भूकंप के झटकोंं से कितना नुकसान होगा यह उस जगह के मकानों की वल्नरबिलिटी से भी संबंध रखता है। किसी शहर में अगर भूकंप रोधी मकान बने हैं और वहां 6 तीव्रता के झटके महसूस होते हैं तो हो सकता है वहां कम नुकसान हो या बिल्कुल नुकसान न हो।


लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ शहर को जोन 3 में डाला गया है। यह कहना कि हम लोग पूरी तरह भूकंप से सुरक्षित हैं, ठीक नहीं होगा। ऐसे में अब हम लोगों को भूकंप को लेकर अधिक जागरूक होने की जरूरत है। भूकंप से बचाव के लिए अच्छे मकान बनाने पर जोर देना होगा। जो भूकंप रोधी हों और बीम कॉलम की नींव को घर बनाने में लाना चाहिए। ये बातें शनिवार को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के 173वें स्थापना दिवस पर सेवानिवृत्त उपमहानिदेशक डॉ। डीडी जोशी ने कहीं। कार्यक्रम में वह 'भूकंप वैश्विक परिप्रेक्ष्य' विषय पर व्याख्यान देने पहुंचे थे। उन्होंने ग्लोबली भूकंप के इम्पैक्ट पर चर्चा की और बताया कि दुनिया का 58.6 फीसदी हिस्सा भूकंप की जद में है।नेपाल के भूकंप यूपी को करते हैं प्रभावित


डॉ। जोशी ने बताया कि लखनऊ या यूपी को सबसे अधिक नेपाल में आने वाले भूकंप प्रभावित करते हैं। साल 1934 में नेपाल और बिहार में भूंकप आया था, जिसके झटकों की तीव्रता बनारस, इलाहाबाद और आसपास के जिलों में 7 तक पहुंच गई थी। लखनऊ में भी इसकी तीव्रता 6 थी। यह अब तक सबसे अधिक तीव्रता के झटकोंं वाला भूकंप रहा है। भले ही लखनऊ में वैज्ञानिक तौर पर एक्टिव सेंटर न माना गया हो, लेकिन यह क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित भी नहीं है। ऐसे में सतर्क और जागरूक रहने की सबसे अधिक जरूरत है। उन्होंने घटते वाटर लेवल से भी भूकंप के झटकों का संंबंध बताया है, लेकिन यह सीधे तौर पर प्रभावित नहीं करता।वल्नरबिलिटी से बढ़ता है खतराभूकंप के झटकोंं से कितना नुकसान होगा, यह उस जगह के मकानों की वल्नरबिलिटी से भी संबंध रखता है। किसी शहर में अगर भूकंप रोधी मकान बने हैं और वहां 6 तीव्रता के झटके महसूस होते हैं तो हो सकता है वहां कम नुकसान हो या बिल्कुल नुकसान न हो। वहीं दूसरी तरफ, आम घरों में दरारें या नुकसान अधिक हो सकता है। ऐसे में समय-समय पर अपने पुराने मकानों को रेन्युवेट कराते रहना चाहिए। बेहतर होगा कि उसे दोबारा भूकंप रोधी बनाया जाए।सोने की खोज में जुटा जीएसआईकार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ भूवैज्ञानिक उत्कर्ष त्रिपाठी ने सोनभद्र में स्वर्ण भंडार का प्राचीन और वर्तमान परिदृश्य विषय पर बोलते हुए कहा कि जीएसआई सोनभद्र में स्वर्ण भंडार की खोज में जुटा है। उन्होंने पीपीटी के जरिए बताया कि महाकौशल बेल्ट में संभावनाएं नजर आ रही हैं।सोसायटी से संबंधित शोधों पर कर रहे फोकस

संस्थान के अपर महानिदेशक नरेंद्र विठोबा नितवरे ने बताया कि हम लोग समाज से जुड़े कई शोध कर रहे हैं। इसमें आर्सेनिक, क्लोराइड से जुड़े शोध, लैंडसलाइन, जियोथर्मल समेत कई विषयों पर शोध कर रहे हैं। कार्यक्रम के दौरान बीएसआईपी की निदेशक डॉ। वंदना प्रसाद समेत कई वैज्ञानिक मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive