-राजधानी में अब तक 7303 मरीज किये गए होम आइसोलेट

-3091 मरीज पूरी तरह हो चुके हैं स्वस्थ, आइसोलेट किये गए मरीजों को आवंटित किये गए सीएचसी सेंटर

LUCKNOW:राजधानी में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इनमें ऐसे भी मरीज सामने आ रहे हैं जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं दिखायी दे रहे। यानी वे एसिम्पटेमेटिक हैं। ऐसे मरीजों से दूसरों को कोरोना संक्रमण का खतरा है। लिहाजा, सरकार ने होम आइसोलेशन मॉड्यूल को बीते दिनों मंजूरी दे दी। राजधानी में यह मॉड्यूल बेहद सफल साबित हो रहा है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो पता चलता है कि बीते 20 दिनों में ऐसे 7 हजार से ज्यादा मरीजों को होम आइसोलेट किया जा चुका है। जिनमें 3 हजार से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। आइये आपको बताते हैं यह मॉड्यूल कैसे काम करता है-

पॉजिटिव मिलते ही शुरू होती है प्रक्रिया

लखनऊ में होम आइसोलेशन के नोडल ऑफिसर डॉ। एके चौधरी ने बताया कि राजधानी के किसी भी लैब में किसी भी शख्स की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उसका डाटा लैब द्वारा डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। डाटा अपलोड होते ही इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल रूम में तैनात कर्मी तुरंत उस मरीज को फोन कर उसकी स्थिति के बारे में पूछताछ करता है। इस पूछताछ में मिली जानकारी को फॉर्मेट में भरकर उसे कंट्रोल रूम की मेडिकल टीम को भेज दिया जाता है। उस मेडिकल टीम का सदस्य फिर से उस मरीज को कॉल कर उसके लक्षणों की फिर से पड़ताल करता है। अगर मरीज में कोविड के लक्षण हैं तो उसे उसकी स्थिति के मुताबिक एल-1, एल-2 या एल-3 हॉस्पिटल में एडमिट कराया जाता है। वहीं, अगर मरीज में लक्षण नहीं है और उसके पास होम आइसोलेशन के लिये जरूरी अलग कमरा व बाथरूम है तो उसे होम आइसोलेट होने की परमीशन दे दी जाती है।

अलग-अलग तरह से निगरानी

होम आइसोलेट किये गए मरीज को उसके मोबाइल पर आरोग्य सेतु एप और होम आइसोलेशन एप डाउनलोड करायी जाती है। जिसमें मरीज हर रोज अपने स्थिति व लक्षण की जानकारी भरता है। उसकी जानकारी को डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस टीम लगातार मॉनीटर करती है। वहीं, वह मरीज जिस भी सीएचसी के तहत आता है उसके मेडिकल इंचार्ज के पास उसका नाम, पता व मोबाइल नंबर भेज दिया जाता है। अगले दिन रैपिड रिस्पॉन्स टीम मरीज के घर जाती है और वहां जांच करती है कि होम आइसोलेशन प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है या नहीं। या फिर उसके घर में होम आइसोलेशन के इंतजाम हैं या नहीं। इसके साथ ही टीम मरीज को 10 दिनों तक खायी जाने वाली दवा का पैकेट भी देता है। मेडिकल इंचार्ज हर रोज शाम को मरीज की स्थिति के बारे में पूछताछ करते हैं और अगर मरीज की हालत बिगड़ रही है तो उसे तुरंत हॉस्पिटल में शिफ्ट करने का इंतजाम किया जाता है। कोई भी लक्षण न मिलने पर 10 दिनों बाद मरीज का होम आइसोलेशन पूरा मान लिया जाता है।

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परिजनों को भी दी जाती है दवा

नोडल ऑफिसर डॉ। एके चौधरी ने बताया कि मरीज को उसके पॉजिटिव होने का पता तब चलता है जब उसकी टेस्ट रिपोर्ट आती है। लेकिन, उसके पहले वह अपने परिजनों के संपर्क में ही रहता है। ऐसे में उसके परिजनों को एहतियातन आइवरमैक्सिन 12 एमजी की एक खुराक दी जाती है। ताकि, वे इसके संक्रमण से बचे रहें।

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टू-वे कम्युनिकेशन

डॉ। चौधरी ने बताया कि मेडिकल इंचार्ज मरीज से हर रोज संपर्क कर उसका हाल लेते हैं। साथ ही मरीज को उसके मेडिकल इंचार्ज का नंबर दिया जाता है। ताकि, अगर उसे किसी भी समय कोई दिक् कत महसूस हो तो वह उन्हें कॉल कर कंसल्ट कर सकता है। यह कंसल्टेशन सुबह 8 से रात 8 बजे तक उपलब्ध होता है। इसके बाद दिक् कत होने पर इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम में स्थापित हेलो डॉक्टर सेवा के नंबर 0522-3515700 पर संपर्क कर कंसल्ट कर सकता है।

फैक्ट फाइल

21 जुलाई से शुरू किया गया होम आइसोलेशन मॉड्यूल

7312 मरीज अब तक किये जा चुके हैं होम आइसोलेट

3091 मरीज अब तक हो चुके हैं स्वस्थ

4221 मरीज अब भी हैं होम आइसोलेशन में

Posted By: Inextlive