- वर्ष 1951 में बनी थी बिल्डिंग

- 20 साल से दोनों फ्लोर खाली थे

- 2 घंटे की मशक्कत के बाद मलबा हटाया

- 150 से अधिक मकान जजर्र हैं

- रिवर बैंक कॉलोनी में दो मंजिला बिल्डिंग गिरी, एक युवक की मौत

- मृतक का चाचा बाल-बाल बचा, लोगों में खासी नाराजगी

LUCKNOW काश, नगर निगम ने बिल्डिंग का मेंटीनेंस कराये जाने की फरियाद सुन ली होती तो आज एक घर का न तो चिराग बुझता और न ही एक पिता और मां की उम्मीदें टूटतीं। हादसे के बाद अब नगर निगम एक्शन मोड में आ गया है और आनन-फानन में जांच शुरू कर दी गई है।

दो मंजिला बिल्डिंग गिरी

नगर निगम की रिवर बैंक कॉलोनी में गोमती सदन नाम से दो मंजिला बिल्डिंग है। इस बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर में समाज सेवी ज्ञानी त्रिवेदी अकेले रहते थे। करीब चार साल पहले ही उनका भतीजा गौरव त्रिवेदी पढ़ाई के लिए उनके पास आकर रहने लगा था। दो माह पहले ही उसकी एक निजी मोबाइल कंपनी में नौकरी लगी थी, जिससे वह खासा खुश था। बुधवार सुबह अचानक बिल्डिंग गिर गई और उसके मलबे में दबकर गौरव की मौत हो गई जबकि ज्ञानी बाल-बाल बच गए।

कॉलोनी में मचा कोहराम

हादसे से पूरी रिवर बैंक कॉलोनी में कोहराम मच गया। हादसे की सूचना मिलते ही डीएम अभिषेक प्रकाश, नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी, अपर नगर आयुक्त अर्चना द्विवेदी मौके पर पहुंच गए और राहत कार्य शुरू कराया। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद मलबे से शव को बाहर निकाला गया।

15-20 साल से खाली थे दो फ्लोर

पीडि़त ज्ञानी ने बताया कि उनके पिता स्व। राम प्यारे त्रिवेदी पूर्व पीएम गुलजारी लाल नंदा के निजी सचिव रहे हैं और उनके नाम पर ही पहले यह मकान एलॉट था। वर्ष 2018 में पिता के निधन होने पर मकान उनके नाम पर एलॉट हुआ। जिसमें वह ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे। पहले तो फ‌र्स्ट और सेकंड फ्लोर पर लोग रहते थे, लेकिन 15-20 साल से दोनों फ्लोर खाली थे। ऐसे में मेंटीनेंस न होने की वजह से दोनों फ्लोर की स्थिति खराब होती गई।

बार-बार धरना दिया, सुनवाई नहीं

ज्ञानी ने बताया कि वर्ष 2015 में उनके पिता ने सबसे पहले दोनों फ्लोर के जर्जर होने का मुद्दा उठाया था और पत्र व्यवहार किया था। जब पिता का निधन हो गया तो उन्होंने खुद नौ जून 2018 को बिल्डिंग का मेंटीनेंस कराने को लेकर धरना दिया। इसके बाद तत्कालीन नगर आयुक्त व अन्य निगम के अधिकारी आए और दोनों फ्लोर का थोड़ा बहुत मेंटीनेंस कराया। हालांकि समस्या जस की तस बनी रही और उन्होंने फिर से अक्टूबर में धरना दिया। जिसके बाद निगम ने दोनों फ्लोर को अपने पजेशन में ले लिया। इसके बाद वह बार-बार मेंटीनेंस की मांग करते रहेए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। नतीजा बुधवार को दर्दनाक हादसा हो गया।

अब पूरी बिल्डिंग गिराई जाएगी

नगर आयुक्त का कहना है कि रिवर बैंक कॉलोनी से जुड़ा यह भवन था। इसका ऊपरी भाग गिरा है। अब इसके बगल के भवन को भी गिराया जाएगा। साथ ही पूरी कॉलोनी में बिल्डिंगों का परीक्षण कराया जाएगा कि वह रहने लायक हैं या नहीं।

घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं

गौरव के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। दिव्यांग पिता राधा रमण त्रिवेदी किसान हैं जबकि मां सुनीता त्रिवेदी हाउस वाइफ हैं। वहीं दो बहनें दिशा (16) और तनुजा (12) अभी स्टडी कर रही हैं। पूरे परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी गौरव पर ही थी। उसकी मौत की खबर मिलते ही पूरा परिवार बेसुध हो गया। पिता की आंखों से छलकते आंसू बार-बार यही सवाल कर रहे थे कि अब परिवार का खर्च कैसे चलेगा।

