- लोहिया में जल्द लगाई जाएगी एचएलए मशीन

- ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीजों को मिलेगा फायदा

LUCKNOW:

आर्गन ट्रांसप्लांट से पहले कई तरह की जांच की जाती है। जिसमें ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन यानि एचएलए टेस्ट बेहद महत्वपूर्ण होता है। जिससे पता चल सकता है कि ट्रांसप्लांट सफल रहेगा की नहीं। अब जल्द ही लोहिया संस्थान में भी एचएलए मशीन से जांच शुरू होगी। जिससे किडनी व लिवर ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीजों में पहले ही पता चल जाएगा कि ट्रांसप्लांट सफल होगा या नहीं।

एंटीजन मैच किया जाता है

लोहिया संस्थान के ट्रांसफ्यूजन डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। सुब्रत चंद्रा ने बताया कि ट्रांसप्लांट बेहद जटिल प्रक्रिया है। जिसके लिए पहले आर्गन देने वाले और आर्गन लेने वाले दोनों व्यक्तियों का ब्लड ग्रुप मैच किया जाता है। यदि दोनों का ब्लड ग्रुप मैच करे तभी ट्रांसप्लांट की तरफ बढ़ा जाता है। इसके लिए एचएलए टेस्ट जरूरी होता है। इसके लिए जल्द ही संस्थान में भी एचएलए मशीन आने वाली है। यह मशीन ल्यूकोसाइट में जो एंटीजन होते हैं, उसको पकड़ती है। अगर दोनों के एंटीजन मैच करते है, तो उसी के बाद ट्रांसप्लांट किया जाता है।

सफल होगा ट्रांसप्लांट

डॉ। सुब्रत ने बताया कि ट्रांसप्लांट अधिकतर घर वालों के डोनेटेड अंग से ही होते हैं क्योंकि वो जेनेटिकली कनेक्ट होते हैं। ट्रांसप्लांट से पहले और बाद में ब्लड भी देना होता है, जो एचएलए मैचिंग के बाद ही दिया जाता है। ऐसे में इस मशीन की मदद से यह जानने में आसानी होगी कि अगर आर्गन दूसरे को दिया जा रहा है तो कहीं वो रिजेक्ट तो नहीं हो जाएगा। वहीं अगर मैच हो गया तो आर्गन ट्रांसप्लांट होने के बाद मरीज में लंबे समय तक अच्छे से काम करेगा।

केवल पीजीआई के पास

फिलहाल यह मशीन अभी पीजीआई में ही है। अब जल्द ही यह सुविधा लोहिया संस्थान में भी मिलेगी। यहां हर माह करीब 3-4 किडनी ट्रांसप्लांट होते है। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह मशीन करीब 40-50 लाख के बीच आती है।

एचएलए टेस्ट से पहले ही पता चल सकेगा कि ट्रांसप्लांट सफल होगा या नहीं। इससे किडनी व लिवर ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीजों को फायदा मिलेगा।

डॉ। सुब्रत चंद्रा, एचओडी ट्रांसफ्यूजन डिपार्टमेंट लोहिया संस्थान

Posted By: Inextlive