- डीजीपी ओपी सिंह ने कहा शासन से की जाएगी इसकी भी सिफारिश

- अनिवार्यता न होने से पीपीएस अधिकारी नहीं देते थे ब्योरा

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रुष्टयहृह्रङ्ख : करप्शन की गंभीर शिकायतों पर भले ही पुलिस अधिकारी व कर्मी दंद-फंद कर बचाव कर लेते हों लेकिन, अब चल-अचल संपत्ति के सालाना ब्योरे से उन पर शिकंजा कसने से कोई नहीं रोक पायेगा। पीपीएस अफसरों व नॉन गजटेड पुलिस अफसरों-कर्मियों की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा अपडेट न होने की स्थिति में प्रमोशन रोके जाने का दूसरा प्रस्ताव जल्द शासन को भेजने की तैयारी है।

नहीं था कंपलसरी

पीपीएस अफसरों के लिए पांच सालों में चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दिए जाने की व्यवस्था तो थी, लेकिन कंपलसरी न होने की वजह से कई अधिकारी ब्योरा नहीं देते थे। विभाग भी मान लेता था कि उनकी संपत्ति में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि बार-बार आदेश के बाद भी पीपीएस कैडर के अफसरों के संपत्ति का ब्योरा न देने की वजह से ही उन्होंने मंगलवार को शासन भेजे गए अपने प्रस्ताव में हर साल अनिवार्य रूप से ब्योरा दिए जाने की सिफारिश की है। हालांकि प्रदेश में चल-अचल संपत्ति का ब्योरा न देने पर किसी बड़ी कार्रवाई की कोई नजीर सामने नहीं है।

रुकेगा प्रमोशन

आईपीएस अफसरों की चल-अचल संपत्ति का सालाना ब्योरा अपडेट न होने पर उनका नाम केंद्रीय डेपुटेशन की सूची में शामिल नहीं होता है। डीजीपी का कहना है कि ऐसे ही पीपीएस अफसरों से लेकर सिपाही तक की प्रमोशन में यह अनिवार्य होना चाहिए कि उनका सालाना संपत्ति का ब्योरा पूरी तरह से अपडेट हो। ऐसा न होने की स्थिति में प्रमोशन रोकी जा सके। उल्लेखनीय है कि डीजीपी ने मंगलवार को शासन को भेजे पत्र में पीपीएस कैडर के अफसरों के साथ इंस्पेक्टर से लेकर सिपाही तक से हर साल अनिवार्य रूप से चल-अचल संपत्ति का ब्योरा मांगे जाने की सिफारिश की है।

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400 आईपीएस ने दिया ब्योरा

प्रदेश में आईपीएस कैडर के करीब 466 अधिकारी हैं। डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि अब तक 400 से अधिक आईपीएस अधिकारी अपनी संपत्ति का ब्योरा दे चुके हैं। यह ब्योरा दिए जाने के लिए 31 जनवरी तक का समय दिया जाता है। पूरा ब्योरा आने पर आईपीएस अफसरों की संपत्तियों में हुई बढ़ोतरी का विश्लेषण होगा।

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करीब 2.75 लाख पुलिसकर्मियों पर पड़ेगा सीधा प्रभाव

यूपी पुलिस का स्वीकृत नियतन तीन लाख 96 हजार पुलिसकर्मियों का है। वर्तमान में नियतन के मुकाबले करीब एक लाख 29 हजार पुलिसकर्मियों की कमी है। प्रदेश में पीपीएस कैडर के करीब 1200 अधिकारी हैं। डीजीपी के प्रस्ताव को अगर शासन मंजूर करता है तो इसका सीधा असर करीब 2.75 लाख पुलिसकर्मियों पर पड़ेगा। विभाग को भी इन पुलिसकर्मियों की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा जुटाने के लिए अलग व्यवस्था करनी होगी। माना जा रहा है कि इसके लिए ऑनलाइन प्रणाली का इस्तेमाल होगा।

Posted By: Inextlive