सबसे पहले निर्माण

जिस ब्लाक में यह घटना हुई है, वह गोमती सदन था, जिसका निर्माण 1951 में सबसे पहले किया गया था और तब से प्रॉपर मरम्मत नहीं हुई थी।

मेयर ने दिए जांच के आदेश

हादसे की सूचना मिलते ही मेयर संयुक्ता भाटिया भी मौके पर पहुंचीं। पहले तो उन्होंने पीडि़त को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। साथ ही नगर आयुक्त को मकान गिरने के कारण की जांच कराकर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। मेयर ने मौके पर ही जिम्मेदारों से कई सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि यदि मकान जर्जर था तो उसे घोषित क्यों नहीं किया गया, यदि कोई नोटिस भेजा गया तो अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई। मेयर ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि इसका जिम्मेदार कौन है। मेयर ने निर्देश दिए कि जर्जर हो चुके मकानों को चिन्हित करके नोटिस भेजें और उन पर कार्रवाई शुरू करें।

45 रुपये प्रतिमाह किराया

रिवर बैंक कॉलोनी स्थित गोमती सदन में जोड़ते हुए लगभग 52.3 वर्ग मीटर माप में तीन फ्लैट ग्राउंड-(47), प्रथम तल (48) एवं द्वितीय तल (49) का निर्माण लगभग 62 वर्ष पूर्व 1960-62 में हुआ था। फ्लैट नं। 49 में कोई निवसित नहीं था और पूर्व से खाली सील था। भवन सं। 47 राम प्यारे त्रिवेदी के नाम पर 45 रु। प्रतिमाह किराये पर आवंटित है, जिसमें उनके पुत्र ज्ञानी त्रिवेदी रहते हैं। द्वितीय तल का लगभग 22.20 वर्ग मीटर का भाग प्रथम तल पर गिरने से प्रथम तल व भूमितल की छत गिर गई।

दूसरा भवन एलॉट किया गया

हादसे के बाद ज्ञानी त्रिवेदी को एक अन्य सुरक्षित भवन आवंटित कर दिया गया है तथा इससे सटे हुए भवन को खाली कराते हुए निवास कर रहे डीएन श्रीवास्तव को भवन संख्या 37 तथा सिम््मी को भोपाल हाउस स्थित फ्लैट संख्या 8 में मरम्मत कार्य पूरा होने तक स्थानान्तरित कराया गया है। वहीं एक अन्य आवंटी डीसी पुंडीर द्वारा जब तक नगर निगम द्वारा मरम्मत का कार्य पूरा नहीं कर लिया जाता है, तब तक उनके द्वारा स्वयं आवंटित भवन को खाली किया जा रहा है।

इन पर गिरी गाज

नगर निगम सीमा अंतर्गत आने वाले जर्जर भवनों को सुरक्षित किये जाने के उद्देश्य से पूर्व से ही जर्जर भवनों में निवास कर रहे अध्यासियों को नियमानुसार नोटिस दिये जाने के उपरान्त ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हेतु नगर अभियन्ताओं को निर्देशित किया गया था, लेकिन नगर अभियंता जोन.1 द्वारा समय से कार्रवाई न किये जाने के कारण हादसा हुआ। इसके लिए एसपी तिवारी, नगर अभियंता जोन.1 को कार्य में लापरवाही बरतने हेतु कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उनको आवंटित जोन.1 के कार्य से हटा दिया गया है तथा मुख्य अभियन्ता महेश चन्द्र वर्मा को चेतावनी दी गयी है।

नोटिस पर हंगामा

जानकारी के अनुसार, बुधवार शाम निगम की टीमें रिवर बैंक कॉलोनी में जर्जर भवनों में बैक डेट 9 जून की नोटिस चस्पा करने पहुंची थी। इससे लोग खासे नाराज हुए और हंगामा करने लगे।

इस तरह बचे ज्ञानी

ज्ञानी ने बताया कि उनके पोर्शन में दो कमरे हैं। आगे वाले कमरे में गौरव सो रहा था जबकि पीछे वाले कमरे में वह खुद थे। सुबह अचानक जोरदार आवाज के साथ छत का मलबा गौरव पर आकर गिर गया। इससे उसकी मौत हो गई।

Posted By: Inextlive