मरीजों की सुविधा के लिए यहां पर साइन बोर्ड के अलावा टोकन स्क्रीन की व्यवस्था की जानी थी जो अब तक लागू नहीं हुई है। डॉक्टरों के पद भी खाली हैं जिससे डॉक्टरों पर मरीजों का लोड बढ़ गया है।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी का डॉ। श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल कहने को तो वीआईपी अस्पताल है, क्योंकि यहां अक्सर सीएम से लेकर अन्य मंत्रियों का आना-जाना लगा रहता है। वहीं आसपास के जिलों से भी हजारों मरीज रोज आते हैं। इसके बाद भी यहां सुविधाओं का टोटा है। आलम यह है कि यहां मरीजों को ठीक से बैठने की जगह तक मिलना मुश्किल है। हालांकि, अधिकारी कहते हैं कि जो भी समस्याएं हैं, उन्हें जल्द दूर कर लिया जाएगा।झेलनी पड़ती हैं दिक्कतें


सिविल में 400 से अधिक बेड हैं और करीब 85 डॉक्टर तैनात हैं। डॉक्टरों के कई पद यहां खाली चल रहे हैं। रोज ढाई हजार से अधिक मरीज इलाज कराने आते हैं। पारा निवासी 50 वर्षीय गीता कश्यप बुधवार को दर्द की समस्या लेकर यहां आईं। उन्होंने बताया कि वह सुबह 10 बजे यहां आ गई हैं। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर काफी देर लाइन में लगी रही। खड़े होने में दिक्कत होती है, ऐसे में लाइन में लगने से दर्द और बढ़ गया है। रजिस्ट्रेशन कराने में ही 50 मिनट से अधिक का समय लग गया।पांच मिनट में देख लिया

गीता कश्यप ने बताया कि डॉक्टर के रूम में बाहर भी लंबी लाइन लगी थी। यहां भी बैठने की जगह न मिलने से वह काफी देर खड़े होकर अपना नंबर आने का इंतजार करती रहीं। गेट पर खड़ा कर्मचारी ठीक से बात भी नहीं कर रहा था। यहां गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं है। वहीं जो परचित आ रहे थे, उन्हें बिना लाइन के ही डॉक्टर को दिखाया जा रहा था। करीब 30 मिनट बाद वे डॉक्टर को अपनी समस्या बता सकीं। डॉक्टर ने केवल तकलीफ पूछी और दवा लिख दी।गरीब आदमी बाहर से कैसे ले दवागीता ने बताया कि उन्हें जो दवाएं लिखी गई हैं, उसमें एक दवा यहां नहीं मिल रही है। पूछने पर बताया गया कि यह दवा बाहर मिल जाएगी। हम गरीब हैं, अब बताएं महंगी दवा भला कैसे ले सकते हैं।पूरा दिन निकल जाता है

इसी तरह जियामऊ से दिखाने आईं 60 वर्षीय तुलसी देवी ने भी अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने बताया कि उनके घुटनों में दर्द है। हड्डी के डॉक्टर को दिखाने आई हैं। पर्चा बनवाने और डॉक्टर को दिखाने में ही तीन घंटे के करीब का समय लग गया है। पूरी दवाएं भी नहीं मिली हैं। कह रहे हैं कि बाहर से ले लो, ये दवाएं अभी अस्पताल में नहीं हैं। बाहर मेडिकल स्टोर गईं तो पता चला कि ये दवाएं काफी महंगी हैं, जो वह नहीं खरीद सकती हैं।मूलभूत सुविधाएं ही नहींसिविल में मरीजों के बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते मरीजों को तो दिक्कत होती ही है, वहीं बुजुर्ग तीमारदार भी परेशान होते हैं।व्यवस्था नहीं हो सकी लागूमरीजों की सुविधा के लिए यहां पर साइन बोर्ड के अलावा टोकन स्क्रीन की व्यवस्था की जानी थी, जो अब तक लागू नहीं हुई है। डॉक्टरों के पद भी खाली हैं, जिससे डॉक्टरों पर मरीजों का लोड बढ़ गया है।1 से 13 नंबर तक की ओपीडी को तोड़कर नया बनाने का कैबिनेट आर्डर हो चुका है। यह काम कब पूरा होगा इसके बारे में ज्यादा पता नहीं है। मरीजों को कोई परेशानी न हो इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हंै। -डॉ। आरपी सिंह, सीएमएस, सिविल अस्पताल

Posted By: Inextlive