गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के इलाज में कई बार दवा के साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं जिसके चलते उनका इलाज काफी मुश्किल भी हो जाता है। अब इस समस्या का जल्द समाधान होने जा रहा है। इसका कारण यह है कि केजीएमयू में सेंटर फॉर प्रोसिजन मेडिसिन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन सेंटर बनाया गया है। यह जानकारी केजीएमयू सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च एवं हिमैटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ। एके त्रिपाठी ने दी है।

लखनऊ (ब्यूरो) । कलाम सेंटर में प्रोसिजन मेडिसिन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन विषय पर शुक्रवार को एक इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें विभागाध्यक्ष डॉ। एके त्रिपाठी ने बताया कि सभी मनुष्य के जीन की संरचना अलग होने के साथ मॉलिक्यूलर स्तर पर भी बदलाव देखने को मिलते हैं। जिसकी वजह से न केवल बीमारियों का असर अलग-अलग होता है, बल्कि इलाज के दौरान दी जाने वाली दवाओं का भी असर अलग-अलग दिखाई देता है। इसे ध्यान में रखते हुए पर्सनलाइज्ड मेडिसिन में व्यापक तरीके से एक व्यक्तिगत रोगी के कई पहलुओं जैसे आयु, जेंडर, आनुवांशिक विशेषताओं आदि को शामिल किया जाता है। इसमें जीवन की गुणवत्ता, मानसिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी शामिल किया जाता है।
बनेगा अलग से भवन
डॉ। त्रिपाठी ने बताया कि इस सेंटर पर विभिन्न प्रकार के कैंसर को पहचान कर मरीजों के अनुसार प्रभावी व सटीक दवा का चयन किया जाएगा। आगे चलकर दूसरी बीमारियों के मरीजों को भी यहां देखे जाने की योजना है। वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने कहा कि प्रोसिजन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन वैज्ञानिक समुदाय और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में एक क्रांति के रूप में उभर रही है। इनके सही उपयोग से शोध व अध्ययन का फायदा मरीजों को मिलेगा। यहां इसके लिए जल्द अलग से भवन बनेगा। यह संस्थान में उत्तर भारत का पहला ऐसा सेंटर है।
सटीक इलाज संभव
लंदन स्थित क्वीनमेरी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और सेंटर फॉर प्रोसिजन मेडिसिन के अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ सलाहकार डॉ। धवेंद्र कुमार ने बताया कि जीनोम के अध्ययन से कैंसर के आणविक लक्षणों की पहचान में तेजी से तरक्की हो रही है। जिससे कैंसर के सटीक इलाज में मदद मिली है। टारगेट थेरेपी सीधे बीमारी पर वार करती है और दूसरे अंगों को कम नुकसान पहुंचाती है। म्यूटेशन जीन की पहचान करके दवाओं का भी पुख्ता चयन किया जा सकता है।


इन चीजों पर भी रहेगी नजर
- मरीज की उम्र
- मरीज का जेंडर
- आनुवांशिक विशेषताएं
- मानसिक स्थिति
- मनोवैज्ञानिक पहलू


यूजी-पीजी कोर्स में होगा शामिल
पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो। शैली अवस्थी ने बताया कि प्रोसिजन मेडिसिन को यूजी-पीजी कोर्स में शामिल किया जा रहा है। वहीं प्रो। शैलेंद्र सक्सेना ने बताया कि उपचार के साथ वैक्सीन के निर्माण में भी यह विधा उपयोगी साबित होगी।

Posted By: Inextlive