पीजीआई में दवा घोटाला में पीडी अकाउंट से हुआ खेल
- जिनकी सर्जरी कोरोना के चलते नहीं हो सकी, उनके खाते से हुआ खेल
LUCKNOW:पीजीआई में दवा घोटाला सामने आने के बाद पूरा खेल पोस्ट डिपाजिट यानि पीडी की ओर इशारा कर रहा है। ओपीडी फार्मेसी, वार्ड या ओटी में काम करने वालों, मैसेंजर यानि दवा पहुंचाने वालों की निगरानी के लिए इंचार्ज रखे गए हैं। इन लोगों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। कोरोना के चलते टल गई थी सर्जरी पीजीआई में हर साल करीब एक हजार पीडी अकाउंट के मरीज आते हैं। इस बार कोरोना के कारण सैकड़ों मरीजों की सर्जरी टल गई थी। इन मरीजों को बाद में बुलाया गया तो पीडी सेल में पैसा मरीज के रजिस्टर्ड नंबर पर ट्रांसफर कराने के लिए गया। तो पता चला कि उसके खाते में पैसा ही नहीं है। दवा दूसरे विभाग कीप्लास्टिक सर्जरी का मरीज और दवा कैंसर के डॉक्टर के नाम पर निकली गई थी। शिकायतकर्ता मरीज प्लास्टिक सर्जरी का था। लेकिन जांच में पता चला कि उसके नाम पर दवा दूसरे विभाग के डॉक्टर के नाम पर निकाली गयी।
बाक्स नहीं दे पाए ध्यानसंस्थान में विधायक, पूर्व विधायक, सचिवालय सहित कई विभाग के मरीजों के इलाज के लिए एक मुश्त पैसा आता है। पैसा मरीज के रजिस्ट्रेशन नंबर पर तभी ट्रांसफर होता है, जब मरीज डिमांड करता है। यह डिमांड डॉक्टर एचआईएस सिस्टम में करते हैं। जब 15-20 हजार खत्म हो जाते है, उसके बाद दोबारा डिमांड की जाती है। डिस्चार्ज के समय पैसे का पूरा विवरण मरीज के साथ अकाउंट सेक्शन को दिया जाता है। बचा पैसा मूल कोष में वापस चला जाता है। लेकिन कोरोना के चलते अधिकारियों का भी ध्यान इस ओर नहीं गया।
कोट पुलिस को सारी जानकारी दी जाएगी। आगे कुछ और लोगों पर कार्रवाई हो सकती है। जांच लगातार जारी है। प्रो। आरके धीमान, निदेशक पीजीआई