। कई डॉक्टर समेत स्टॉफ कोरोना पॉजिटिव

। नॉन कोविड मरीजों को लेकर चिंता

LUCKNOW: शासन द्वारा केजीएमयू को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाने के निर्देश के बाद यहां पर तैयारियां तेज हो गई हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाने के बाद भी यहां नॉन कोविड मरीजों के लिए ट्रॉमा सेंटर, लारी कार्डियोलॉजी, क्वीन मैरी समेत कैंसर के मरीजों के लिए उपलब्ध इमरजेंसी सेवाएं पहले की तरह जारी रहेंगी। ऐसे में गंभीर मरीजों को थोड़ी राहत मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही यहां पहले से भर्ती नॉन कोविड मरीजों को लेकर भी चिंता है। इसके अलावा यहां पर कई डॉक्टर्स व स्टाफ आदि संक्रमित चल रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि कोविड मरीजों का इलाज होने में अगर स्टाफ संक्रमित होता रहेगा तो इलाज कैसे किया जायेगा, इसको लेकर भी सरकार को विचार करना चाहिए।

मिलेगी ट्रॉमा सुविधा

केजीएमयू में पहले ट्रॉमा सेंटर को भी बंद किए जाने का फैसला किया जा रहा था, लेकिन पीजीआई और लोहिया संस्थान द्वारा अपने स्तर से ट्रॉमा चलाने से इंकार कर दिया गया। इसके बाद शुक्रवार को हुई अस्पताल प्रशासन की बैठक में निर्णय लिया गया है कि ट्रॉमा सेंटर की सुविधा पहले के ही तरह चलती रहेगी। ऐसे में शुरुआत में सबसे पहले केजीएमयू में पुराने परिसर के जितने बेड कोविड के थे, उनको ही दोबारा बहाल करते हुए बेडों की संख्या बढ़ाई जाएगी। केजीएमयू वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने बताया कि इमरजेंसी सेवाएं भी ज्यादा जरूरी हैं इसलिए पहले चरण में हम मेडिसिन, इंफेक्शियस डिजीज वार्ड बिल्डिंग, न्यूरोलॉजी बिल्डिंग और सर्जरी विभाग की बिल्डिंग में कोविड के बेड शुरू करेंगे। इसे अगले 24 घंटे में पूरी तरह से शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए इंजीनियरों को लगा दिया गया है। वहीं मैनपावर के लिए भी रजिस्ट्रार को बोल दिया गया है। इसके बाद दूसरे विभागों को विस्तार किया जाएगा।

इनको मिलेगा इलाज

केजीएमयू में करीब 4 हजार से आधिक बेडों की क्षमता है, जिसमें लिंब सेंटर में 500 से अधिक बेडों का कोविड अस्पताल चल रहा है, लेकिन कोविड अस्पताल बनने के बाद यहां पर कैंसर के मरीजों की सेवाएं सीमित की जा सकती हैं। पूरी तरह इसे बंद नहीं किया जाएगा। इनका इलाज पहले की ही तरह चलता रहेगा। इसके अलावा लारी, ट्रॉमा, गाइनी की अलग बिल्डिंग है इसलिए इनमें भी कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। कोविड अस्पताल बनने के बाद भी यहां पर आवाजाही के लिए रास्त पूरी तरह से अलग रहेगा। ऐसे में नॉन कोविड मरीजों को कोई दिक्कत नहीं आयेगी इसलिए इनकी सेवाएं पहले की तरह चलती रहेंगी।

डॉक्टर की सेफ्टी भी अहम

केजीएमयू में हाल ही में एक डॉ। जुबैर की कोरोना के चलते मौत हो चुकी है जबकि 200 से अधिक मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमित हो चुका है। यहां पर करीब 600 से अधिक की मेडिकल फैकल्टी है। ऐसे में अगर संक्रमण बड़े स्तर पर फैलता है तो काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इन चिंताओं को देखते हुए वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने बताया कि कोविड को देखते हुए हमारे लिये सभी डॉक्टर और स्टाफ की सेफ्टी भी बेहद अहम है। कई डॉक्टर और उनके परिवार पहले से ही संक्रमित हो रखे हैं। दूसरे इमरजेंसी भी जारी रखना है इसके लिए हमे डॉक्टर की सेफ्टी के बारे में भी सोचना होगा इसलिए पूरे केजीएमयू के बेड कोविड में एक साथ तब्दील नहीं किये जा सकते हैं। हमने इसका एक्शन प्लान तैयार किया गया है और उसी के मुताबिक कार्य किया जाएगा ताकि कोविड के साथ नॉन कोविड मरीजों को भी कोई परेशानी न हो। सभी को इलाज मिलता रहे यही हमारी प्राथमिकता है।

कर्मचारियों की भी सुरक्षा जरूरी

केजीएमयू में नर्स व अन्य सभी स्टाफ मिलाकर करीब 10 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिसमें करीब 2500 परमानेंट और 7500 के करीब संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं। बीते साल भी कई कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो चुकी है जबकि इस साल दो कर्मचारियों की अबतक हुई है। वहीं दर्जनों कर्मचारी परिवार समेत संक्रमित चल रहे हैं। ऐसे में कर्मचरियों में भी डर है कि पूरा कोविड अस्पताल बन जाने से संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है। हालांकि कर्मचारियों का कहना है कि पहले की ही तरह हम लोग हर संभव स्तर पर अपनी सेवा जारी रखेंगे क्योंकि मेडिकल क्षेत्र से जुड़े होने के कारण हर संकट का सामना करना होता है।

Posted By: Inextlive