मोहिबुल्लापुर निवासी नूर सिद्दीकी का कपड़े का काम है। रमजान के दौरान वह रात भर अपनी दुकान खोलते हैं ताकि अपने मोहल्ले को सहरी के लिए उठा सकें। कोई एक बार में नहीं उठता तो बार-बार उठाते हैं ताकि किसी का रोजा छूट न जाए।


लखनऊ (ब्यूरो)। रमजान के पाक महीने में शहर के कुछ युवा गरीबों के मददगार बनकर उनके लिए राशन पानी का इंतजाम कर रहे हैं। रोजे की हालत में कोई लोगों को सहरी के लिए उठा रहा है तो कोई इफ्तार के साथ राशन का भी इंतजाम कर रहा है।नूर सिद्दीकी: लोगों को सहरी के लिए उठा रहेमोहिबुल्लापुर निवासी नूर सिद्दीकी का कपड़े का काम है। रमजान के दौरान वह रात भर अपनी दुकान खोलते हैं ताकि अपने मोहल्ले को सहरी के लिए उठा सकें। कोई एक बार में नहीं उठता, तो बार-बार उठाते हैं ताकि किसी का रोजा छूट न जाए।जुहैब शेख: गरीबों को टीम के साथ बांट रहे इफ्तारी


अजीजनगर मडिय़ांव निवासी जुहैब शेख अपनी युवा टीम बनाकर रमजान में गरीब लोगों के लिए इफ्तारी का इंतजाम करते हैं। इसके अलावा वह कई साल से ईद के मौके पर ऐसे ही लोगों के लिए सेवईं, ईदी और राशन का भी इंतजाम कर रहे हैं।अब्दुल सबूर: जरूरतमंदों को पहुंचा रहे खाना

पीजीआई में काम करने वाले अब्दुल सबूर ने रमजान ड्राइव शुरू की है। इसके तहत वह जरूरतमंद लोगों को राशन उनके घर के बाहर रख दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह से जरूरतमंदों को राशन लेने में उन्हें कोई शर्मिंदगी नहीं महसूस होती।मो। अजहर हुसैन: इफ्तार का कर रहे इंतजाममो। अजहर हुसैन रूबरू फाउंडेशन चलाते हैं। फाउंडेशन के सचिव होने के नाते वह लगातार जरूरतमंदों की मदद करते रहते हैं। इस रमजान उन्होंने उन लोगों की मदद का जिम्मा उठाया है जो रोजा रखते हैं, लेकिन उनके पास इफ्तार के लिए खाने का सामान नहीं होता। ऐसे लोगों को वह खुद जाकर इफ्तार और खाने की साम्रगी दे रहे हैं।सुन्नी हेल्पलाइन के सवालसवाल: मिस्वाक का रेशा एक शख्स के हलक के नीचे चला गया। हर मुमकिन कोशिश के बाद भी न निकल सका? क्या इससे रोजा टूट जाएगा?जवाब: इससे रोजा नहीं टूटेगा।सवाल: किसी के माल पर पूरा साल गुजर गया, लेकिन अभी जकात नहीं निकाली थी कि सारा माल चोरी हो गया, तो क्या इससे जकात अदा करें।जवाब: जकात इसके जिम्मे से खत्म हो गई।सवाल: एक घर में कई लोग रहते हैं और एक शख्स का अधिकार तमाम चीजों पर है। अगर वह सब की तरफ से सदका फित्र अदा करे तो क्या उसी को सिर्फ सवाब मिलेगा?जवाब: सब को बराबर सवाब मिलेगा।

सवाल: अगर किसी गरीब को नियत के बिना कुछ दे दिया और फिर जकात की नियत कर ली तो क्या सही है?जवाब: यह इस वक्त सही होगी जब नियत के वक्त तक उस गरीब ने वह रकम खर्च न की हो। अगर खर्च कर ली तो अब जकात की नियत दुरुस्त नहीं है।सवाल: मैंने नफ्ल नमाज शुरू की। जब एक रकात हो गई तो मालूम हुआ कि कपड़ा नापाक है, फिर नमाज तोड़ दी, तो क्या इस नफ्ल नमाज का लौटाना जरूरी है?जवाब: अगर नफ्ल नमाज शुरू करने के बाद तोड़ दी है, तो उसका लौटाना जरूरी है।शिया हेल्पलाइन के सवालसवाल: रोजेदारों के लिए सहरी और नियत का आखिरी वक्त क्या होगा?जवाब: रोजेदार को सुबह अजान के वक्त का पूरा यकीन हो तो इस अजान से पहले सहरी खाई जा सकती है और नियत की जा सकती है। बेहतर है कि सुबह की आजान से पहले सहरी कर लें।सवाल: किसी को दिन में एक निश्चित वक्त पर दवाई लेना जरूरी हो तो उसके लिए रोजे का क्या हुक्म है?जवाब: रोजा रखें और हालते रोजा में समय पर दवाई लेें तो उसका रोजा बातिल होगा। उसी साल स्वस्थ हो जाता है तो रोजे की कजा करें वर्ना रोजे के बदले उसे 750 ग्राम गेहूं या आटा गरीब को देंं।
सवाल: कोई व्यक्ति रोजे कर हालत में सफर करे तो उसका क्या हुक्म है?जवाब: अगर रोजेदार 4 फरसख यानि 20 किमी से कम सफर कर रहा है तो रोजा सही होगा या रोजेदार जवाल के बाद सफर कर सकता है।सवाल: क्या खुम्स का पैसा किसी गरीब की दवाई के लिए दिया जा सकता है?जवाब: व्यक्ति मोमिन है, शरीयत को मानता है, सैयद है तो उसे खुम्स से सहम सादाद दी जा सकती है।

Posted By: Inextlive