- बिजली दरों में कमी न होए इसके लिए कारपोरेशन गया कोर्ट

LUCKNOW: उपभोक्ता परिषद के जनता प्रस्ताव जिसमें 16 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करने, फिक्स्ड चार्ज व मिनिमम चार्ज समाप्त करने की मांग की गई है। उसको रोकने के लिए पॉवर कार्पोरेशन ने अपटेल नयी दिल्ली में याचिका दाखिल की है। वहीं उपभोक्ता परिषद ने सीएम और ऊर्जा मंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग उठाई है।

जवाब से खुलासा

जब उपभोक्ताओं को एक मामले में बड़ी राहत के लिए आयोग ने वर्ष 2019-20 में फैसला सुनाया और अब जब उसका लाभ इस वर्ष के टैरिफ आदेश वर्ष 2020-21 में प्रदेश के तीन करोड़ उपभोक्ताओं को मिलना है तो अब बिजली कंपनियों के जवाब से खुलासा हुआ कि पॉवर कार्पोरेशन उस उपभोक्ता हित के आदेश को रोकने के लिए अपटेल दिल्ली में गुपचुप मुकदमा दाखिल कर दिया। पावर कार्पोरेशन और बिजली कंपनियों द्वारा उपभोक्ता परिषद के बिजली दरों में कमी करने के प्रस्ताव पर जो उत्तर विद्युत नियामक आयोग को भेजा गया है वह बेहद चौंकाने वाला है। उपभोक्ता परिषद ने अपने जनता प्रस्ताव में बिजली दरों में कमी का जो आधार बताया है, जिसमें यह कहा गया है कि वर्ष 2019-20 के टैरिफ आर्डर में बिजली उपभोक्ताओं का उदय व ट्रूअप में वर्ष 2017-18 तक कुल लगभग 13337 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों पर निकल रहा है, जो अब कैरिंग कॉस्ट 13 प्रतिशत जोड़ कर लगभग 14782 करोड़ रुपये हो गया है, जिसको यदि आयोग उपभोक्ताओं को पास आन करे तो लगभग 25 प्रतिशत बिजली दरों में कमी होगी।

खारिज करने की मांग

उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में एक याचिका दाखिल कर बिजली कंपनियों की दलील को खारिज करने की मांग उठाई और कहा कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के अनेकों ऐसे आदेश हैं कि किसी सक्षम न्यायालय में केवल याचिका दाखिल कर देने से जब तक उस पर कोई आदेश या रोक न हो कार्रवाई रोकी नहीं जा सकती। जनहित में उपभोक्ता परिषद आयोग से मांग करता है कि बिजली कंपनियों द्वारा उपभोक्ता हित के खिलाफ गुमराह करने की जो साजिश की जा रही है उसे आयोग खारिज कर उपभोक्ताओ की बिजली दरों में 16 प्रतिशत की कमी करें।

Posted By: Inextlive