- सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस पर एक्सपर्ट ने रखी राय

- छह दिन तक चलेगा एजुकेशनल सेशन

LUCKNOW: केजीएमयू का सर्जरी विभाग अपना 108वां स्थापना दिवस मना रहा है। ऐसे में छह दिवसीय एजुकेशनल सेशन का आयोजन किया जा रहा है, जहां मंगलवार को कई एक्सपर्ट ने लिवर, अग्नाशय, पित्ताशय व पित्त की नली की विभिन्न बीमारियों के इलाज पर चर्चा हुई। इसके साथ बचाव और इलाज के बारे में भी जानकारी दी गई।

1. भारतीयों में खून की उल्टी की समस्या लिवर की खराबी

भारतीयों में 50-60 प्रतिशत खून की उल्टी की बड़ी वजह लिवर की समस्या है। वहीं सही इलाज न मिलने से 10-15 प्रतिशत ऐसे मरीजों की मौत हो जाती है। डॉक्टर्स को चाहिए कि मरीज के हॉस्पिटल में आने के दौरान उसका बीपी, नब्ज, सांस, ऑक्सीजन की मात्रा पर गौर करें। बीपी कम हो तो खून चढ़ाना चाहिए। अगर किसी को उल्टी में खून, मल द्वार से खून आना या तारकोल की तरह लैट्रीन हो तो उसे मरीज को तुरंत स्पेशलिस्ट के पास ले जाना चाहिए।

- डॉ। अभय वर्मा

2. रिसर्च पर करना है फोकस

किसी भी ट्रांसप्लांट मरीज की प्रतिरोधक क्षमता कैसी है, उसपर डिपेंड करता है। उसको दबाने की कोशिश करेंगे तो मरीज की जान को भी खतरा हो सकता है। ऐसे में खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ट्रांसप्लांट मेडिकल साइंस का भविष्य है। इसको लेकर शोध करने की जरूरत है। आज गुर्दा, लिवर ट्रांसप्लांट के साथ पेनक्रियाज ट्रांसप्लांट भी कर सकते हैं, जिससे डायबिटीज की समस्या को कम किया जा सकता है, लेकिन अभी इसके लिए काफी काम करना होगा। लोगों को ज्यादा से ज्यादा आर्गेन डोनेट करना चाहिए ताकि जरूरतमंदों में ट्रांसप्लांट करके उसको बचाया जा सके।

- डॉ। अनिल नेगी

3. बिना चीरफाड़ के भी इलाज संभव

खून की उल्टी, बच्चेदानी से खून निकलना, ट्यूमर होना आदि में बिना चीरफाड़ के भी इलाज संभव है। इसके लिए एंजियोग्राफी से समस्या को पहचानते हुये त्वचा में छोटा से छेद करते हुये इलाज करते हैं, जिसे मेडिकल ग्लू और क्वाइल के माध्यम से बंदकर देते हैं। इससे कम खून बहना, कम समय लगना, अंगों को कम नुकसान होने के साथ कम खर्च भी होता है। इसके अलावा स्ट्रोक मैनेजमेंट भी किया जा सकता है। अगर फालिस का मरीज साढ़े छह घंटे के अंदर आ जाये तो इस तकनीक की मदद से उसको सही किया जा सकता है।

- प्रो। मनोज कुमार

4. लाइफ स्टाइल को करें चेंज

अचानक से पेट में तेज दर्द होना, बुखार आना या पेट का फूलना आदि एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस बीमारी के शुरुआती लक्षण हैं। शराब से इसको बढ़ावा मिलता है। यह एक जानलेवा बीमारी है। 80 प्रतिशत यह माइल्ड और 20 प्रतिशत घातक होती है। घातक होने पर 50 प्रतिशत केसेस में मौत तक होने का खतरा रहता है। यह बेहद ही कॉमन बीमारी है। इमरजेंसी में रोजाना 5-10 पेशेंट आते रहते हैं। ऐसे में लोगों को लाइफ स्टाइल चेंज करने के साथ शराब से दूर रहना चाहिए।

- प्रो। विशाल गुप्ता

Posted By: Inextlive