डॉक्टरों के जाने से केजीएमयू को तगड़ा झटका लग रहा है और मरीजों को भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। पहले से चली आ रही लंबी वेटिंग अब और लंबी हो जायेगी। ऐसे में समय पर समुचित इलाज न मिलने से मर्ज के गंभीर होने का खतरा बढ़ जाता है। विभाग के अन्य डॉक्टरों पर लोड अब और बढ़ जायेगा।


लखनऊ (ब्यूरो)। डॉक्टरों का केजीएमयू से नाता तोडऩे का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में जनरल सर्जरी विभाग के डॉ। अरशद अहमद और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में बांड के तहत आये डॉ। अंकुर ने संस्थान छोड़ दिया है। ऐसे में मरीजों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।दो डॉक्टरों ने छोड़ा संस्थान
पहले से ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे संस्थान को दूसरे डॉक्टर भी लगातार अलविदा कह रहे हैं। केजीएमयू में गुदा रोग, पाइल्स, फिशर, बवासीर आदि स्पेशलिस्ट जनरल सर्जरी विभाग के डॉ। अरशद अहमद को महारथ हासिल है। उनका नाम सुनकर देश-विदेश से मरीज इलाज करवाने आते हैं। उनकी ओपीडी देर शाम तक चलती रहती है। वहीं, सर्जरी में उनका हाथ बेहद सधा हुआ माना जाता है। उन्होंने कुछ दिन पहले ही अपने पद से इस्तीफ दे दिया है। उनके छोडऩे की वजह सामने नहीं आई है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि निजी कारणों की वजह सामने आ रही है। आगे वह कहां ज्वाइन करेंगे, अभी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसी तरह गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग में बांड के तहत तैनात डॉ। अंकुर की पीजीआई में नियमित तैनाती हो गई है। लिहाजा उन्होंने केजीएमयू को छोड़ वापस पीजीआई ज्वाइन कर लिया है, जिसके बाद विभाग में अब केवल दो ही डॉक्टर रह गये हैं।बढ़ेगी मरीजों की समस्याडॉक्टरों के जाने से केजीएमयू को तगड़ा झटका लग रहा है और मरीजों को भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। पहले से चली आ रही लंबी वेटिंग अब और लंबी हो जायेगी। ऐसे में समय पर समुचित इलाज न मिलने से मर्ज के गंभीर होने का खतरा बढ़ जाता है। विभाग के अन्य डॉक्टरों पर लोड अब और बढ़ जायेगा।संस्थान का होता है नुकसानकेजीएमयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ। केके सिंह के मुताबिक, संस्थान में करीब 500 डॉक्टर हैं जबकि करीब 100 पद खाली चल रहे हैं। इनकी भर्ती प्रक्रिया चल रही है। डॉक्टरों के जाने से संस्थान को बड़ा नुकसान होता है।

Posted By: Inextlive