- लखनऊ के सभी बॉर्डर पर मुस्तैद दिखी पुलिस और पीएसी

- टोल प्लाजा पर मिले कंटेनर में भरकर ले जाए जा रहे मजदूर, कंटेनर सीज

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रुष्टयहृह्रङ्ख : दूसरे राज्यों से पैदल, साइकिल, ट्रकों में सवार होकर आ रहे प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिये सील किये गए राजधानी के सभी बॉर्डर पर बीती रात से तैनात पुलिस व पीएसी मुस्तैद दिखी। पुलिस ने ऐसे सभी प्रवासी श्रमिकों को रोका और उन्हें भोजन, पानी व मेडिकल स्क्रीनिंग के बाद बसों के जरिए उनके गृह जनपदों को रवाना किया। हालांकि, बाइक, चार पहिया व अन्य निजी साधनों से जा रहे लोग बेरोकटोक निकलते दिखे। इन्हें पुलिसकर्मियों ने भी रोकने की कोशिश नहीं की। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रविवार को इन बॉर्डर एरिया का दौरा किया। पेश है विशेष रिपोर्ट-

718 श्रमिकों को नसीब हुई बस यात्रा

पैदल चल रहे प्रवासी श्रमिकों के राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई नि:शुल्क बस सेवा कानपुर की ओर से पैदल या साइकिल से आ रहे मजदूरों के लिये राहत लेकर आई। बनी पुल में लखनऊ बॉर्डर पर लगाई गई पुलिस बैरिकेडिंग पर शनिवार दोपहर पैदल आ रहे 246 प्रवासी श्रमिकों को रोककर हाइवे पर स्थित एफआई हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां उनके भोजन व पानी का इंतजाम करने के बाद 9 बसों से उनके घरों के लिये रवाना किया गया। वहीं, दोपहर से लेकर देररात तक पैदल आ रहे 300 प्रवासी श्रमिकों को रोका गया और उन्हें भोजन और पानी देने के बाद 11 बसों से रवाना किया गया। रविवार को भी यह सिलसिला जारी रहा और चार बसों से 172 लोगों को रवाना किया गया। एसीपी कृष्णानगर दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि कानपुर हाइवे से बसों द्वारा भेजे गए अधिकतर प्रवासी श्रमिक बहराइच, गोरखपुर या बस्ती के थे, जिन्हें भोजन व पानी देकर व उनकी मेडिकल स्क्रीनिंग करके उनके गृह जनपदों के लिये रवाना किया गया। इसके अलावा 6 प्रवासी श्रमिक अन्य जनपदों के थे, जिन्हें शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय शेल्टर होम भेज दिया गया। इसके अलावा आगरा एक्सप्रेस-वे के टोल प्लाजा पर काकोरी पुलिस ने घेराबंदी कर रखी थी। कंटेनर में छिपकर आ रहे श्रमिकों को पुलिस ने रोककर बसों से शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय भेजा। श्रमिकों ने पुलिस को बताया कि उनसे प्रति व्यक्ति 1500 रुपये किराया वसूला गया। पुलिस ने कंटेनर सीज कर दिया।

प्रवासी मजदूरों को बीच सड़क छोड़कर भाग निकले ट्रक-डाला चालक

लखनऊ-सीतापुर को जोड़ने वाली इटौंजा थाना क्षेत्र बैरियर लगाकर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर चौकसी बढ़ा दी गई है। बैरियर पर पुलिस वाहनों से रोकटोक करती दिखी। लिहाजा, प्रवासी श्रमिकों को ला रहे ट्रक व डीसीएम के चालक इन श्रमिकों को बीकेटी-इटौंजा बॉर्डर पर ही उतारकर भागते दिखे। बीकेटी थानाक्षेत्र में हिमाचल प्रदेश से प्रतापगढ़, प्रयागराज और कौशांबी समेत कई जनपदों के लिये बस से आये 22 से अधिक युवा श्रमिकों को ट्रक चालक बीकेटी थाने से चंद कदमों की दूरी पर छोड़कर फरार हो गया। इसी तरह डाला में बैठकर आ रहे प्रवासी श्रमिकों को भी चालक डाला से उतारकर भाग निकला। इन सभी श्रमिकों को पुलिस ने बसों पर सवार कर शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय भेजा।

बैरियर पर दिखी सख्ती, पास लगे वाहनों को ही मिला 'पास'

