- डर से प्रभावित हो रही महिलाओं की सैक्सुअल लाइफ

- लेजर की मदद से रोक सकते है यूरिन की समस्या

LUCKNOW: कई घटनाएं दिमाग में ऐसा डर बैठा देती हैं, जिससे लोगों की सेक्सुअल लाइफ प्रभावित होने लगती है। जिसके लिए काउंसलिंग करनी पड़ती है। वहीं, अगर अचानक से माहवारी बंद हो जाये तो एशेरमन सिंड्रोम हो सकता है। वहीं नई लेजर तकनीक से महिलाओं में यूरिन की समस्या रोकी जा सकती है। बातचीत के दौरान एक्सपर्ट डॉक्टर्स ने कुछ यही बताया

निर्भया केस से मन में बैठा डर

निर्भया केस ने महिलाओं के अंदर एक डर बैठा दिया है, जिससे उनकी सेक्सुअल लाइफ प्रभावित हो रही है। शादी के बाद भी महिलाओं में इंटरकोर्स के दौरान डर रहता है। इस तरह के 1-2 केस हर हफ्ते आने लगे हैं। जिस पर काउंसलिंग करनी पड़ती है। इससे इंफर्टिलिटी भी बढ़ रही है। ऐसे 10-20 फीसद मामले सिर्फ काउंसलिंग से सही हो जाते हैं।

डॉ। सोनिया मलिक, दिल्ली

गर्भ संस्कार से बढ़ी नार्मल डिलीवरी

गर्भ संस्कार आज बेहद जरूरी है। इसमें प्राणायाम जैसे आसन करवाने संग फैमिली मेंबर्स के साथ डिसकशन करते हैं, ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे पर पॉजिटिव प्रभाव पड़े। हम लोगों ने अपने यहां 10 माह के दौरान 250 प्रेग्नेंट महिलाओं पर स्टडी की और पाया की गर्भ संस्कार की मदद से 78 प्रतिशत तक नार्मल डिलीवरी कराने में सफल रहे। इस दौरान बीपी, शुगर, वजन, माहौल सभी कुछ नार्मल रहा।

डॉ। अंजली चौधरी, दिल्ली

सिजेरियन डिलीवरी का अनुमान लगा सकते हैं

सफदरजंग हॉस्पिटल में तीन वर्ष में 1,01,235 डिलीवरी हुई, जिसमें 19,448 सिजेरियन थीं। इस डाटा का एनालाइज किया गया कि सिजेरियन के क्या-क्या कारण थे, ताकि भविष्य के तीन सालों का अनुमान लगा सकें कि आगे सिजेरियन डिलीवरी होगी या नार्मल। इसके लिए डब्ल्यूएचओ ने 10 इंडिकेटर्स बताए हैं, जिन्हें कैटेगराइज किया गया है। यह डाटा हर हॉस्पिटल को शेयर करना चाहिए, ताकि सिजेरियन के कारणों का पता लगाकर उसमें कमी लाई जा सके।

डॉ। दिव्या पांडे, दिल्ली

औजारों से डिलीवरी के लिए बड़े एक्सपर्टीज

पहले फोरसेप यानि औजारों के माध्यम से ज्यादा डिलीवरी होती थीं। आजकल डॉक्टर्स बिना वजह के भी सिजेरियन कर देते हैं। कई बार फोरसेप से डिलीवरी कराकर सिजेरियन को टाला जा सकता है, लेकिन इसके लिए सधे हाथ होने चाहिए। इसके लिए डॉक्टर्स को ट्रेनिंग लेनी चाहिए। ताकि सिजेरियन को रोककर नार्मल डिलीवरी बढ़ाई जा सके।

- डॉ। अमिता धाकड़, इंदौर

लेजर से होता बेहतर इलाज

महिलाओं में अचानक यूरिन निकला, खांसने पर यूरिन निकलना या नियंत्रण न होना आदि समस्याएं देखी जाती हैं। इसे लेकर पहले जो सर्जरी होती थी वो महंगी और ज्यादा नतीजा देने वाली नहीं थी। अब आरबीयम लेजर मशीन से बिना चीड़-फाड़ के इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। इसकी मदद से चोटिल टिश्यू पर लाइट एनर्जी छोड़ते हैं, जो उन टिश्यू को नई प्रोटीन देने का काम करती है। जिससे टिश्यू टाइट हो जाते है और यह समस्या खत्म हो जाती है। तीन साल में 300 लोगों पर इसका यूज किया है और 98 फीसद तक सफलता मिली है। 15 मिनट के प्रोसेस में 1-2 सिटिंग में इलाज हो जाता है।

डॉ। विद्या पंचोलिया, इंदौर

ओटी के बाहर होता इलाज

कई बार गर्भ के अंदर की लेयर जाली चिपकने से बंद होने से माहवारी बंद हो जाती है। इसे एशेरमन सिंड्रोम कहते हैं, जो 4-5 फीसद महिलाओं में होता है। ऐसे कई केस में अबार्शन कराना पड़ता है। इसे ठीक करने के लिए ऑफिस हिस्ट्रोस्कोपी करनी पड़ती है, जो ऑपरेशन थियेटर के बाहर 5-15 मिनट में हो जाती है। इंडिया में केवल मैं ही यह सर्जरी करता हूं। अगर किसी महिला की माहवारी बंद या कम हो, बच्चा न हो रहा हो या पेल्विक एरिया में बहुत दर्द हो तो यह एशेरमन सिंड्रोम का लक्षण हो सकता है।

डॉ। मिलिंद तलंग, पुणे

Posted By: Inextlive