- अस्पतालों में मरीज ठीक होने के बावजूद नहीं छोड़ रहे बेड

- डॉक्टर्स की अपील, हालत सही होने पर दूसरे गंभीर मरीजों का रखें ध्यान

LUCKNOW: एक ओर कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में बेड मिलने की समस्या हो रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी मरीज है जो काविड अस्पतालों में भर्ती होने के साथ पहले के मुकाबले काफी ठीक भी है, लेकिन डर के कारण हॉस्पिटल छोड़ना नहीं चाह रहे हैं। वह डॉक्टर पर ऑक्सीजन जारी रखने या वेंटिलेटर पर ही रहने का दबाव बना रहे हैं जबकि डॉक्टर्स का कहना है कि वह बिलकुल ठीक है और घर पर रहकर आराम से कोरोना को मात दे सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर्स भी मरीजों के साथ उनके तीमारदारों से अपील कर रहे है कि ठीक हालत होने पर घर जाकर स्वास्थ्य लाभ लें ताकि दूसरे गंभीर मरीजों को बेड और इलाज मिल सके।

मरीजों को डरना नहीं चाहिए

लोकबंधु कोविड अस्पताल के एमएस डॉ। अजय शंकर त्रिपाठी बताते हैं कि उनके यहां कई मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर चल रहे है, लेकिन कई मरीज ऐसे भी है जिनके ऑक्सीजन लेवल में काफी सुधार आ चुका है। उनको अब ऑक्सीजन सपोर्ट की भी जरूरत नहीं है, लेकिन जैसे ही सपोर्ट हटाओ तो मरीज नाराज होने लगते हैं। वे दबाव बनाने लगते हैं कि उनका ऑक्सीजन सपोर्ट न हटाया जाये। ऐसे में हम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। तीमारदारों को भी समझाते हैं लेकिन वो भी सुनने को तैयार नहीं होते। हम लोग मानते हैं कि कोरोना के डर के कारण ऐसा कर रहे हैं, लेकिन मरीजों और तीमारदारों को भी समझना चाहिए अगर तबियत ठीक है तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार घर पर आराम करें ताकि दूसरे गंभीर मरीजों को भी बेड व इलाज मिल सके।

मरीज जाने को नहीं होते तैयार

सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ। एससी सुंद्रियाल बताते हैं कि उनके यहां करीब 45 बेडों पर डायरेक्ट ऑक्सीजन सप्लाई है और सभी बेड भरे हुये हैं, जिसकी वजह से हम लोग दूसरे मरीजों को भर्ती नहीं कर पा रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि कई मरीज डिस्चार्ज ही नहीं होना चाह रहे हैं। जैसे ही उनको डिस्चार्ज के लिए कहो, मरीज और उनके तीमारदार दबाव बनाना शुरू कर देते हैं, जिसकी वजह से हम लोग भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाते हैं मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं, लेकिन फिर भी वो बेड पर लेटा हुआ ऑक्सीजन ले रहा है। इसकी वजह से दूसरे मरीजों को भी दिक्कत होती है। ऐसे में हमारे अस्पताल प्रशासन का सभी मरीजों खासकर उनके तीमारदारों से अपील है कि वो बिना वजह डॉक्टर्स पर दबाव न बनायें। कोई भी डॉक्टर अपने मरीज का अहित नहीं चाहेगा। डॉक्टर पर विश्वास करें और उसकी बताई सलह के अनुसार डिस्चार्ज होकर घर पर आराम करें, जिससे और जल्दी ठीक होंगे। ऐसे में दूसरे गंभीर मरीजों को बेड मिल सकेगा और उनकी जिंदगियां बचाई जा सकेगी।

डर होना स्वाभाविक है

लोहिया संस्थान के कोविड अस्पताल के प्रवक्ता डॉ। श्रीकेश सिंह बताते हैं कि मरीजों में कोरोना को लेकर एक प्रकार का डर बैठ जाता है। उनको लगता है कि जबतक अस्पताल में रहेंगे तो ठीक रहेंगे। घर जाते ही तबियत खराब हो जायेगी। उनके अंदर यह डर स्वाभाविक भी है। ऐसे में उनकी काउंसलिंग कराने का काम किया जाता है। मरीजों और उनके तीमारदारों को समझाया जाता है कि अब उनको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं। वो घर पर आराम से आइसोलेशन में रहकर कोरोना से ठीक हो सकते हैं, लेकिन अक्सर वो मानने को तैयार नहीं होते हैं। इसकी वजह से बेड खाली न हो पाने के कारण दूसरे मरीजों को भर्ती नहीं कर पाते हैं। हम सभी से यही अपील करते हैं कि कोरोना से डरने के नहीं बल्कि उससे डटकर मुकाबला करने की जरूरत है। अपने डॉक्टर्स पर भरोसा रखें आप सुरक्षित हाथों में हैं।

Posted By: Inextlive