हर सल नवंबर में यातायात माह मनाया जाता है। योजनाएं बनाई जाती हैं और बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। इन दावों से लोगों को लगता है कि अब उन्हें राजधानी में बेपटरी हो चुकी यातायात व्यवस्था से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन ऐसा होता नहीं है। यातायात माह खत्म होते ही सारे दावे और वादे हवा में उड़ जाते हैं। सब कुछ पहले जैसा चलने लगता है। ट्रैफिक पुलिस यातायात माह में सिर्फ चालान कर अपना पल्ला झाड़ लेती है।

लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में ट्रैफिक पुलिस के पास न पर्याप्त संख्या बल है और ना ही पुख्ता संसाधन। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिर्फ 456 ट्रैफिक कर्मचारियों के हाथ राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था की कमान है। जबकि यहां की जनसंख्या और मौजूद वाहनों को देखते हुए यहां एक हजार से अधिक ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की जरूरत है। नियनत के अनुसार 639 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की आवश्यकता है।

चालान नहीं सॉल्यूशन
यातायात माह में यहां लोगों ने ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन में करीब 17 लाख रुपए से अधिक का चालान भरा है। जबकि यातायात माह का उद्देश्य यातायात के नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करना भी है। इसके लिए डिपार्टमेंट की ओर से जागरूकता कार्यक्रम भी किए जाते हैं। हालांकि जमीन पर इसका कोई असर नहीं दिखता है। डिपार्टमेंट खुद मानता है कि शहर में जितने ट्रैफिक सिग्नल की जरूरत है, उतने सिग्नल यहां मौजूद नहीं है। वहीं कई चौराहे ऐसे हैं, जहां ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की ड्यूटी भी नहीं लगाई जा पाती है।

राजधानी में ट्रैफिक पुलिस की मैन पॉवर
पद नियतन उपलब्धता जरूरत
ट्रैफिक इंस्पेक्टर 12 09 03
ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर 120 78 42
ट्रैफिक हेड कांस्टेबल 219 189 15

राजधानी में ट्रैफिक फोर्स की जरूरत
वर्तमान में तैनाती 456 कर्मचारी
जरूरत है 639 कर्मचारियों की

कितने ट्रैफिक सिग्नल हैं
- 155 ट्रैफिक सिग्नल प्रपोज्ड हैं
- 132 ट्रैफिक सिग्नल काम कर रहे
- 97 चौराहों पर लाइव सर्विलांस

ट्रैफिक मंथ में किस मद में कितने चालान
मद चालान शमन शुल्क
हेलमेट 5488 2,41,500 रुपये
तीन सवारी 482 28,600 रुपये
सीट बेल्ट 1790 1,68,500 रुपये
बिना लाइसेंस 815 18,400 रुपये
प्रदूषण 422 1,12,500 रुपये
रॉग साइट 1055 2,49,000 रुपये
नो पार्किंग 8778 5,87,000 रुपये
अन्य चालान 4852 3,74,000 रुपये
नोट- कुल चालान 23,692, 17, 79, 500 रुपये चालान वसूला गया।

मौत का आंकड़ा नहीं हो रहा कम
रोड एक्सीडेंट में मौत का आंकड़ा भी कम नहीं हो रहा है। कई प्वाइंट को चिन्हित कर केवल ब्लैक स्पॉट घोषित कर दिया गया। हर साल सैकड़ों लोगों की मौत ध्वस्त ट्रैफिक व्यवस्था के चलते होती है। एक बड़े अधिकारी की माने तो अमेरिका में रोड एक्सीडेंट की घटनाएं ज्यादा होती है लेकिन उसमें होने वाली मौत के मामले में भारत वल्र्ड में दूसरे स्थान पर हैैं।

511 चौराहों में 155 पर ट्रैफिक सिग्नल
राजधानी में करीब 511 तिराहे व चौराहों हैं लेकिन डिपार्टमेंट के अनुसार 155 चौराहों पर ही ट्रैफिक सिग्नल प्रपोजट्स हैैं। वहीं मात्र 132 चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल काम कर रहे है। ऐसे में मैनुअॅल ट्रैफिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी ट्रैफिक कर्मचारियों पर आती है, लेकिन कर्मियों की संख्या कम होने से हर चौराहे पर इनकी ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती है।

रिपोर्ट के आधार पर होगा काम
डीएम अभिषेक प्रकाश ने कहा कि जल्द ही इंटरनेशनल कमेटी से शहर की सड़कों का निरीक्षण कराया जाएगा। कमेटी पहले रिपोर्ट तैयार करेगी। उसके बाद उसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जेसीपी लॉ एंड आर्डर पीयूष मोर्डिया ने कहा कि मुख्य मार्ग पर बने गेस्ट हाउस की पार्किंग लोग अन्य कार्यों में प्रयोग कर रहे हैं। इसने खिलाफ भी कार्रवाई जल्द ही अभियान चलाकर की जाएगी।

यातायात माह के समापन अवसर पर कई प्रोजेक्ट का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। इसके तहत जल्द एक इंटरनेशनल कंपनी ट्रैफिक पर काम करेगी। ट्रैफिक व्यवस्था में बाधा पैदा करने वालों के लिए नगर निगम, जिला प्रशासन, पुलिस व अन्य एजेंसियों की एक संयुुक्त टीम बनाकर काम किया जाएगा।
- श्रवण कुमार सिंह, एडीसीपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive