लावारिस लाशों की पहचान के लिए यूपी कॉप एप में एक कालम है जिससे गुमशुदगी कालम को भी जोड़ा गया है। हालांकि उसमें डेडबॉडी की फोटो शेयर नहीं की जाती हैं। इस कालम में थाने स्तर पर मिलने वाली अन्य पहचान उसमें अपलोड की जाती है। हालांकि इससे पहचान बहुत कम ही हो पाती है।


लखनऊ (ब्यूरो)। एक अनसुलझी पहली बनकर रह गई हैं शहर में मिलीं लावारिस लाशें। न तो उनकी मौत का राज खुल सका और न ही हत्यारे तक पहुंच सकी पुलिस। उनमें से कई मौतें भले अपराध से नहीं जुड़ी थीं, लेकिन मौत के बाद उन्हें अपनों का कंधा तक नसीब नहीं हो सका। ऐसे दर्जनों शवों की पहचान पुलिस की फाइलों में गुम होकर रह गई। कागजी खानापूर्ति कर पुलिस भी उनकी पहचान करने की कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डालकर चुप बैठ गई।केस एकनहर में मिला युवती का शव


नगराम स्थित इस्माइल नगर गांव के पास इंदिरा नहर में एक 20 वर्षीय युवती का शव उतराता मिला था। उसकी शिनाख्त का प्रयास किया गया पर पहचान नहीं हो सकी। शव करीब एक सप्ताह पुराना लग रहा है। मृतका के शरीर पर गुलाबी कुर्ती, काली पैजामी, दाहिने हाथ में लाल रंग की चूड़ी कलावा बंधा था।केस दोगुमशुदा की तलाश में मिला अज्ञात शव

दो गुमशुदा युवकों की तलाश में पुलिस को चिनहट में अज्ञात शव मिला। पुलिस आसपास के इलाके में तीन व 10 दिन पहले लापता हुए युवकों की तलाश कर रही थी। पुलिस को घटना स्थल से एक लापता युवक की स्कूटी और कपड़े बरामद हुए। बाद में पुलिस ने शव को बाहर निकलवाकर दोनों युवकों के परिजनों से उसकी शिनाख्त करवाई। एक के घरवालों ने मौके से मिली स्कूटी और कपड़े की शिनाख्त तो कर ली, लेकिन शव को पहचानने से दोनों ने इंकार कर दिया।केस तीनयुवक की नहीं हो सकी पहचानचौक थाना क्षेत्र के पक्का पुल स्थित गोमती नदी में करीब डेढ़ बजे एक 35 वर्षीय अज्ञात युवक का शव उतरता देख स्थानीय लोगों पुलिस को सूचना दी। शव कई दिन पुराना बताया जा रहा है। उसकी पहचान नहीं हो सकी। पुलिस की छानबीन में उन्हें शव के पास से कोई ऐसा कागज नहीं मिला, जिससे उसकी पहचान हो सके।केस चारसड़क किनारे मिला बुज़ुर्ग का शवविभूतिखंड इलाके में एक अज्ञात बुज़ुर्ग का शव मिला। पुलिस के मुताबिक, सुबह करीब 10 बजे किसान मंडी भवन के बगल में सड़क किनारे एक अज्ञात बुज़ुर्ग 75 का शव पड़ा मिला था। शव पर लाल शर्ट और नीला और सफेद रंग का गमछा था। शव के पास से ऐसा कोई कागज नहीं मिला जिससे उसकी पहचान हो सके, आस पास के लोगों ने भी उसे पहचानने से इनकार कर दिया।एप में एक कॉलम

