स्त्री रोग विशेषज्ञ की जगह एमबीबीएस डॉक्टर भेज दिया
लखनऊ (ब्यूरो)। विधानसभा सत्र में डाक्टरों की टीम में फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। जहां महिला विधायकों की स्वास्थय जांच के लिए अस्पताल द्वारा स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ की जगह एमबीबीएस डॉक्टरों को एक्स्पर्ट बनाकर विधानसभा में ड्यूटी के लिए भेज दिया गया। मामला खुलने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया। मामला महानिदेशालय तक पहुंचा। जिसके बाद संबंधित अस्पताल के प्रभारी से जवाब-तलब करके कड़ी फटकार लगाई गई।होगी सख्त कार्रवाई
विधानसभा सत्र दौरान महिला विधायक व मंत्री की सेहत लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ की मांग हुई थी। इसमें ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय से तीन स्त्री रोग विशेषज्ञ को तैनात किया जाना था। लेकिन, हैरानी वाली बात यह रही कि लापरवाह अस्पताल प्रशासन ने स्त्री रोग विशेषज्ञ की बजाए तीन एमबीबीएस डॉक्टरों की ड्यूटी लिस्ट में स्त्री रोग विशेषज्ञ लिखकर रिपोर्ट शासन में भेज दी गई। जिसपर डॉक्टरों ने स्त्री रोग विशेषज्ञ लिखे जाने पर आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। मामला खुलने के बाद महानिदेशालय ने जवाब तलब कर लिया है। महानिदेशक डॉ। दीपा त्यागी के मुताबिक यह मामला बेहद गंभीर है। अस्पताल द्वारा एमबीबीएस को स्त्री रोग विशेषज्ञ बनाया जाना गलत है। इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी।**************************************************जनसहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन संभव
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रदेश सरकार द्वारा मंगलवार को प्रदेश के फाइलेरिया प्रभावित 27 जनपदों के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इसके लिए मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अपर निदेशक वेक्टर बोर्न डिजीज, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, डॉ। भानु प्रताप सिंह कल्याणी ने कहा कि मीडिया सहयोगियों और समुदाय की भागेदारी से प्रदेश से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है। संक्रमित मच्छर के काटने से किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। इस अभियान में सभी को दवाईयों की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बूथ एवं घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी साथ ही किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा। ये दवाएं खाली पेट नहीं कहानी हैं। राज्य कार्यक्रम अधिकारी, फाइलेरिया डॉ। वीपी सिंह ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। दवा पूरी तरह सुरक्षित हैं।