आए दिन पीड़ित इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर पर जांच की संतुष्टि न होने पर आरोप लगाते हैं इसके लिए पुलिस कमिश्नर ऑफिस से लेकर डीसीपी और थाना चौकी में पीड़ितों की लाइनें लगी रहती थी।


लखनऊ (ब्यूरो)। एफआईआर दर्ज होने के बाद अपने केसों का स्टेटस जानने और विवेचना में हो रही गड़बड़ी को ठीक कराने के लिए पीडि़तों को अब बार-बार थानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेेंगे। इसके लिए यूपी पुलिस ने फरियादियों के लिए नया ब्लूप्रिंट तैयार किया है, जिसे 7 जून से आम पब्लिक के लिए लागू कर दिया जाएगा। इसके तहत अब कोई भी पीडि़त यूपी कॉप एप्लीकेशन पर जाकर घर बैठे ही अपने केसों का स्टेटस जानने के साथ-साथ इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (आईओ) की शिकायत कर सकता है। इसके लागू होने के बाद हजारों फरियादियों को राहत मिलेगी। यह सुविधा लखनऊ कमिश्नरेट के साथ-साथ यूपी के सभी जिलों में लागू होगी।सुधरेगी पुलिस की वर्किंग


पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आए दिन पीडि़त इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर पर जांच की संतुष्टि न होने पर आरोप लगाते हैं, इसके लिए पुलिस कमिश्नर ऑफिस से लेकर डीसीपी और थाना चौकी में पीडि़तों की लाइनें लगी रहती थीं। अधिकतर मामलों में उनको इंसाफ नहीं मिल पाता था। ऐसे में पीडि़तों को उनके एफआईआर के स्टेटस की जानकारी देने और पुलिस की वर्किंग में पारदर्शिता लाने के लिए यूपी पुलिस की टेक्निकल सर्विस की तरफ से बड़ा कदम उठाया गया है। इसमें न सिर्फ पुलिस पारदर्शी तरीके से कार्य कर सकेगी, बल्कि पीडि़त को भी अपने केस की प्रोग्रेस रिपोर्ट जानने के लिए थाने-चौकी के चक्कर नहीं लगाने होंगे।इसलिए शुरू हो रहा सिस्टमअधिकारियों ने बताया कि जब भी कोई पीडि़त थानों में एफआईआर दर्ज कराता है, तो उसे इस बात का डर सताता है कि कहीं इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर दूसरे पक्ष से तो मिला हुआ नहीं है। जिससे केस की जांच सही तरीके से नहीं हो रही है। पीडि़तों की तरफ से शिकायत पर कई मामलों में आरोप सही भी पाए जाते हैं, लेकिन अधिकतर आरोप झूठे ही होते हैं। ऐसे में अब जब यूपी कॉप में हर रोज केस की प्रोग्रेस रिपोर्ट अपलोड होगी, तो पारदर्शिता आने के साथ साथ इस तरह के आरोप भी नहीं लग सकेंगे। साथ ही एक महीने के भीतर शिकायतों का निस्तारण करने का समय मिलेगा।जुड़ेगा 'पुलिस एडवांस कंप्लेंट' फीचर

इस हाईटेक प्लान के तहत पुलिस की मोबाइल एप्लीकेशन यूपी कॉप में एक नया फीचर जोड़ा जा रहा है, जिसका नाम 'पुलिस एडवांस कंप्लेंटÓ होगा। इसपर क्लिक करते ही एक नया फोल्डर खुलेगा। जिसमें एफआईआर नंबर, मोबाइल नंबर समेत अन्य जानकारियां डालेंगे तो तुरंत सामने केस की प्रोग्रेस रिपोर्ट आ जायेगी। साथ ही अगर इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के जांच से आप संतुष्ट नहीं है तो उसकी भी रिपोर्ट दर्ज करवा सकेंगे, जो सीधे क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के पास पहुंचेगा, इसके बाद इसे इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के पास भेजा जाएगा और वह अपनी रिपोर्ट बनाकर संबंधित अधिकारी को सौंपेगा।आईओ बदलने का भी ऑप्शनयूपी कॉप में खुद पीडि़त और इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर ही लॉगिन कर सकेंगे। वहीं महिला संबंधी गंभीर अपराधों के मामलों में आईओ को भी पुरानी फाइल खोलने से पहले पीडि़ता को सूचना देने होगी, यदि पीडि़ता को बिना बताए फाइल खोली जाती है तो ऐसी घटना के लिए आईओ दोषी होगा। साथ ही अगर आईओ से पीडि़त संतुष्ट नहीं है तो उसको बदले जाने की शिकायत भी कर सकता है।ऐसे काम करेगा सिस्टम- एफआईआर दर्ज होने के बाद मोबाइल नंबर सिस्टम पर अपलोड किया जाएगा।- एफआईआर सीसीटीएनएस के जरिए यूपी कॉप पर लोड होने पर ओटीपी नंबर आएगा।- जब भी पीडि़त यूपी कॉप में लॉगिन करेगा तो उसे ओटीपी नंबर डालना होगा।- इसके बाद पीडि़त एफआईआर कॉपी तो देखेगा ही साथ ही प्रोग्रेस रिपोर्ट भी उसे पता चल सकेगी।

पीडि़त आए दिन अपने केस की संतुष्टि को लेकर थानों में चक्कर काटते हैं, साथ ही इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के खिलाफ भी लगातार शिकायतें आ रही थीं। पीडि़तों की इस समस्या का समाधान करने के लिए नया सिस्टम शुरू किया जा रहा है। संभावना है कि इसे 7 जून तक लखनऊ कमिश्नरेट के साथ-साथ पूरे यूपी में लागू कर दिया जाएगा। -मोहित अग्रवाल, एडीजी टेक्निकल सर्विस

Posted By: Inextlive