- तत्कालीन एसएसपी सुभाष दूबे और इंटेलीजेंस इंस्पेक्टर को पाया दोषी

- रिटायर्ड जस्टिस विष्णु सहाय की रिपोर्ट विधानसभा में पेश

- प्रशासनिक अक्षमता दंगे की वजह, डीएम और एसएसपी को हटाना बड़ी चूक

LUCKNOW: सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर और आस-पास के जिलों में भड़के दंगे पर जस्टिस विष्णु सहाय की जांच रिपोर्ट रविवार को विधानसभा में सीएम अखिलेश यादव ने पेश की। सात सौ पन्ने की रिपोर्ट में तत्कालीन एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे और एलआईयू इंस्पेक्टर प्रबल प्रताप सिंह को दोषी पाया गया है। साथ ही तत्कालीन डीएम मुजफ्फरनगर, प्रमुख सचिव गृह आर एम श्रीवास्तव को उत्तरदायी ठहराया है। रिपोर्ट में तत्कालीन एसएसपी सुभाष चंद्र दूबे और इंटेलीजेंस इंस्पेक्टर प्रबल प्रताप सिंह के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की सिफारिश की गयी है और एडीजी इंटेलिजेंस और डीएम से स्पष्टीकरण मांगने की संस्तुति की है।

सरकार को क्लीन चिट

आयोग ने सरकार को क्लीन चिट देते हुए दलील दी है कि मुजफ्फरनगर के नगला मंडौर में आयोजित महापंचायत की रिकॉर्डिग नहीं की गई। इसलिए सांप्रदायिक दंगों के लिए नेताओं को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। साथ ही, बीजेपी विधायक संगीत सोम और 229 अन्य के खिलाफ सोशल मीडिया पर तालिबान का एक वीडियो अपलोड किये जाने के मामले में कहा है कि इस मामले में केस रजिस्टर है इसीलिए सरकार की ओर से कोई और दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती। वहीं 30 अगस्त को जुमे की नमाज के बाद सईदुल जमां, कादिर राणा, नूर सलीम राणा, राशिद सिद्दीकी और असद जमां समेत कई लोगों ने भड़काऊ भाषण दिया गया। इस मामले में भी एफआईआर दर्ज है इस लिए सरकार की ओर से कोई अन्य कार्रवाई करने नहीं की जा सकती।

अधिकारियों का ट्रांसफर भी वजह

दंगे की वजहों के बारे में आयोग ने कहा कि तीन युवकों की हत्या (कवाल कांड) के बाद डीएम और एसएसपी का तबादला बड़ी चूक था। इससे हिंदुओं में गलत संदेश गया। नामजदगी के बावजूद 14 युवकों को पहले हिरासत में लेना और बाद में उन्हें थाने से छोड़ने से भी लोग आक्रोशित हो गये, जो दंगे का एक कारण बना। विष्णु सहाय ने अपनी रिपोर्ट में दंगे के लिए 14 मुख्य बिंदुओं का जिक्र किया है। 27 अगस्त 2013 की घटना के बाद दोनों समुदायों के बीच मतभेद, पोलराइजेशन को वजह बताया गया है। वहीं शहनवाज की हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर में सचिन और गौरव के परिवार के लोगों को नाम दर्ज करना भी दंगा भड़कने का एक कारण था।

इंटेलीजेंस हुई फेल

रिपोर्ट में लोकल इंटेलीजेंस को पूरी तरह फेल बताया गया है। मेरठ जोन के तत्कालीन आईजी बृजभूषण और डीएम कौशल राज ने आयोग को बताया कि इंटेलीजेंस ने अपनी रिपोर्ट में महापंचायत में 20 से 25 हजार लोगों के जुटने का जिक्र किया था। जबकि वहां 40 से 45 हजार लोग थे। इससे प्रशासन की सारी योजनाएं धरी रह गई। पंचायत ने भड़काऊ भाषण दिये गये जिसके बाद जमकर हिंसा हुई।

मीडिया को भी बताया जिम्मेदार

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मुजफ्फरनगर दंगे के लिए सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया को भी जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि इसमें किसी पर्टिकुलर अखबार या सोशल मीडिया प्लेटफार्म का नाम नहीं लिया गया है। सहाय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया पर दंगे की रिपोर्टिग बढ़ा चढ़ा कर पेश की गयी। जिसकी वजह से हालात और ज्यादा खराब हो गए। मीडिया ने अपने कर्तव्यों का सही से पालन नहीं किया। लेकिन सोशल या प्रिंट मीडिया को दंगों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

क्या था पूरा मामला

साल 2013 में 27 अगस्त को दो हिंदू और एक मुस्लिम युवक की हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में 14 लोगों को थाने से छोड़ दिया गया। सरकार ने तत्कालीन डीएम सुरेन्द्र सिंह और एसएसपी मंजिल सैनी को हटा दिया जिससे माहौल और बिगड़ गया। उनके स्थान पर कौशल राज शर्मा को डीएम और सुभाष दुबे को एसएसपी बनाकर भेजा गया। नतीजतन सात सितम्बर को महापंचायत के बाद हिंसा भड़क गयी। स्थिति काबू करने के लिए सेना बुलानी पड़ी। सात सितम्बर से लेकर 15 सितंबर तक मुजफ्फरनगर के साथ शामली, सहारनपुर, बागपत और मेरठ दंगे की चपेट में रहा। बाद में प्रदेश सरकार ने एक नौ सितंबर 2013 को रिटायर्ड जस्टिस विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एकल जांच समिति का गठन किया गया था।

किसको ठहराया जिम्मेदार

1. सुभाष चन्द्र दुबे- तत्कालीन एसएसपी, दायित्वों के निवर्हन में शिथिलता व लापरवाही बरतने का आरोप। आयोग ने विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की।

2. प्रबल प्रताप सिंह- एलआईयू इंस्पेक्टर, सही इंटेलिजेंस इनपुट न दिया। नतीजतन दंगा भड़का। विभागीय कार्यवाही की संस्तुति।

3. जवाहर लाल त्रिपाठी- एडीजी इंटेलिजेंस, समूचे अभिसूचना तंत्र की विफलता के जिम्मेदार। स्पष्टीकरण मांगने के बाद नियमानुसार कार्यवाही की संस्तुति

4. कौशल राज शर्मा- तत्कालीन डीएम, सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए उत्तरदायी। स्पष्टीकरण लेने के बाद यथोचित निर्णय लेने की संस्तुति।

Posted By: Inextlive