इलाहाबाद निवासी हर्षित यादव को पैनक्रियाटाइटिस अग्नाशय में सूजन होने के कारण उनके पेट में अग्नाशय के आसपास सडऩ से गंदगी जमा हो गई थी। जिससे पेट में दर्द बुखार उल्टी और खाना खाने में दिक्कत हो रही थी। इस स्यूडोसिस्ट के कारण आसपास की खून की नसें बंद हो गई थीं।


लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में अग्नाशय में स्यूडोसिस्ट का इलाज पहली बार ईयूएस (इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड) विधि से किया गया। अभी इलाज के लिए पाइप डालकर या सर्जरी करनी पड़ती थी। इलाज के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है। केजीएमयू वीसी डॉ। बिपिन पुरी और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ। सुमित रुंगटा ने पूरी टीम को बधाई दी है।गंदगी जमा हो गई थीइलाहाबाद निवासी हर्षित यादव को पैनक्रियाटाइटिस (अग्नाशय में सूजन) होने के कारण उनके पेट में अग्नाशय के आसपास सडऩ से गंदगी जमा हो गई थी। जिससे पेट में दर्द, बुखार, उल्टी और खाना खाने में दिक्कत हो रही थी। इस स्यूडोसिस्ट के कारण आसपास की खून की नसें बंद हो गई थीं। मरीज ने केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में सहायक आचार्य डॉ। अनिल गंगवार को दिखाया।10 मिनट में हुआ इलाज
मरीज की सहमति से इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड विधि से पेट के द्वारा मेटल स्टैंड डाला गया। जिसमें 10 मिनट का समय लगा। मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और उसे दूसरे दिन डिस्चार्ज भी कर दिया गया। डॉ। अनिल गंगवार ने बताया कि इस विधि को इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड सिस्टोगैस्ट्रोस्टॉमी कहा जाता है। टीम में डॉ। संजीव, डॉ। कृष्ण पाल कोहली, टेक्नीशियन जितेंद्र और एनेस्थीसिया विभाग से डॉ। नवीन मौजूद रहे।क्या होता है पैंक्रियाटाइटिस


डॉ। अनिल गंगवार ने बताया कि पैंक्रियाटाइटिस घातक एवं जटिल बीमारी है। यह पित्त की थैली में पथरी एवं शराब के सेवन से होती है। इस बीमारी में पैंक्रियाज के आसपास मवाद हो जाता है। सर्जरी से जटिलता को कम करने के लिए एंडोस्कोपी विधि से इलाज किया गया। इस प्रक्रिया में मरीज को भर्ती करना पड़ता तथा यह प्रक्रिया गंभीर मरीजों में भी की जा सकती है। जिनमें सर्जरी जोखिम भरा कार्य होता है।

Posted By: Inextlive