रिकार्ड बनाने के लिए पौधे तो लगाते हैं, पर पता नहीं कहां चले जाते हैं
लखनऊ (ब्यूरो)। आलम यह है कि लालबाग, हजरतगंज, तालकटोरा, अलीगंज समेत कई इलाके ऐसे हैैं, जहां का एक्यूआई लेवल 200 के पार रहता है। जिसे लोगों की हेल्थ की दृष्टि से बेहतर नहीं माना जा सकता है। हर साल होता पौधरोपणशासन के निर्देश पर हर साल पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। हर साल पौधरोपण का आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले अधिक ही होता है। एलडीए, नगर निगम और वन विभाग की ओर से पौधरोपण तो करा दिया जाता है लेकिन उसके बाद प्रॉपर ऑडिट न कराए जाने से यह भी स्पष्ट नहीं हो पाता है कि जो पौधे लगाए गए थे, वह कैसे हैं। इस बार है ये तैयारी
पिछले सालों के मुकाबले इस साल हरियाली पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इसका अंदाजा पौधरोपण के लक्ष्य से लगाया जा सकता है। जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उससे साफ है कि प्रमुख मार्गों, ग्रीन बेल्ट के साथ:साथ अर्द्ध विकसित पार्कों में पौधरोपण किया जाएगा। इसके साथ ही नक्षत्र वाटिकाएं विकसित करने के साथ ही पंचमंत्र भी दिया गया है। ये हैैं पंचमंत्र
- हर अधिकारी स्वयं एवं अन्य लोगों को प्रेरित करेंगे कि वह अपने परिवार के सदस्यों के नाम एक-एक फलदार पौधा लगाएं। इन पौधों की देखभाल उनके फल देने की क्षमता विकसित होने तक की जाएगी। यह पौधे सामुदायिक भूमि एवं पार्क में लगाए जाएंगे। - सभी लोग अपने घर परिवार, आस-पड़ोस व समाज के लिए लगाएंगे औषधीय पौधे, जो हम खुद भी इस्तेमाल कर सके और आस पास के लोग भी इस्तेमाल कर सकें।- जो भी पौधरोपण किया जाएगा, वह जनपद द्वारा जीपीएस ट्रैक के साथ विकसित माई ट्री एप पर अपलोड किया जाएगा। - प्रत्येक विभाग अपने स्तर से 15 से 20 विद्यालय गोद लेंगे व इन विद्यालयों में 75 फलदार पौधे लगाएंगे। ये अमृत वन कहलाएंगे। - गोमती नदी के दोनों किनारों पर 1.5 किमी तक सभी विभाग अपने-अपने क्षेत्र चिन्हित करेंगे व पौधरोपण कराएंगे।
ताकि पर्यावरण हेल्दी रहे1- मलबे को कवर करनानिगम की ओर से रोजाना रोड पर मलबे के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कार्रवाई में जुर्माना भी लगाया जा रहा है। अभी तक दो लाख से अधिक जुर्माना निगम के कोष में जमा हो चुका है। 2-वेस्ट जलाने पर रोकवेस्ट जलाने पर भी कड़ाई से रोक लगाई गई है। इसके लिए वार्डवार टीमें गठित की गई हैैं। वेस्ट जलाने पर जुर्माना लगाने के साथ ही विधिक कार्रवाई भी की जा रही है। 3-पानी का छिड़काव
हाईटेक मशीनों के माध्यम से एयर और ग्रीन बेल्ट में पानी का छिड़काव कराया जा रहा है। इसका असर भी देखने को मिला है। पहले के मुकाबले अब एक्यूआई लेवल में गिरावट दर्ज की जा रही है।