एप में एक डेटाबेस बनाया जाएगा जिसकी मदद से क्राइम मैपिंग कर शहर में होने वाले सबसे ज्यादा अपराधों के तरीकों व अपराधियों का डेटा तैयार किया जाएगा।


लखनऊ ब्यूरो: तेलंगाना और हैदराबाद की तर्ज पर लखनऊ कमिश्नरेट भी पुलिस क्राइम एंड एक्सटेंट एप की मदद से क्राइम पर कंट्रोल करेगी। एप के जरिए अपराध और अपराधियों के संभावित स्थानों की पहचान करने के लिए पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। एप में एक डेटाबेस बनाया जाएगा, जिसकी मदद से क्राइम मैपिंग कर शहर में होने वाले सबसे ज्यादा अपराधों के तरीकों व अपराधियों का डेटा तैयार किया जाएगा।वारदात के अनुसार होगी पुलिसिंग
पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने बताया कि अपराध को रोकने, पिछले अपराधों को सुलझाने या संभावित अपराधियों और पीडि़तों की पहचान करने के लक्ष्य के साथ एप के जरिए विश्लेषणात्मक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इस एप के जरिए न केवल क्राइम कंट्रोल करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह लोगों के जीवन को भी प्रभावित करेगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी क्षेत्र में चेन-स्नेचिंग होती है तो पुलिसिंग उसी पर आधारित होगी। इसी तरह, अगर किसी क्षेत्र में घरों में चोरी होती है तो वहां उसी के मुताबिक पुलिसिंग की जाएगी।कैसे होगी क्राइम मैपिंग


लखनऊ कमिश्नरेट के पांचों जोन में वे प्वाइंट चिन्हित किए जाएंगे जहां सबसे ज्यादा चेन स्नेचिंग, लूट, स्ट्रीट क्राइम व चोरी के साथ-साथ एक्सीडेंट होते है। ऐसे प्वाइंट चिन्हित कर केस स्टेडी कर अपराध के तरीके व अपराधियों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इसके तैयार होने पर ऐसे क्राइम से निपटने के लिए पुलिस उसकी स्टे्रेटेजी पर काम करेगी।रोड एक्सीडेंट को भी किया शामिलपहली बार सड़क दुर्घटनाओं को भी प्रेडिक्टिव पुलिसिंग में शामिल किया जाएगा। अधिकारी ने कहा, पुलिस दुर्घटनाओं के पैटर्न पर नजर रखेगी और आपात स्थिति के लिए एम्बुलेंस और पुलिस वाहन की उपलब्धता के आधार पर तैनात किया जाएगा। इसके अलावा यह उन स्थानों को भी दिखाएगी जहां सड़क पर उत्पीडऩ, पीछा करना, उत्पीडऩ और धमकाने की शिकायतें और बच्चों के खिलाफ विभिन्न अपराधों की सूचना होगी। सीपी के अनुसार, इसके लिए पुलिस लाइन में कमांड एंड कंट्रोल रूम वाला डाटा सेंटर स्थापित किया जा रहा है।पुलिस कर्मियों को दी जाएगी स्पेशल ट्रेनिंग

सीपी के अनुसार, जल्द ही पुलिस कर्मियों को विभिन्न डेटाबेस यूज करने के लिए प्रशिक्षण देना शुरू किया जाएगा। यह ट्रेनिंग प्रोग्राम पुलिस लाइन में आयोजित होगा और हर थाने में तैनात दो से चार पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। जिसमें एफआईआर डेटा, आपराधिक रिकॉर्ड डेटा, सोशल मीडिया इनपुट, ऑनलाइन-ऑफलाइन एप्लिकेशन डेटा और सीसीटीएनएस डेटाबेस शामिल हैं। अपराधों का पता लगाने के लिए पुलिस की कई यूनिट में डेटाबेस का फॉलो पहले ही लागू किया जा चुका है। अब नए तरीके की पुलिसिंग के लिए इसमें नई तकनीकी से जानकारियों को लैस किया जाएगा।

Posted By: Inextlive