- चोरी छिपे अब फ्लैट मालिकों के बिल में नहीं जुड़ सकेगी मेंटीनेंस राशि

- बिजली बिल में मेंटीनेंस के नाम पर वसूले जाते थे 9 से 15 रुपये प्रति यूनिट

- सिंगल प्वाइंट कनेक्शन से मल्टीप्वाइंट कनेक्शन में कंवर्ट होने का मामला

LUCKNOW:

मल्टी प्वाइंट कनेक्शन में कंवर्ट होने के बाद सिंगल प्वाइंट मल्टीस्टोरी कांप्लेक्स में रहने वाले लोगों के बिजली बिल में जुड़कर आने वाली मेंटीनेंस चार्ज की राशि देखकर उन्हें करंट नहीं लगेगा। इसकी वजह यह है कि नियामक आयोग द्वारा लिए गए फैसले से साफ है कि उपभोक्ताओं को सिर्फ बिजली बिल की राशि ही अदा करनी होगी। वहीं इस नई व्यवस्था से बिल्डरों की मनमानी पर भी लगाम लग गई है।

इस तरह चलता था खेल

सिंगल प्वाइंट मल्टीस्टोरी कांप्लेक्स में रहने वाले लोगों के बिजली बिल में बिल्डरों की ओर से मेंटीनेंस चार्ज के रूप में मनमानी राशि जोड़ दी जाती थी। जब उपभोक्ता अपने बिल में जुड़ी राशि को लेकर सवाल जवाब करता था तो उसे बिल्डरों की ओर से सटीक जवाब नहीं दिया जाता था, जिसकी वजह से न चाहते हुए भी उपभोक्ताओं को अधिक राशि जमा करनी पड़ती थी।

15 से 20 रुपये प्रति यूनिट

जानकारों की माने तो बिल्डरों की ओर से उपभोक्ताओं के बिल में सरचार्ज के रूप में 15 से 20 रुपये प्रति यूनिट तक की धनराशि जोड़ दी जाती थी। मेंटीनेंस चार्ज के रूप में डीजी सेट, लिफ्ट, मशीनीकृत साफ सफाई इत्यादि का चार्ज जोड़कर उसे बिजली बिल में शो कर दिया जाता था, जिसकी वजह से उपभोक्ता की जेब पर सीधा असर पड़ता था। हैरानी की बात तो यह थी कि अतिरिक्त धनराशि जोड़े जाने के बाद भी बिल्डरों पर कोई एक्शन नहीं होता था, लेकिन अब पूरी तरह से इस खेल पर रोक लग गई है।

इस तरह समझें खेल

अगर कोई उपभोक्ता सिंगल प्वाइंट मल्टीस्टोरी कांप्लेक्स में रहता है तो उसका बिल 7 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से जनरेट होता है तो उसमें मेंटीनेंस चार्ज लगाकर 15 से 20 रुपये अतिरिक्त यूनिट का भार डाल दिया जाता था। मतलब अगर उपभोक्ता को 7 या 9 रुपये के हिसाब से बिजली बिल जमा करना है तो उसे 15 से 20 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल जमा करना पड़ता था, जिससे खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि उपभोक्ता पर सीधे 13 रुपये प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार आता था, जिसकी वजह से उपभोक्ता परेशान रहता थाण्

यह हुआ निर्णय

उप्र विद्युत नियामक आयोग ने अपने फैसले में कहा है किसी भी मल्टीस्टोरी कांप्लेक्स में यदि वहां पर रहने वाले 49 प्रतिशत उपभोक्ता यह लिखकर दे देते हैं कि उन्हें मल्टीप्वाइंट कनेक्शन में कनवर्ट होना है यानि कि विभाग से कनेक्शन लेना है तो उस दशा में ऐसे उपभोक्ताओं से केवल बिजली कनेक्शन शुल्क व मीटर कास्ट लेकर उन्हें विभाग को बिजली कनेक्शन देना होगा। मल्टीस्टोरी कांप्लेक्स जहां पर बुनियादी ढांचा अधूरा है, उसे कंपनियों को तैयार कर उपभोक्ताओं को सुचारू बिजली आपूर्ति करना जिम्मेदारी होगी। आयोग ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बिजली मीटर से केवल मीटर का ही शुल्क वसूला जायेगा।

406 बिल्डिंग मल्टीप्वाइंट में कंवर्ट

उप्र राज्य विद्युत उपभेाक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश में अभी तक लगभग 406 मल्टीस्टोरी बिल्डिंग सिंगल प्वाइंट कनेक्शन से मल्टीप्वाइंट में कंवर्ट हो चुकी हैं और लगभग 197 मल्टीस्टोरी बिल्डिंग ऐसी हैं, जो सिंगल प्वाइंट से मल्टीप्वाइंट कनेक्शन में कनवर्ट होने का आप्शन दे दिया गया है और उन्हें बिजली कंपनियों द्वारा कंवर्ट किया जाना बाकी है। प्रदेश में लगभग 576 मल्टीस्टोरी बिल्डिंग ऐसी हैं, जिनके उपभोक्ताओं ने सिंगल प्वाइंट कनेक्शन का ही आप्शन दिया है, उन्हें बिजली कंपनियों को फायदा बताकर मल्टीप्वाइंट में कंवर्ट होने के लिये कहा जायेगा। ऐसा आयोग की मंशा है। केवल अब उसी दशा में सिंगल प्वाइंट कनेक्शन कंवर्ट होने से बचेगा, जहां रहने वाले 51 प्रतिशत फ्लैट मालिक यह लिखकर देंगे उन्हें सिंगल प्वाइंट में ही रहना है।

नियामक आयोग के फैसले से निश्चित रूप से उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी। अब बिल्डरों की ओर से उपभोक्ता के बिल में मेंटीनेंस चार्ज के रूप में मनमानी राशि नहीं जोड़ी जा सकेगी।

अवधेश कुमार वर्मा, अध्यक्ष, उप्र विद्युत उपभोक्ता परिषद

बिजली दर पर सार्वजनिक सुनवाई 8 व 10 सितंबर को

वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) व बिजली दर पर 10 व 13 अगस्त को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली सार्वजनिक सुनवाई अब 8 व 10 सितंबर 2020 को होगी। नियामक आयोग ने सुनवाई की तिथि को आगे बढ़ाने का आदेश जारी कर दिया है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने अपने प्रत्यावेदन में यह मुद्दा उठाया था कि जो सुनवाई 10 अगस्त को होनी है, उसकी तिथि को आगे बढ़ाने पर विचार कर लिया जाये। उपभोक्ताओं को कम से कम 25 दिन का समय दिया जाये। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों में 31 अगस्त को विज्ञापन प्रकाशित हुआ है और 15 दिन में आपतियां मांगी गई हैं। उपभोक्ता जो अपनी आपतियां तैयार करते हैंए उसे ही सुनवाई में रखते हैं। ऐसे में 15 दिन के पहले सुनवाई शुरू होना उचित नहीं है।

Posted By: Inextlive