- शहर की सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रहे अनफिट वाहन

- एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर होते रहते कंस्ट्रक्शन वर्क

LUCKNOW पॉल्यूशन का ग्राफ बढ़ते ही जिम्मेदार विभाग एक्शन मोड में आ जाते हैं और तैयारियां शुरू कर देते हैं। हर साल तैयारियां की जाती हैं, लेकिन अंतत: बेहतर परिणाम सामने नहीं आते हैं। हर साल होने वाली तैयारियों और उसके असर पर आधारित दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की रिपोर्ट।

1-40 फीसदी अनफिट वाहन

योजना-शहर की सड़कों पर अनफिट वाहन नहीं दौड़ेंगे, नियमित अभियान चलेगा और कार्रवाई की जाएगी।

हकीकत-50 फीसदी अनफिट वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे

2-पीयूसी सर्टिफिकेट

योजना-सभी कॉमर्शियल वाहनों के लिए पीयूसी (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) सर्टिफिकेट जरूरी होना था और नियमित रूप से इसकी चेकिंग की जानी थी।

हकीकत-60 फीसदी कॉमर्शियल वाहनों के पास पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं

3-ओपन डंपिंग सेंटर्स

योजना-पूरे शहर में ओपन डंपिंग सेंटर्स को समाप्त किया जाना था, जिससे खुले में कूड़ा न दिखे।

हकीकत-अभी तक सिर्फ 55 ओपन डंपिंग प्वाइंट्स को ही समाप्त किया जा सका है। कुल ओपन डंपिंग प्वाइंट्स की संख्या 200 के पार है।

4-कवर होंगी कंस्ट्रक्शन साइट्स

योजना-एनजीटी की गाइडलाइंस में साफ है कि सभी कंस्ट्रक्शन साइट्स कवर रहेंगी साथ ही निर्माण सामग्री को भी कवर रखा जाएगा।

हकीकत-शहर में खुलेआम आवासीय और कॉमर्शियल साइट्स चल रही हैं। करीब 70 फीसदी साइट्स में एनजीटी नियमों का पालन नहीं हो रहा है।

5-खुले में कूड़ा जलाना

योजना-हर साल योजना बनाई जाती है कि खुले में कूड़ा नहीं जलाया जाएगा। नियमित मॉनीटरिंग होगी।

हकीकत-गली-मोहल्लों में नियमों की धज्जियां उड़ती हैं और कोई कार्रवाई नहीं होती है।

6-ईंट-भठ्ठा-इंडस्ट्रीज को नोटिस

योजना-पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से इंडस्ट्रीज व ईंट-भठ्ठा को नोटिस जारी करके पॉल्यूशन कंट्रोल करने वाले मानकों का अनुपालन करने संबंधी वार्निग दी जाती है।

हकीकत-30 फीसदी इंडस्ट्रीज और 60 फीसदी ईंट भठ्ठे में पॉल्यूशन नियंत्रण मानकों का पालन नहीं किया जाता है।

7-मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल

योजना-हर साल मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के लिए प्लांट लगाने की योजना बनाई जाती है, अस्पतालों को नोटिस भी दी जाती है।

हकीकत-अभी तक मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल प्लांट का इंतजार है।

Posted By: Inextlive