संस्थान में 1000 लीटर प्रति मिनट क्षमता का ऑक्सीजन पीएसए प्लांट भी लगाया गया है जिसमें हवा से ऑक्सीजन को अलग कर 93 से 94 प्रतिशत की शुद्धता के साथ आक्सीजन प्राप्त होती है। जिसको सेंट्रल पाइपलाइन सिस्टम द्वारा अस्पताल में मरीजों तक पहुंचाया जाता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट व न्यूरो फिजियोलॉजी लैब का लोकार्पण डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक द्वारा किया गया। यह लैब शुरू होने से न्यूरो संबंधी बीमारियों का बेहतर इलाज मिल सकेगा, जिसका फायदा मरीजों को होगा।एडवांस मशीनों से होगा इलाज
क्लीनिकल न्यूरो फिजियोलॉजिकल लैब में मस्तिष्क, स्पाइनल कार्ड, नसों तथा मांसपेशियों की बीमारियो से ग्रसित मरीजों की जांच के लिए कई प्रकार की मशीनों का प्रयोग किया जाता है। इसमें मिर्गी की बीमारी से ग्रसित मरीजों का मूल्यांकन तथा इलाज के लिए वीडियो इलेक्ट्रोइंसेफेलोग्राफी यानी ईईजी द्वारा दिमाग से उत्पन्न बिजली कि तरंगों का विशलेषण कर मिर्गी के प्रकार का पता किया जाता है। 15 से 20 प्रतिशत मिर्गी के मरीज जो दवा से ठीक नहीं हो पाते उनके लिए शल्य चिकित्सा के लिए भी ईईजी की अहम भूमिका रहती है। नसों से संबंधित मरीजों के लिए मशीन द्वारा रोगी के नसों में विद्युत प्रवाह के माध्यम से बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसी प्रकार मांसपेशियों से उत्पन्न होने वाले सूक्षम विद्युत तरंगों की जांच के लिए भी विभिन्न प्रकार की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। जिससे मांसपेशियों की बिमारियां जैसे मस्क्यूलर डिस्ट्राफी और विभिन्न प्रकार की मेयोपैथी का विशलेषण किया जाता है। मैग्नेटिक स्टीमुलेशन के द्वारा सिरदर्द के मरीजों को बिना दवा के ठीक किया जाता है।ऑक्सीजन प्लांट शुरू, बढ़ेंगे बेडसंस्थान में 1000 लीटर प्रति मिनट क्षमता का ऑक्सीजन पीएसए प्लांट भी लगाया गया है, जिसमें हवा से ऑक्सीजन को अलग कर 93 से 94 प्रतिशत की शुद्धता के साथ आक्सीजन प्राप्त होती है। जिसको सेंट्रल पाइपलाइन सिस्टम द्वारा अस्पताल में मरीजों तक पहुंचाया जाता है। इस दौरान निदेशक प्रो। आरके धीमन द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। वहीं, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने चिकित्सा संस्थानों को मंदिरों के समकक्ष रखा और चिकित्सक को ईश्वर की संज्ञा दी। उन्होंने बताया कि कभी-कभी भर्ती होने के लिये बिस्तर की अनुपलब्धता एक समस्या हो सकती है। पर यदि रोगी को ध्यानपूर्वक सुन लिया जाए तो उसकी पीड़ा कुछ हद तक कम हो जाती है। यहां जनसंपर्क की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बिस्तरों की संख्या को भी चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा।

Posted By: Inextlive