Lucknow News: संजय गांधी पीजीआई द्वारा कैडवरिक डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए ब्रेन स्टेम डेड मरीज का सारा खर्च माफ करने की योजना शुरू की है। पर इसके बावजूद परिजन अंगदान को तैयार नहीं हो रहे हैं जिससे संस्थान द्वारा ट्रांसप्लांट को बढ़ावा देने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है।


लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई द्वारा कैडवरिक डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए ब्रेन स्टेम डेड मरीज का सारा खर्च माफ करने की योजना शुरू की है। पर इसके बावजूद परिजन अंगदान को तैयार नहीं हो रहे हैं, जिससे संस्थान द्वारा ट्रांसप्लांट को बढ़ावा देने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है।सारा खर्च माफ होना था


पीजीआई प्रशासन द्वारा किडनी, हार्ट, लिवर आदि ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों को राहत देने की दिशा में करीब 10 माह पहले कैडवरिक अंगदान को बढ़ावा देने के लिए इलाज का पूरा खर्च माफ करने की योजना शुरू की थी। जिसके तहत हादसे में गंभीर घायल मरीज के ब्रेन स्टेम डेड होने की स्थिति में यदि उसके घरवाले अंगदान के लिए राजी हो जाते हैं, तो संस्थान प्रशासन उस मरीज के इलाज में लगने वाला सारा खर्च माफ करेगा। हालांकि, अभी तक एक भी परिजन ने हामी नहीं भरी है। एपेक्स ट्रामा सेंटर के एमएस और स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांटेशन आर्गेनाइजेशन के संयुक्त निदेशक डॉ। राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि इस प्रस्ताव को बीते साल अगस्त में शासन से अनुमति मिल गई थी। यह व्यवस्था पीजीआई चंडीगढ़ में पहले से लागू है।**************************************अब आईसीयू में ही मिलेगी डायलिसिस की सुविधा

केजीएमयू के आईसीयू में भर्ती मरीजों को अब डायलिसिस के लिए दूसरे वार्ड में जाने की परेशानी नहीं उठानी पड़़ेगी। इसके लिए मेडिसिन विभाग के सभी आईसीयू में डायलिसिस की सुविधा मिलेगी। खासतौर पर पोर्टेबल डायलिसिस मशीनों को लगाया गया है। जिससे मरीज की बेड पर ही डायलिसिस हो सकेगी।बेड पर मिल सकेगी सुविधाकेजीएमयू के आईसीयू में किडनी पेशेंट या किसी अन्य समस्या के चलते डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। मेडिसिन यूनिट में डायलिसिस की सुविधा है, पर गंभीर मरीजों को डायलिसिस के लिए ले जाने में दिक्कत होती है। इसी को लेकर वार्ड 1 व मेडिसिन आईसीयू में डायलिसिस की अलग-अलग मशीनें लगाई गई हैं। एमएस डॉ। डी हिमांशु के मुताबिक, विभाग में एक मशीन पहले से ही थी। गांधी वार्ड में अब मशीनों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है। इसके अलावा, दूसरे विभाग के आईसीयू में भी मशीन लगाई जा रही है। इससे मरीजों को काफी हद तक राहत मिलेगी।**************************************लोहिया में जल्द शुरू होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांट

थैलेसिमिया बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। इसका इलाज संभव है। शीघ्र ही संस्थान में थैलेसीमिया पीड़ित रोगियों के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट सुविधा शुरू की जायेगी। यह जानकारी विश्व थैलेसिमिया दिवस के अवसर पर लोहिया संस्थान में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रमुख सचिव, मेडिकल एजुकेशन ने दी।प्रमुख सचिव ने किया रक्तदानइस अवसर पर संस्थान में स्थित थैलेसीमिया डे केयर सेंटर द्वारा थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए पोस्टर एवं स्लोगन लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई। साथ ही स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया। इस दौरान प्रमुख सचिव ने वॉर्ड में उपस्थित लोगों से एवं अभिभावकों से स्वैच्छिक रक्तदान करने का आग्रह किया और थैलेसीमिया रोग को भी असाध्य रोगों की श्रेणी में डाले जाने पर अपनी सहमति जताई। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि ऐसा होता है तो बजट की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। वहीं, निदेशक प्रो। सीएम सिंह ने ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग को उनके विभागीय कार्यों एवं उपलब्धियों पर बधाई दी। अब तक संस्थान स्थित थैलेसीमिया डे केयर सेंटर में 169 थैलेसीमिया पीड़ित रोगी पंजीकृत हो चुके हैं तथा 1242 यूनिट ब्लड ट्रांसफ्यूजन बिना रिपेलेसमेंट के किये जा चुके है। वहीं, 35 यूनिट रक्त स्वैक्षिक रक्तदान शिविर में प्राप्त हुआ। जिसमें प्रमुख सचिव द्वारा भी रक्तदान किया गया। इस दौरान प्रो। सुब्रत चंद्रा, डॉ। वीके शर्मा समेत अन्य मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive