लखनऊ यूनिवर्सिटी में पीएचडी एडमिशन प्रक्रिया में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। सीनियर डीन की ओर से इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई गई है। जिसके बाद एलयू ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया है। आरोप है कि कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट की मेरिट से छेड़छाड़ की गई है। इंटरव्यू में जो माक्र्स कैंडीडेट्स को दिए गए उन्हें एडमिशन कोऑर्डिनेटर स्तर से पूरी तरह बदल दिया गया। इसका खुलासा कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट के एचओडी और मौजूदा डीन सांइस फैकल्टी प्रो। बृजेंद्र सिंह के पत्र से हुआ है।


लखनऊ (ब्यूरो)। इस मामले की जानकारी होते ही एलयू वीसी प्रो। आलोक कुमार राय की ओर से तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति में रिटायर्ड न्यायमूर्ति केडी सिंह, न्यायमूर्ति भगीरथ वर्मा और रिटायर्ड आईएएस प्रभात मित्तल का शामिल किया गया है। ऐसे हुआ खुलासा


कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट में सेशन 2019-20 में पीएचडी की 6 सीटों के लिए आवेदन मांगे गए थे। तत्कालीन एचओडी प्रो। बृजेंद्र सिंह ने 4 सीटों पर एडमिशन लिए जाने की बात कही। इसके बावजूद, यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से 6 सीटों के लिए आवेदन मांगे गए। यूनिवर्सिटी प्रशासन के आदेश पर 5 सदस्य समिति ने आवेदन करने वाले कैंडीडेंट्स के इंटरव्यू लिए और माक्र्स डिपार्टमेंट की ओर से एडमिशन कमेटी को भेजकर प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भेजा गया। जिसके बाद एचओडी की तरफ से बीते जून में एलयू प्रशासन को एक लेटर भेजा गया। जिसमें एडमिशन प्रक्रिया देख रहे एडमिशन कोऑर्डिनेटर और उनकी टीम पर सवाल खड़े किए गए। आरोप लगाया गया कि जो माक्र्स इंटरव्यू करने वाली समिति की तरफ से एडमिशन के संबंध में को भेजे गए थे, उनमें फेरबदल किया गया है। स्टूडेंट्स का कोर्स वर्क फंसा

एचओडी की आपत्ति के बावजूद एडमिशन कोऑर्डिनेटर के लेवल पर एडमिशन की प्रक्रिया पूरी कर 6 सीटों पर कैंडीडेंट्स को एडमिशन दिए गए। अब इन कैंडीडेंट्स का कोर्स वर्क और आगे की प्रक्रिया फंस गई है। वहीं एलयू प्रशासन अभी तक इस मामले में चुप्पी साधे बैठा हुआ था। वीसी के आदेश पर कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की ओर से जो रिपोर्ट आएगी, उसी आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।

डॉ विनोद कुमार सिंह, रजिस्ट्रार

Posted By: Inextlive