श्रद्धापूर्वक मनाया गया भगवान महावीर 2620 वां जन्म कल्याणक
- जैन धर्माबलंबियों ने घरों में पूजन एवं आरती की
LUCKNOW: चौबीसवें एवं अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का 2620 वां जन्मकल्याणक महोत्सव रविवार को जैन धर्माबलंबियों ने श्रद्धापूर्वक अपने अपने घरों में पूजन एवं आरती करके मनाया। जैन मंदिरों में यह पर्व सांकेतिक रूप से मनाया गया। आशियाना जैन मंदिर में भगवान महावीर की अष्टधातु की मूर्ति विराजमान कर अभिषेक एवं शांतिधारा, पूजन और शांति विसर्जन की समस्त क्रियाओं को विधि विधान- मंत्रोच्चारण के साथ प्रो। डॉ। अभय कुमार जैन ने बलवंत जैन और आशू जैन के सहयोग से किया। समस्त मानव जाति का कल्याण तभी संभव हैउप्र जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो। डॉ। अभय कुमार जैन ने बताया कि आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व महावीर द्वारा प्रतिपादित अहिंसाए सत्य, अचैर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सार्वभौमिक सिद्धांतों के पालन की आवश्यकता आज के संत्रासपूर्ण समय में और अधिक प्रासंगिक हो गई है। भगवान महावीर ने कहा था कि समस्त मानव जाति का कल्याण तभी संभव है जब मानव एक दूसरे के साथ मैत्री और करुणा की भावनाओं के साथ रहे। समस्त प्राणियों से प्रेम परस्पर सहिष्णुता को बढ़ाता है। सहिष्णुता के भाव से ही अहिंसा और शाकाहार का प्रसार होता है। भगवान महावीर के सिद्धांत दिशा भ्रमित मानवता को सही दिशा प्रदान करने के लिये आज भी उतने ही सार्थक है जितने महावीर युग में थे।