केजीएमयू ट्रामा में कुल 460 बेड हैं। इनमें 208 घायलों और बाकि इमरजेंसी मेडिसिन मरीजों के लिए रिजर्व हैं। यहां रोजाना 250-350 मरीज आते हैं। करीब 50 फीसदी रेफर वाले मरीज होते हैं। बाराबंकी बहराइच गोंडा बस्ती गोरखपुर सुल्तानपुर जौनपुर वगैरह से आने वाले मरीज ज्यादा होते हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। हाल ही में सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामूली बीमारी से पीडि़त मरीज को बेवजह रेफर न करने और उसे उसी जिले में इलाज मिले, इसको लेकर निर्देश दिए थे। क्योंकि प्रदेश भर से मरीजों को राजधानी के केजीएमयू ट्रामा सेंटर में रेफर कर दिया जाता है, जिससे यहां पर मरीजों का लोड बढ़ जाता है। ऐसे में एक्सपट्र्स एक रेफरल पॉलिसी की जरूरत बता रहे हैं, ताकि मरीजों को गोल्डन आवर में ही बेहतर इलाज मिल सके।50 फीसदी रेफर मरीजों की समस्या
केजीएमयू ट्रामा में कुल 460 बेड हैं। इनमें 208 घायलों और बाकि इमरजेंसी मेडिसिन मरीजों के लिए रिजर्व हैं। यहां रोजाना 250-350 मरीज आते हैं। करीब 50 फीसदी रेफर वाले मरीज होते हैं। बाराबंकी, बहराइच, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, सुल्तानपुर, जौनपुर वगैरह से आने वाले मरीज ज्यादा होते हैं। यहां 130 से अधिक स्ट्रेचर हैं, जिसमें कई बार 60-80 स्ट्रेचर पर ही मरीजों का इलाज चल रहा होता है। ऐसे में, बेडों को लेकर बड़ी मारामारी रहती है। कई बार बेड न होने की वजह से मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है।ट्रेनिंग देने की जरूरत


केजीएमयू ट्रामा के सीएमएस डॉ। संदीप तिवारी के मुताबिक, ट्रामा में पूरे प्रदेश से मरीज आते हैं, जिससे अधिक मरीजों का लोड हमेशा रहता है। कई बार मामूली समस्या होने पर भी मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। इसमें सुधार के लिए ट्रामा इंटिगे्रटेड सिस्टम बनाने की जरूरत है, ताकि मरीजों को उनके ही जिलों मेे बेहतर इलाज मिल सके।पूरी डिटेल नहीं लिखतेडॉ। संदीप तिवारी के मुताबिक, कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर मरीजों को रेफर करने की संख्या में काफी हद तक कमी की जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि मरीज को गोल्डन आवर में फस्र्ट एड की सही सुविधा मिले, क्योंकि सही ट्रीटमेंट नहीं देने की वजह से मरीजों की जान तक पर बन आती है। इसके अलावा सीएचसी स्तर पर डॉक्टरों को ट्रेनिंग देने की जरूरत है, ताकि रेफर करने का स्तर पता चल सके। सीएचसी से सीधा ट्रामा रेफर न करें।सही रेफरल लिखना जरूरीअगर मरीज को रेफर भी किया जा रहा है तो पेपर में सही रेफरल नहीं लिखा जाता है। यानि मरीज की क्या जांच हुई, क्या ट्रीटमेंट दिया गया आदि नहीं लिखा होता है। जिसकी वजह से जांच रिपीट कराने की वजह से समय खराब होता है। ऐसे में रेफरल पेपर पूरी तरह से भरना चाहिए।ट्रामा इंटिग्रेटेड सिस्टम की जरूरत

दूसरे अस्पताल अक्सर बिना बेडों की स्थिति जाने ही मरीजों को रेफर कर देते है, जिसकी वजह से अक्सर मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे तक भटकना पड़ता है। ऐसे में रेफर करने से पहले संबंधित अस्पताल के इमरजेंसी नंबर पर बात करके बेड की स्थिति पता करने के बाद ही रेफर करना चाहिए। इसके लिए ट्रामा एंड इंटिग्रेटेड सिस्टम भी बनाने की जरूरत है।इन जिलों से ज्यादा आते हैं मरीज-बाराबंकी-बहराइच-गोंडा-बस्ती-गोरखपुर-सुल्तानपुर-जौनपुरबेवजह मरीजों को रेफर करने से बचना चाहिए। अगर रेफर करे भी तो पूरी जानकारी देनी चाहिए। इसके लिए ट्रामा इंटीग्रेटेड सिस्टम बनाने की जरूरत है। -डॉ। संदीप तिवारी, सीएमएस, ट्रामा सेंटर

Posted By: Inextlive