सुल्तानपुर हाइवे पर गंगागंज में बैरियर लगाकर भारी पुलिस व पीएसी बल की तैनाती की गई थी। यहां पर पुलिस ने दिनभर सघन चेकिंग अभियान चलाया। पुलिस की सख्ती का ही असर कहा जाएगा कि बैरियर पर एक भी ऐसा ट्रक या मिनी ट्रक नहीं पहुंचा जिस पर प्रवासी श्रमिक सवार हों। बैरियर को सिर्फ प्रवासी श्रमिकों को ले जा रही रोडवेज की बसें ही पास होती दिखाई दीं। इसके अलावा बैरियर पर आसपास के वाहनों के अलावा सिर्फ पास लगे वाहनों को ही निकलने दिया गया। बैरियर पर दिनभर में इक्का-दुक्का पैदल श्रमिक पहुंचे, जिन्हें अवध शिल्पग्राम शेल्टर होम भेज दिया गया। जहां से उन्हें मेडिकल स्क्रीनिंग के बाद बसों के जरिए उनके गृह जनपद भेजा जाएगा।

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हरदोई बॉर्डर पर नहीं दिखी सख्ती

लखनऊ-हरदोई सीमा पर बैरिकेडिंग तो लगाई गई और उस पर पुलिस फोर्स भी तैनात दिखी। लेकिन, उनकी ओर से वाहनों पर कोई भी रोकटोक नहीं दिखाई दी। ट्रक हों या फिर लग्जरी कारों पर सवार लोग पुलिस के सामने से आसानी से बेरोकटोर गुजरते नजर आए। हरदोई और लखनऊ दोनों ही ओर से वाहनों का आना-जाना जारी रहा। दिन में तीन बजे तक एक भी पैदल प्रवासी बैरियर पर नहीं पहुंचा। दुबग्गा मंडी बंद होने की वजह से भी सन्नाटा पसरा रहा। वहीं, नरिया खेड़ा सीमा पर न तो पीएसी तैनात की गई और न ही कोई पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था। सीतापुर रोड पर नेवादा के करीब पुलिस मुस्तैद दिखी और श्रमिकों को भोजन-पानी की व्यवस्था कराकर उन्हें बस से रवाना किया गया।

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कमता में लगा पैदल श्रमिकों का जमावड़ा

अयोध्या रोड पर चिनहट एरिया स्थित कमता बैरियर पर भी पुलिस व पीएसी मुस्तैद दिखी। पुलिस टीमे लगातार चेकिंग करती रहीं। तमाम बैरियर पर सख्ती के बावजूद यहां पर दिनभर पैदल प्रवासी श्रमिकों का तांता लगा रहा। इंस्पेक्टर चिनहट क्षितिज त्रिपाठी ने अपनी निगरानी में सभी प्रवासी श्रमिकों को बैरियर पर ही रोका और उन्हें भोजन व पानी वितरित कराया। इसके बाद 40 बसें बुलवाकर सभी श्रमिकों को अवध शिल्पग्राम शेल्टर होम भेजा गया। जहां से मेडिकल स्क्रीनिंग के बाद सभी श्रमिकों को उनके गृह जनपद भेजा जाएगा।

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प्रवासी श्रमिकों की बातों में छलका दर्द

'हरियाणा के हिसार में दिहाड़ी मजदूरी करता था। लॉकडाउन में सबकुछ बंद हो गया। जो भी रुपये बचाकर रखे थे, वे सभी खर्च हो गए। काम भी नहीं मिल रहा था। लिहाजा, साइकिल से ही घर के लिये चल पड़ा।

पप्पू, बहराइच

'हरियाणा के गुरुग्राम स्थित होटल में काम करता था। लॉक डाउन में मालिक होटल बंद कर चला गया। एक महीने बाद राशन भी खत्म हो गया। मालिक ने फोन भी उठाना बंद कर दिया। जब कुछ नहीं बचा तो अपना घर ही आखिरी उम्मीद के रूप में नजर आया। इसीलिए पैदल ही घर के लिये चल पड़ा.'

सूरज यादव, बहराइच

'पांच महीने पहले इंदौर में माली का काम करने गया था। लॉक डाउन की वजह से काम छूट गया। जो राशन व पैसे थे वह खत्म हो गए। कुछ लोगों से मदद मांगी लेकिन, कोई मदद को तैयार न हुआ। आखिरकार पैदल ही घर के लिये चल पड़ा.'

रामदीन, बाराबंकी

Posted By: Inextlive