राम के वन जाने के बाद राजा दशरथ राम के लिए काफी व्याकुल रहते हैं। इसके बाद श्रवण कुमार लीला हुई।


लखनऊ (ब्यूरो)। श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में रामलीला मैदान के तुलसी रंगमंच पर चल रही रामलीला के चौथे दिन बुधवार को निषादराज राम मिलन, केवट संवाद, सुमंत्र का वापस जाना, दशरथ विलाप, श्रवण कुमार कथा, दशरथ स्वर्ग प्रस्थान, कैकेई भरत संवाद, मंथरा का महल से निष्कासन और कैकेई परित्याग लीला हुई।केवट, राम को गंगा पार कराते हैं
रामलीला मंचन के पूर्व शिवांगी बाजपेयी के निर्देशन में जलोटा एकेडमी के कलाकारों ने भक्ति गीतों संग नृत्य की मनोरम छटा बिखेरी। इसी क्रम में मंदाकिनी शास्त्री के नृत्य निर्देशन में हार्ट एंड सोल डांस अकादमी के कलाकारों ने भक्ति भावना से परिपूर्ण नृत्य की प्रस्तुतियां दी। वहीं, रामलीला की शुरुआत निषादराज राम मिलन लीला से हुई। इस प्रसंग में राम निषादराज से कहते हैं कि आप अब वापस चले जाइये और राज्य की सीमा की सीमा की रक्षा कीजिए। इसके बाद केवट संवाद लीला हुई। इस प्रसंग में जब भगवान राम नदी पार करने के लिए केवट से आग्रह करते हैं कि वह उन्हें नदी पार करा दे, तब केवट राम से कहते हैं कि पहले वह आपके पांव पखारेंगे, फिर नौका से नदी पार करायेंगे। इसके बाद भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को केवट नदी पार कराते हैं।मंथरा को महल से निकाला


राम के वन जाने के बाद राजा दशरथ राम के लिए काफी व्याकुल रहते हैं। इसके बाद श्रवण कुमार लीला हुई। जिसमें, श्रवण कुमार के माता-पिता दशरथ से कहते हैं कि जैसे मुझे अपने पुत्र के वियोग में प्राण त्यागने पड़ रहे हैं, वैसे ही पुत्र वियोग में आपको भी प्राण त्यागने होंगे। इसके बाद दशरथ स्वर्ग गमन लीला हुई। इसी क्रम में कैकेई भरत संवाद, मंथरा का महल से निष्कासन और कैकेई परित्याग लीला हुई। जिसके बाद मंथरा महल से बाहर कर दिया जाता है। यहीं पर रामलीला का समापन होता है।

Posted By: Inextlive