- रूरल एरिया में कैनोपी लगाकर पचास रुपये का सिम बेचते थे मात्र 10 रुपये में

- ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स लेकर चार से पांच सिम करते थे एक्टिवेट

- साइबर फ्रॉड कॉल सेंटर को बेच देते थे एक्टिव सिम कार्ड

LUCKNOW : रोड पर जो सिम कार्ड खरीदने के लिए डॉक्यूमेंट्स दे रहे हैं, वह कितने सेफ हैं इसकी जानकारी आप को भी नहीं है। ग्राहक के ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स के जरिए साइबर फ्रॉड किस तरह ठगी का जाल बिछा रहे हैं इसका खुलासा तब हुआ जब चिनहट में एक युवती से नौकरी के नाम से फ्रॉड हुआ। पुलिस जालसाजी की छानबीन कर रही थी। इस दौरान उनके हत्थे एक ऐसा गैंग चढ़ा जो साइबर फ्रॉड के फर्जीवाड़े को मोबाइल सिम के जरिए सपोर्ट कर रहा था। साइबर क्राइम सेल और चिनहट पुलिस ने ऐसे ही दो शख्स को गिरफ्तार किया है। उनके पास सिम एक्टिवेट करने की पावर थी। वह बीएसएनल और वोडाफोन के सिम बेचते थे। उन्होंने इसके लिए रूरल और आउट स्कर्ट एरिया को टारगेट किया था। वह कैनोपी लगाकर मात्र 10 रुपये में सिम कार्ड बेचते थे। 10 रुपये के सिम पर कॉलिंग और नेट मिलने के लालच में लोग सिम कार्ड खरीद कर एक्टिवेट कराते थे।

युवती से नौकरी के नाम पर हुआ था फ्रॉड

साइबर क्राइम सेल के नोडल इंचार्ज विवेक रंजन राय ने बताया कि फरवरी में चिनहट थाने में एक युवती ने नौकरी के नाम पर फ्रॉड का केस दर्ज कराया था। युवती के फोन पे के जरिए यूनियन बैंक अकाउंट से 10799 रुपये निकल गए थे। साइबर क्राइम टीम ने आलमबाग से बालामऊ हरदोई के गोपाल मौर्या और इंद्रा नगर उरई के भरत शर्मा को गिरफ्तार किया। दोनों आलमबाग में किराए के मकान में रहते थे। उनके पास से 5 हजार से ज्यादा एक्टिवेट सिम, 34 मोबाइल और दो बॉयोमेट्रिक डिवाइस बरामद हुई।

कैसे करते हैं वारदात

- बीएसएनल व वोडाफोन कंपनी के सिम के एक्टिवेशन की ले रखी थी रिटेल पॉवर

- कंपनी 30 रुपये में सिम देती है, जिसे 50 रुपये में बचने का नियम है

- शातिर मात्र 10 रुपये में एक्टिव सिम ग्राहकों को बेचते थे

- नुकसान पूरा करने के लिए ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स के जरिए तीन से चार सिम एक्टिव करते थे

- उन सिम के जरिए फोन पे, गूगल पे वॉलेट एक्टिव करते थे

- वॉलेट एक्टिव कर सिंगल तरीके से एक सिम पर चार से पांच सौ कमाते थे

- सिम का यूज करने के बाद एनसीआर में चलने वाले साइबर फ्रॉड कॉल सेंटर को बेच देते थे

डॉक्यूमेंट्स से चार से पांच सिम करते थे एक्टिव

ग्राहक के डॉक्यूमेंट्स की फोटो कॉपी और धोखे से तीन-चार बार कराई गई बॉयोमेट्रिक से अलग-अलग कंपनी के तीन से चार सिम एक्टिवेट कर लेते थे। उनके सिम कार्ड से वॉलेट डाउन लोड करते थे। पहली बार इन वॉलेट को डाउनलोड करने पर कैश बैक मिलता है। यहीं नहीं दूसरे नंबर पर भी रिफरल कोड कैश बैक का फायदा उठाते थे। यह सिंगल रूप से उसका फायदा उठाकर सिम के नुकसान की भरपाई कर लेते थे।

सिम कार्ड को साइबर ठग कॉल सेंटर को बेच देते थे

एक्टिव सिम से फायदा उठाने के बाद इन सिम को एनसीआर में चलने वाले साइबर फ्रॉड के कॉल सेंटर को बेच दिया जाता था। उन सिम के जरिए पूरे देश में साइबर फ्रॉड किया जाता था। साइबर फ्राड कॉल सेंटर को एक्टिव सिम की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। एक से दो फ्रॉड के बाद सिम बंद कर दिया जाता था और फिर नए सिम से फ्रॉड के लिए कॉल किया जाता है।

Posted By: Inextlive