लावारिस लाशों की पहचान के लिए यूपी कॉप एप में एक कालम है, जिससे गुमशुदगी कालम को भी जोड़ा गया है। हालांकि, उसमें डेडबॉडी की फोटो शेयर नहीं की जाती हैं। इस कालम में थाने स्तर पर मिलने वाली अन्य पहचान उसमें अपलोड की जाती है। हालांकि, इससे पहचान बहुत कम ही हो पाती है।पहचान के लिए क्या होती है कार्रवाईलावारिस शवों की शिनाख्त में कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए उनका डीएनए मैचिंग प्रोफाइल तैयार करने का नियम है। पंचनामा से पहले मृतक के बाल, दांत, नाखूनों के नमूने सुरक्षित किए जाएंगे, ताकि जरूरत पडऩे पर परिजन शिनाख्त कर सकें।क्या होता है डीएनए टेस्टडीएनए का मतलब है डीऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड। यह इंसान के शरीर का एक ऐसा एसिड, जो जिंदगी के कई रहस्यों को समेटे रहता है। हर इंसान में डीएनए का एक खास पैटर्न होता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक से दूसरे जेनरेशन में ट्रांसफर होता है। बच्चे में मां और बाप, दोनों के पैटर्न होते हैं।लावारिस शव मिलने पर पुलिस क्या करती है
सबसे पहले एफआइआर दर्ज होती है और शव की तस्वीर ली जाती है। फोटो खींचकर न्यूजपेपर में विज्ञापन देने का नियम है। वाट्सएप ग्रुप में भी फोटो और कपड़े, जूते, चश्मे, चेन या लॉकेट संबंधी डीटेल शेयर की जानी चाहिए।इन प्वाइंट पर भी रहता है फोकसपोस्टमॉर्टम के दौरान मृत्यु की वजह के साथ-साथ मृतक के शरीर पर जन्म से मौजूद कोई निशान, शरीर पर कोई चोट, कोई टैटू की शिनाख्त की जाती है। कई बार इससे ऐसी जानकारी मिलती है, जिससे मृतक की पहचान हो जाती है।72 घंटे बाद होता है पीएमइस दौरान थानों में दर्ज गुमशुदगी की रिपोर्ट या गुमशुदगी के विज्ञापनों से मिलान करके देखा जाता है कि क्या कोई पहचान साबित हो रही है। इसके बाद लाश को 36-72 घंटे मुर्दाघर में रखा जाता है।आधार कार्ड से हो सकती है पहचानलावारिस लाशों की पहचान में आधार कार्ड मददगार साबित हो सकता है। फॉरेंसिक एक्सपर्ट की राय है कि लावारिस लाशों की पहचान के अब तक जितने तरीके हैं वे फेल रहे हैं और 72 घंटे में पहचान अमूमन नहीं ही हो पाती है। डॉक्टरों का कहना है कि आधार के बायोमीट्रिक सिस्टम से लावारिस लाश की पहचान एक मिनट में हो सकती है। पुलिस को एक पोर्टेबल बायोमीट्रिक सिस्टम दे दिया जाए तो लावारिस बॉडी का अंगूठा टच कराते ही सारी जानकारी मिल जाएगी।ये कदम उठाने चाहिए
- पुलिस को शहर में रहने वाले बेघर लोगों की पूरी डिटेल रखनी चाहिए- शव के पास मिली चीजों के आधार पर आसपास के जिलों में करनी चाहिए पहचान की कोशिश- सोशल मीडिया पर फोटो, कपड़े और चीजों को डाला जाए और पूरी सूचना लिखी जाएयहां लापरवाही बरतती है पुलिस- शवों के फिंगर प्रिंट नहीं लेते हैं- मीडिया में विज्ञापन देने की जगह खबर प्रकाशित करने पर फोकस- अधिकतर शवों के डीएनए सैंपल नहीं लेते- कपड़े तक संभाल कर नहीं रखे जाते- ऐसे शवों के फोटो व अन्य जानकारी के पंपलेट छपवाकर स्टेशन व आसपास के राज्यों में नहीं भेजे जातेकोई भी लावारिस लाश मिलती है तो उसकी पहचान के लिए कई तरह के काम किए जाते हैं। एनसीआर से उसका डेटा शेयर करने के साथ-साथ स्पॉट के चारों दिशा के एरिया में भी उसकी पहचान के लिए छानबीन की जाती है। साथ ही, गुमशुदगी के विज्ञापन व सोशल मीडिया के माध्यम से भी पहचान के प्रयास किए जाते हैं।-अर्पणा रजत कौशिक, डीसीपी सेंट्रल

Posted By: Inextlive