चुनौतियों का डटकर किया सामना खुद को बनाया आत्मनिर्भर
- लॉकडाउन के दौरान घर की आर्थिक स्थिति हो गई थी खराब
- ट्यूशन व कार्यक्रमों में एंकरिंग करके परिवार को संभाला LUCKNOW लॉकडाउन के दौरान घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। हर तरफ से चुनौतियों ने घेर लिया लेकिन एमसीए स्टूडेंट अंतरा बाजपेई (20) ने हार नहीं मानी और विषम परिस्थितियों को सामना करते हुए खुद को आत्मनिर्भर बनाया और परिवार का सहारा बनीं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से अपनी संघर्ष की कहानी को खुद बयां किया अंतरा ने दूसरे माह से स्थिति खराबमैं मूलरूप से रायबरेली और वर्तमान में लखनऊ के रजनीखंड एरिया में किराये के मकान में रहती हूं। लॉकडाउन के दूसरे महीने से ही घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी। जिसकी वजह से परेशानियों का पहाड़ परिवार पर टूट पड़ा था। समझ नहीं आ रहा था कि आर्थिक स्थिति को फिर कैसे पटरी पर लाया जाए। इसके लिए रोजाना नई-नई प्लॉनिंग पर होमवर्क करना शुरू किया।
लौटना पड़ा घर जब कहीं से कमाई का जरिया नहीं मिला तो रायबरेली स्थिति अपने घर लौटना पड़ा, जिससे पढ़ाई भी प्रभावित हुई। अब एक तरफ अपने करियर की चिंता थी तो दूसरी तरफ पैसों की तंगी से भी छुटकारा पाना था। एंकरिंग की ओर बढ़ाए कदमलॉकडाउन के दौरान ही मेरी एक फ्रेंड अंशिका ने मेरी मुलाकात स्त्री वेलफेयर फाउंडेशन की हेड नीलू त्रिवेदी से कराई। जिसके बाद वहीं से ही एंकरिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। चूंकि कमाई का और कोई जरिया नहीं था तो छोटे-छोटे कार्यक्रमों में एंकरिंग की, जिसके एवज में थोड़े पैसे मिलने लगे। जिसका यूज परिवार की जरूरतों को पूरा करने में किया।
यहां मिला बड़ा ब्रेक वेलफेयर फाउंडेशन के माध्यम से एंकरिंग का पहला बड़ा ब्रेक हाल में ही आयोजित यूपी महोत्सव में मिला। इसके बाद कई अन्य प्रोग्राम में भी एंकरिंग की। जिससे अब धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति पटरी पर आने लगी है। दूसरों को दे रहीं ट्रेनिंग विषम परिस्थितियों का सामना करने के बाद मुझे अहसास हुआ कि दूसरे जरूरतमंद बच्चों को भी एंकरिंग की ट्रेनिंग दी जाए, जिससे भविष्य में उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा न हो। मैं रोज दूसरे जरूरतमंद बच्चों को एंकरिंग की ट्रेनिंग दे रही हूं। परिवार ने किया सहयोग परिवार ने हर कदम पर मेरा साथ दिया। जिसकी वजह से न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया बल्कि दूसरे बच्चों को भी उनकी मंजिल हासिल करने के लिए तैयार कर रही हूं।