राजधानी के एसजीपीजीआई में दिखाने आ रहे मरीज अब फर्जी कोविड रिपोर्ट का सहारा ले रहे हैं। यहां ओपीडी में दिखाने आने वाले कई मरीजों के पास फर्जी कोविड निगेटिव रिपोर्ट होने का खुलासा हुआ है। यह जानकारी सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया है क्योंकि इससे अस्पताल को कोरोना संक्रमण से बचाने की रणनीति पर पानी फिर सकता है। अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक विभाग व स्टाफ की जिम्मेदारी है कि ऐसी फर्जी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट को पकड़े।

लखनऊ (ब्यूरो)। पीजीआई की ओपीडी में दिखाने के लिए रजिस्ट्रेशन के साथ कोविड निगेटिव रिपोर्ट जरूरी है। कई मरीज जल्द दिखाने के चक्कर में फर्जी रिपोर्ट लगाकर ओपीडी में पहुंच जाते हैं। शुक्रवार को एक मरीज के पास से फर्जी कोरोना रिपोर्ट बरामद हुई है। जिस पर किसी लैब का नाम तक नहीं था। फर्जी क्यूआर कोड लगा था। कर्मचारियों की सजगता से इसे पकड़ा गया।
चल रहा गोरखधंधा
पीजीआई के आसपास कई दवा की दुकानें हैं। जहां लोग कंप्यूटर लेकर बैठते हैं और एडिटिंग करके फर्जी कारोना जांच रिपोर्ट बनाते हैं। गौरतलब है कि इस तरह के मामले पहले भी पीजीआई में आ चुके हैं। इन मामलों में एफआईआर भी कराई गई थी। इसके बाद भी यह धंधा बंद नहीं हो रहा है।
एफआईआर दर्ज होती है
सीएमएस डॉ। गौरव अग्रवाल ने बताया कि बीच-बीच में इस तरह के मामले आते रहते हैं। इसे देखते हुए स्ट्रीक्ट पॉलिसी के तहत एफआईआर दर्ज कराई जाती है। लोगों को इस तरह का काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे अन्य लोगों पर संक्रमण का खतरा बन जाता है।

डॉक्टर्स व स्टॉफ की जिम्मेदारी
फर्जी रिपोर्ट को लेकर अस्पताल प्रशासन द्वारा कई चेक प्वाइंट बनाये गये हैं। जिसके तहत यूपी कोविड लैब पोर्टल पर रिपोर्ट देखी जाती है। निजी लैब की रिपोर्ट को काउंटर पर चेक किया जाता है। संस्थान में जहां कलेक्शन सिस्टम है, वहां मरीज व तीमारदारों के अलावा कोई बाहरी न आये, इसके पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ताकि गड़बड़ी न हो। वहीं, डॉक्टर्स व स्टॉफ पर जिम्मेदारी है कि इस तरह की फर्जी रिपोर्ट को पकडऩे का काम करें।


बीच-बीच में फर्जी कोरोना रिपोर्ट के मामले सामने आते रहते हंै। जिसपर एफआईआर दर्ज कराई जाती है। लोगों को इस तरह के काम करने से बचना चाहिए।
डॉ गौरव अग्रवाल, सीएमएस पीजीआई

Posted By: Inextlive