने बताया कि चयनित बच्चों का एडमिशन निजी स्कूलों में हर कीमत पर कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल पहले चरण में जिन बच्चों ने आवेदन किए थे उनको स्कूल में प्रवेश मिल गया है, वहीं काफी संख्या में ऐसे भी बच्चे थे जिन्होंने दूसरे चरण की आवेदन प्रक्रिया के दौरान दूसरी कक्षा के लिए भी आवेदन कर दिया, इस स्थिति में प्रवेश मिलने में भी देरी हुई है।

Posted By: Inextlive