कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का अस्थि कलश शुक्रवार को दिल्ली से लखनऊ में उनके पैतृक आवास कालका ङ्क्षबदादीन ड्योढ़ी लाया गया। ड्योढ़ी पर अस्थि कलश के अंतिम दर्शन के बाद उनकी अस्थियों को गोमती में विसर्जित किया गया। गौरतलब है कि बीती 17 जनवरी को हार्ट अटैक से महाराज जी का दिल्ली में निधन हो गया था। दिल्ली में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था।

लखनऊ (ब्यूरो)। बेटे पंडित दीपक महाराज ने बताया कि पिता पंडित बिरजू महाराज को कुछ दिन पूर्व डायलिसिस के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था, तभी अपनी छोटी बहू आरती से उन्होंने कहा था कि मुझे कुछ हो जाए, तो मेरी अस्थियां मेरे जन्मस्थान, मेरे घर जरूर ले जाना। उसके बाद गोमती और बनारस में मां गंगा के चरणों मे विसर्जित करना। उनकी उसी अंतिम इच्छानुसार दो अस्थि कलश लखनऊ लाए गए।


बड़े बेटे कलश लेकर ड्योढ़ी पहुंचे
पंडित बिरजू महाराज के बड़े बेटे जय किशन महाराज कलश अपने हाथों में लेकर महाराज की जन्मस्थली ड्योढ़ी पहुंचे थे। उनके साथ महाराज के पोते त्रिभुवन महाराज, बहू रजनी महाराज, पोती रागिनी महाराज, कनु महाराज और प्रमुख शिष्या शाश्वती सेन भी आई थीं। बहन मुन्नी देवी ड्योढ़ी पर ही रहती हैं, भाई किशन महाराज भी बनारस से आए थे।


संगीत जगत के लोग पहुंचे
ड्योढ़ी पर रखे अस्थि कलश को अंतिम प्रणाम करने के लिए संगीत जगत से जुड़े तमाम लोग पहुंचे। लोक गायिका मालिनी अवस्थी, नृत्यांगना सुरभि ङ्क्षसह, पूर्णिमा पांडे, मीरा दीक्षित, अनुज मिश्रा, हिमांशु, रेणु शर्मा, उमा त्रिगुणायत, बीना ङ्क्षसह, रविनाथ मिश्रा, मनीषा मिश्रा, ज्योति किरन आदि ने पुष्पांजलि अर्पित की। सभी ने ड्योढ़ी से ही भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों से ही महाराज जी को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की मांग भी की।
कुडिय़ाघाट ले जाई गई अस्थि कलश
ड्योढ़ी से निकलकर महाराज जी की कलश यात्रा चौक स्थित कुडिय़ाघाट ले जाई गई, जहां विधि विधान पूर्वक पूजन के बाद गोमती में एक कलश का विसर्जन किया गया। ड्योढ़ी से लेकर कुडिय़ाघाट तक तमाम कला प्रेमियों ने प्रभु भजन गाकर नृत्य सम्राट को विदा किया।

Posted By: Inextlive