दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। करीब दो साल के बाद यह अनूठा गणेश संग्रहालय एकबार फिर बप्पा के भक्तों के लिए खोला जा रहा है। हालांकि कोरोना को देखते हुए केवल सीमित संख्या में ही भक्त यहां दर्शन कर सकेंगे।


लखनऊ (ब्यूरो)। विघ्नहर्ता गणपति अपने भक्तों के विघ्नों को हरने के साथ उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। उनकी प्रेरणा से उनके भक्त भी असंभव कार्य को बेहद सहज भाव से पूरा कर लेते हैं। उनकी ही प्रेरणा से राजधानी के न्यू हैदराबाद की रहने वाली कुमकुम राय चौधरी ने अपने आवास में एक भव्य और अनूठा गणेश संग्रहालय बनाया है। जहां पेंटिग्स और प्रतिमाओं समेत करीब 4 हजार प्रकार के गणपति विद्यमान हैं। दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। करीब दो साल के बाद यह अनूठा गणेश संग्रहालय एकबार फिर बप्पा के भक्तों के लिए खोला जा रहा है। हालांकि, कोरोना को देखते हुए केवल सीमित संख्या में ही भक्त यहां दर्शन कर सकेंगे।गणपति जी से ही मिली प्रेरणा
कुमकुम राय चौधरी के मुताबिक, गणपति संग्रहालय शुरू करने की कोई खास वजह तो नहीं है। पर एक बार मैं गोरखपुर गई तो वहां पर पहली बार टेराकोटा के बने गणेशजी को खरीदा था। उनका पेट, रूप और चेहरा आदि देखा तो मन को बेहद भाया। बस उनकी वही मनमोहक छवि मुझे बेहद प्रेरित कर गई। उसके बाद मैं जहां भी गई, वहां से गणेशजी की प्रतिमा खरीदती हूं। मेरे यहां गणपतिजी की पेंटिग्स और मूर्तियों का कलेक्शन बढ़ता ही चला गया। इस समय फोटो और प्रतिमा मिलाकर करीब 4 हजार के आसपास गणपति मौजूद हैं। इस संग्रहालय को करीब डेढ़ दशक से अधिक का समय हो चुका है। यह करीब 600 वर्गफीट के कमरे में बना है और इसे 2010 में लिम्का बुक्स ऑफ रिकार्ड्स में भी जगह हासिल हो चुकी है।हर स्वरूप बेहद अनोखाकुमकुम राय आगे बताती हैं कि इस संग्रहालय को बनाने में मेरे पति और बच्चों ने भी काफी सहयोग दिया है। हालांकि, कोरोना की वजह से बीते दो साल से कुछ नहीं किया। पर इसबार मुंबई से पूजन के लिए गणपति की प्रतिमा मंगवाई है। जहां भव्यता से उनका पूजा होगा। कोविड के कारण अधिक लोगों को नहीं बुलाएंगे। गणेश संग्रहालय में धतूरे की जड़ में बने गणेशजी, झूला झूलते, क्रिकेट खेलते, पलंग पर विश्राम करते, हारमोनियम और ढोलक बजाते हुए गणेशजी मौजूद हैं। ये कांच, मिट्टी, मेटल आदि के बने हुए हैं।

Posted By: Inextlive