हे भगवान, स्मार्ट शहर के अस्पतालों का ये हाल
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रुष्टयहृह्रङ्ख : राधिका केस 1 2 घंटे बाद भी नहीं आया नंबर श्रावस्ती निवासी राधिका पैरों की समस्या दिखाने पहुंचीं। उन्होंने बताया कि दर्द बहुत है, लेकिन 2 घंटे के इंतजार के बाद भी नंबर नहीं आया है। आज दिखाकर ही जायेंगे। हाफिजा केस 2 इंतजार है कि खत्म ही नहीं हो रहा लखीमपुर खीरी निवासी हाफिजा बेगम न्यूरो की समस्या होने पर दिखाने पहुंचीं। उन्होंने बताया कि गार्ड अंदर नहीं जाने दे रहा। काफी समय से दिखाने के लिए इंतजार कर रहे हैं। । जहीर केस 3 तीन घंटे में आया नंबर खदरा निवासी जहीर खान हड्डियों की समस्या होने पर ओपीडी में दिखाने पहुंचे। उन्होंने बताया कि करीब 3 घंटे के लंबे इंतजार के बाद नंबर आया। बड़ी मुश्किल से जांच व दवा ले पाये। केस 4 अली 2 घंटे लग गये दिखाने मेंसीतापुर निवासी अली हड्डियों के दर्द के इलाज के लिए आये थे। उन्होंने बताया कि दिखाने के लिए सुबह ही पहुंच गये थे, लेकिन नंबर करीब 2 घंटे के लंबे इंतजार के बाद आया।
द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ रुष्टयहृह्रङ्ख (7 स्द्गश्चह्ल) :स्मार्ट शहर होने का दावा करने वाले नवाबी शहर के स्मार्ट अस्पतालों का बुरा हाल है। अव्यवस्थाओं के चलते आए दिन मरीज गेट के बाहर ही दम तोड़ रहे हैं। एडमिशन तो छोडि़ए यहां तो ओपीडी में ही मरीज को दिखाना एक जंग लड़ने से कम नहीं नजर आता। यह हाल तब है जब करोड़ों रुपए का बजट इन सरकारी अस्पतालों के लिए हर साल आवंटित किया जाता है। बलरामपुर हॉस्पिटल में सोमवार को अव्यवस्था के चलते मरीज की मौत के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के तीन प्रमुख अस्पतालों में जाकर वहां के इंतजामों का जायजा लिया। पेश है रिपोर्ट
अस्पताल- बलरामपुर अस्पताल, कैसरबाग 4 हजार मरीज रोजाना दिखाने आते लावारिस मरीज पर नहीं दे रहे ध्यानबलरामपुर अस्पताल के गेट के बाहर मरीज की मौत के मामले के बाद अधिकारियों की नींद टूटी तो गेट नंबर 1 भले ही खोल दिया गया हो, लेकिन मरीजों के इलाज का कोई पुरसाहाल नहीं है। यहां रोजाना 4 हजार के करीब मरीज दिखाने पहुंच रहे है। इमरजेंसी मरीजों से फुल चल रही है। कैजुअल्टी से मरीज को फर्स्ट फ्लोर पर शिफ्ट करने में खासी दिक्कतें हो रही हैं क्योंकि अधिकारियों ने इमरजेंसी वार्ड में जाने के दो रास्ते बंद करा दिए हैं। इसमें जीना और रैंप शामिल है। अब सिर्फ एक लिफ्ट के जरिये ही जाया जा सकता है। इससे मरीज संग डॉक्टर व कर्मचारी जा रहे हैं। ऐसे में संक्रमण के साथ कोई अनहोनी होने पर बड़ी समस्या हो सकती है।
लावारिस महिला मरीज को देखने वाला कोई नहीं बलरामपुर की इमरजेंसी के फर्स्ट फ्लोर पर एक लावारिस महिला मरीज फर्श पर अकेले पड़ी हुई है। हालत यह है कि डॉक्टर व स्टाफ बगल से निकल रहे हैं, लेकिन कोई देखने को तैयार नहीं है। ऐसे में संक्रमण फैलने का भी खतरा बना हुआ है। तीमारदार मुंह पर रूमाल रखकर बगल से निकल रहे हैं जबकि अस्पताल अभी कोविड अस्पताल है। 4 घंटे में आता है नंबर वहीं ओपीडी में भी रजिस्ट्रेशन से लेकर डॉक्टर को दिखाने में घंटों लग रहे हैं। सुबह 8 बजे रजिस्ट्रेशन लाइन में लगने के बाद दिखाते दिखाते 3-4 घंटा तक लग जा रहा है। कोट अस्पताल में आने वालों को समझाया जा रहा है। कोविड जांच कराई जा रही है। डॉ। रवींदु श्रीवास्तव, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल- सिविल अस्पताल, हजरतगंज 3 हजार मरीज रोजाना आते दिखाने पर्चा से लेकर सैंपल तक में लाइनराजधानी के वीवीआईपी इलाके में स्थित सिविल अस्पताल में रोजाना 3 हजार से अधिक मरीज दिखाने आते हैं। यहां रजिस्ट्रेशन से लेकर डॉक्टर को दिखाने और सैंपल देने तक घंटों लाइन में लगना पड़ता है। भीड़ से कोविड नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। वहीं भीड़ की वजह से कई बार समय पूरा होने पर सैंपल के लिए अगले दिन परेशान होना पड़ता हैं क्योंकि डॉक्टर द्वारा लिखी जांच के लिए पहले वायल लेने के लिए लंबी लाइन के बाद ही सैंपल कलेक्ट हो पाता है। ऐसे में मरीजों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।
कोट लोगों को लगातार कोविड नियमों पालन के लिए कहा जाता है। प्रशासन अपने स्तर से हर संभव काम कर रहा है, लेकिन लोग हैं कि मानते ही नहीं हैं। - डॉ। एसके नंदा, सीएमएस, सिविल अस्पताल अस्पताल- केजीएमयू, चौक 6 हजार रोजाना दिखाने आते भीड़ बनी मुसीबतराजधानी के सबसे बड़े केजीएमयू अस्पताल में कोविड रिपोर्ट दिखाने के बावजूद मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। जहां मरीजों के रजिस्ट्रेशन, कोविड जांच, डॉक्टर को दिखाने से लेकर सैंपल या जांच तक में पसीने छूट रहे हैं। वैक्सीनेशन रिपोर्ट की वैधता के बाद तो भीड़ बढ़ गई है। मरीज एक फ्लोर से दूसरे फ्लोर का चक्कर काटने को मजबूर हैं क्योंकि डॉक्टर किसी और फ्लोर पर तो सैंपल किसी और फ्लोर पर और एक्स-रे आदि जांच दूसरी जगहों पर होती है।
कोट संस्थान में आने वाले सभी मरीजों को देखा जा रहा है। लोगों से कोविड नियमों के पालन के लिए कहा जा रहा है। नियमों का पालन सख्ती से कराया जायेगा। - डॉ। सुशील सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू