चौक इलाके का यह मंदिर करीब दो हजार साल पुराना है। विगत कुछ वर्षों से यह विवादों में घिरा हुआ है। यहां मौजूद ताम्रपत्र सैकड़ों साल पुरानी पांडुलिपि और दस्तावेज चोरी हो गए हैं। मठ के अध्यक्ष विवेकानंद गिरी ने चौक थाने में इसकी एफआईआर कराई है। मंदिर के पूर्व में अध्यक्ष रहे रमेश गिरी समेत 10 लोगों पर चोरी का आरोप लगाया गया है।


लखनऊ (ब्यूरो)। मठ, महंत और धोखा, यह कोई कहानी नहीं बल्कि सच्चाई है चौक के दो हजार साल पुराने काली मंदिर मठ की। जहां कभी महंत पर यौन शोषण का आरोप लगता है तो कभी मठ से पौराणिक दस्तावेज व पांडुलिपि गायब करने का आरोप। यौन शोषण के मामले में पूर्व महंत जेल में हैं और अब उन पर मंदिर की जमीनों व पौराणिक दस्तावेज और पांडुलिपि चोरी करने का आरोप भी लगा है। आरोप है कि ट्रस्ट के पूर्व पदाधिकारियों ने भी मंदिर में जम कर बंदरबांट की है।दो हजार साल पुराना है इतिहास


चौक इलाके का यह मंदिर करीब दो हजार साल पुराना है। विगत कुछ वर्षों से यह विवादों में घिरा हुआ है। यहां मौजूद ताम्रपत्र, सैकड़ों साल पुरानी पांडुलिपि और दस्तावेज चोरी हो गए हैं। मठ के अध्यक्ष विवेकानंद गिरी ने चौक थाने में इसकी एफआईआर कराई है। मंदिर के पूर्व में अध्यक्ष रहे रमेश गिरी समेत 10 लोगों पर चोरी का आरोप लगाया गया है।25 करोड़ की जमीन बेच दी

सेवादार रमेश रस्तोगी के मुताबिक, काली मंदिर बोधगया मठ से संचालित होता है। बीते साल मठ ने रमेश गिरी को मंदिर का अध्यक्ष व ओम भारती को सचिव नियुक्त किया था। रमेश गिरी और रवि शंकर ने बोधगया मठ की 25 करोड़ रुपये की जमीन बेच डाली और ओम भारती पर एक सेवादार के साथ यौन शोषण का आरोप लगा तो मठ ने दोनों को पद हटा दिया।चौक थाने में एफआईआरसेवादार के अनुसार, रमेश गिरी को हटा कर विवेकानंद गिरी को नया अध्यक्ष चुना गया। विवेकानंद गिरी ने जब मंदिर में सामग्रियों का जायजा किया तो सैकड़ों साल पुराने मंदिर से ऐतिहासिक ताम्रपत्र, दस्तावेज, ग्रंथ गायब मिले। दान में आए रुपये, चांदी के आभूषण भी गायब मिले। जिसके बाद मंदिर अध्यक्ष ने चौक में मुकदमा दर्ज कराया है।पहले भी विवादों में आये थे ट्रस्ट के लोगसैकड़ों साल पुराने ग्रंथों व आभूषणों की चोरी का जिस दूसरे आरोपी ओम भारती पर आरोप लगा है, वह जेल में बंद है। ओम भारती पर एक युवक ने आरोप लगाया था कि वे अक्सर उसे अपने कमरे में बुलाते और हाथ पैर दबवाते थे। मना करने पर महंत उससे दुकान खाली करने की धमकी देते थे। इसके बाद 8 z

रमेश गिरी को धार्मिक न्यास बोर्ड में 2014 में एक साल के लिए अस्थाई न्यास धारी नियुक्त किया था लेकिन वह लंबे समय से न केवल कब्जा जमाए रहा बल्कि इस दौरान मंदिर से जुड़े मठ से पौराणिक दस्तावेज व पांडुलिपि गायब कर दीं। बोधगया मठ की परंपरा के अनुसार, 13 अप्रैल 2021 को महंत त्रिवेणी गिरी को धार्मिक न्यास बोर्ड लंबी लड़ाई के बाद काली मंदिर मठ में महंत के रूप में मान्यता दी। जिसके बाद एक के बाद मठ से जुड़े कई राज से पर्दाफाश हो सके।एक साल के लिए अस्थाई न्यास धारी किया था नियुक्तरमेश गिरी को धार्मिक न्यास बोर्ड में 2014 में एक साल के लिए अस्थाई न्यास धारी नियुक्त किया था लेकिन वह लंबे समय से न केवल कब्जा जमाए रहा बल्कि इस दौरान मंदिर से जुड़े मठ से पौराणिक दस्तावेज व पांडुलिपि गायब कर दीं। बोधगया मठ की परंपरा के अनुसार, 13 अप्रैल 2021 को महंत त्रिवेणी गिरी को धार्मिक न्यास बोर्ड लंबी लड़ाई के बाद काली मंदिर मठ में महंत के रूप में मान्यता दी। जिसके बाद एक के बाद मठ से जुड़े कई राज से पर्दाफाश हो सके।

Posted By: Inextlive