ऑपरेशन विजय के दौरान शहीद हुए कैप्टन मनोज पांडेय के पिता ने मोदी सरकार से कार्रवाई जारी रखने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आतंकियों का नाश नहीं किया तो कई और घरों के चिराग बुझेंगे।

LUCKNOW : 'मेरे बेटे ने देश की रक्षा में अपने प्राणों को न्योछावर किया, इसका मुझे गर्व है। पुलवामा हमले के बाद मोदी सरकार ने जो सख्त कदम उठाया है, उसकी मैं प्रशंसा करता हूं। लेकिन, यह कार्रवाई तब तक नहीं रुकनी चाहिये जब तक वहां सभी आतंकी सरगनाओं का खात्मा न हो जाए' यह कहना है ऑपरेशन विजय में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले अमर शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपीचंद्र पांडेय का। उन्होंने कहा कि अगर अब भारत ने कार्रवाई को बिना किसी अंजाम तक पहुंचे रोका तो आगे भी कई घरों के चिराग बुझेंगे।

 

सियाचिन से लौटे थे

मई 1999 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में जैसे ही ऊंची चोटियों पर बर्फ पिघलना शुरू हुई थी। इसी दौरान पाकिस्तानी सेना की मदद से पाक घुसपैठियों ने कारगिल की पहाडि़यों पर बने भारतीय सेना के बंकरों पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तानी घुसपैठियों का मसकद नेशनल हाइवे-1 पर गोलीबारी करके कारगिल और लद्दाख में सेना की मूवमेंट को रोकना था। सेना की अलग-अलग रेजिमेंटों को कारगिल के सभी सेक्टर्स में घुसपैठियों को भारत की सीमा से खदेड़ने के लिये भेजा गया। इसी बीच 1/11 गोरखा रेजिमेंट को भी कारगिल अहम चोटियों को फतह करने का टास्क दिया गया। इसी रेजिमेंट में शामिल मनोज पांडेय की पलटन कुछ दिन पहले ही सियाचिन पर ड्यूटी कर लौटी थी। छुट्टी पर जाने के बजाय मनोज व उनकी पलटन ने युद्धभूमि में जाने का फैसला किया। फील्ड एरिया में होने की वजह से मनोज को कैप्टन पद पर प्रमोट कर दिया गया।

 

फायरिंग के बीच जारी रखा ऑपरेशन

कारगिल के कई सेक्टर में मनोज पांडेय की पलटन ने दुश्मन को खदेड़ दिया। उनके अदम्य साहस और कुशल नेतृत्व को देखते हुए उनके कमांडिंग ऑफिसर ने उन्हें खालूबार फतह करने का जिम्मा सौंपा। खालूबार पहाड़ी पर बैठे घुसपैठिये लगातार भारतीय सैनिकों को निशाना बनाकर गोलीबारी कर रहे थे। कैप्टन मनोज पांडेय अपनी पलटन के साथ 2-3 जुलाई की रात खालूबार पर चढ़ाई करने के लिये निकल पड़े। पर, घुसपैठियों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। लेकिन, मनोज ने हिम्मत नहीं हारी और जवाबी रणनीति बनाई। कैप्टन मनोज चाहते थे कि सूर्योदय होने पर पहाड़ी पर बैठे घुसपैठियों को उनकी मूवमेंट दिखाई पड़ती इसलिए रात में ही खालूबार पर कब्जा करना जरूरी था। मोर्चे पर आगे जाते हुए उन्होंने दुश्मन के पहले ठिकाने पर हमला किया और दो घुसपैठियों को मार गिराया।

 

गोली लगने पर भी नहीं रुके

इसके तुरंत बाद उन्होंने दूसरे ठिकाने पर हमला कर दो और घुसपैठियों को मार गिराया। इसके बाद तीसरे ठिकाने पर हमला बोला। तभी दुश्मन की गोली उनके कंधे और पैर में लगी। लेकिन, घायल होने के बावजूद वे आगे बढ़ते रहे। जैसे ही उन्होंने घुसपैठियों का तीसरा ठिकाना ध्वस्त किया एक गोली उनके सिर में आ लगी। बावजूद इसके उन्होंने ग्रेनेड से दुश्मन के चौथे ठिकाने को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद मनोज वहीं पर वीरगति को प्राप्त हो गए। उनके इस अदम्य वीरता और सर्वोच्च बलिदान के लिये राष्ट्रपति ने मनोज पांडेय को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया।

 

मां के पत्र ने मनोज में भर दी ऊर्जा

पिता गोपी चंद्र बताते हैं कि कारगिल में ऑपरेशन विजय के दौरान कैप्टन मनोज पांडेय ने अपनी मां को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने अपनी मां को कहा कि 'आप लोग ईश्वर से प्रार्थना करो कि मैं जल्द ही दुश्मन को अपनी मातृभूमि से खदेड़ कर वापस आऊं.' इस पर उनकी मां ने जवाब देते हुए लिखा कि बेटा कुछ भी हो जाए तुम अपने कदम पीछे न खींचना। मां के इस पत्र ने उनमें ऊर्जा भर दी और उन्होंने एक के बाद एक दुश्मन को ढेर कर दिया।

 

आसानी से नहीं समझेगा पाकिस्तान

अमर शहीद कैप्टन मनोज के पिता गोपी चंद्र कहते हैं कि पाकिस्तान बरसों से देश में आतंकी भेजने का काम कर रहा है। जिसकी वजह से सैकड़ों वीर जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। पिछली सरकारों ने कई बार पाकिस्तान से बातचीत करके देख लिया लेकिन, वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। इस बार पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। उन्हें इस पर कायम रहना चाहिये और इस बार पाकिस्तान को ऐसा सबक देना चाहिये ताकि, वह भविष्य में कभी भी भारत के प्रति बुरी नजर न उठा सके।

Posted By: Inextlive