32 नाले प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से गिरते हैं

2001 में हुई थी ड्रेजिंग

12 किमी। के करीब हुई थी ड्रेजिंग

1.5 साल पहले चला था सफाई अभियान

- गोमती का स्वच्छ जल, काले रंग में तब्दील होता जा रहा

- नियमित सफाई व्यवस्था न होने से हालात खराब, नालों का गिरना जारी

LUCKNOW: जीवनदायिनी मां गोमती का आंचल एक बार फिर से मैला होता नजर आ रहा है। नदी का शुद्ध पानी धीरे-धीरे काले रंग में परिवर्तित हो रहा है। आलम यह है कि हवा चलने पर गोमती के आसपास खुद पानी से उठती दुर्गध को महसूस किया जा सकता है। गोमती के प्रदूषित होने का प्रमुख कारण नालों का गिरना तो है ही साथ ही नियमित सफाई व्यवस्था के इंतजाम न होने की वजह से भी गोमा मैली होती जा रही है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से इस विषय पर एक अभियान शुरू किया जा रहा है, जिसके माध्यम से आप जान सकेंगे कि आखिर जीवनदायिनी का स्वरुप खतरे में क्यों है और क्या कदम उठाए जाने चाहिए, जिससे एक बार फिर से गोमा का पानी शुद्ध हो सके।

नालों का गिरना जारी

गोमती में नालों का गिरना बदस्तूर जारी है। शहर के कई प्वाइंट ऐसे हैं, जहां पर जाकर नालों को गोमती में गिरते हुए देखा जा सकता है। इन नालों के मिलने की वजह से ही गोमा का पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है। जिम्मेदारों की ओर से दावा तो किया जा रहा है कि गोमती में गिरते नालों को टैप किया जा चुका है और अगर ऐसा है तो फिर गोमा के पानी का रंग क्यों बदल रहा है।

वर्षो से ड्रेजिंग नहीं

गोमती में आने वाले पानी को ट्रीट करने के लिए तो एसटीपी लगाए गए हैं, लेकिन गोमती की तलहटी को साफ करने के लिए कोई पुख्ता योजना नहीं है। जानकारी के अनुसार, पंद्रह से बीस वर्षो से ड्रेजिंग नहीं हुई है। इसकी वजह से तलहटी की साफ सफाई नहीं हो सकी है। अगर तलहटी की सफाई हो जाए तो निश्चित रूप से परिणाम सकारात्मक हो सकते हैं।

करोड़ों हुए खर्च

गोमती सफाई से जुड़ी समितियों की माने तो पिछले आठ से दस वर्षो में गोमती की सफाई और सौंदर्यीकरण के मामले में करोड़ों खर्च किए गए हैं। इसके बावजूद अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।

घाटों की सफाई भी यदाकदा

गोमती के घाटों की बात की जाए तो इस दिशा में भी स्थिति जस की तस है। पर्यावरण दिवस के मौके पर जरूर कुछ सफाई हो जाती है, लेकिन उसके बाद कोई भी गोमती के घाटों की सफाई की तरफ ध्यान नहीं देता है। जिम्मेदार महकमों की ओर से भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

जनता भी कम जिम्मेदार नहीं

गोमा को मैला करने में जनता भी कम जिम्मेदार नहीं है। 30 प्रतिशत लोगों की ओर से मां के आंचल में घर का वेस्ट तक फेंक दिया जाता है। घाटों और गोमती पुल पर डस्टबिन भी लगे हुए हैं, इसके बावजूद लोग वेस्ट को सीधे गोमती में डाल रहे हैं। जिम्मेदारों की ओर से इस तरफ भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

ये कदम उठाने होंगे

1-नालों का गिरना

2-वेस्ट का फेंका जाना

3-तलहटी की सफाई

4-घाटों की सफाई

5-एसटीपी की क्षमता बढ़ाया जाना

6-पब्लिक को जागरुक करना

7-सप्ताह में एक बार सफाई अभियान

Posted By: Inextlive