- मरीज को भर्ती करने के लिए रेफरल लेटर की बाध्यता खत्म की जा चुकी है

- इसके बाद भी मरीजों से मांगा जा रहा रेफरल लेटर, मरीज हो रहे काफी परेशान

LUCKNOW:

ब्लैक फंगस से पीडि़त एक मरीज को भर्ती कराने परीजन केजीएमयू पहुंचे लेकिन वहां पर कमांड सेंटर से रेफरल मांगा गया। करीब 7 घंटे की मशक्कत के बाद मरीज को भर्ती कराया गया।

कोरोना पॉजिटिव मरीज को परिजन भर्ती कराने परिजन अस्पताल आए लेकिन वहां बिना रेफरल के भर्ती करने से मना कर दिया गया। परिजनों ने किसी तरह कमांड सेंटर से रेफरल कराया। मरीज को भर्ती होने में काफी समय लग गया।

ये दो केस यह बताने के लिए काफी हैं कि राजधानी में रेफरल सिस्टम का खेल खत्म नहीं हुआ है। जबकि शासन स्तर से सीएमओ की ओर से रेफरल आर्डर की जरूरत खत्म कर दी गई है। निजी अस्पतालों को बेड उपलब्ध होने पर खुद से भर्ती की इजाजत दे दी गई है। वहीं सरकारी कोविड अस्पतालों में भी बेडों की क्षमता का 30 फीसद खुद से और 70 फीसद कमांड सेंटर से भर्ती का कोटा किया गया है, लेकिन अब जब हालातों में सुधार हो रहा है तो इसके बावजूद अस्पताल बिना रेफरल के मरीज भर्ती नहीं कर रहे हैं। अस्पताल और प्रशासन एक दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं और इससे मरीज परेशान हो रहे हैं।

रेफरल की जरूरत नहीं

गौरतलब है कि अस्पताल में रेफरल लेटर की बाध्यता खत्म कर दी गई है। अस्पताल अगर मना करे तो जिला प्रशासन द्वारा 0522-4523000 नंबर भी जारी किया गया है। जिसके तहत सीधे कमांड कंट्रोल सेंटर से मरीज को मदद दी जाएगी। इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। सीएमओ डॉ। संजय भटनागर ने बताया कि भर्ती करने के लिए अब कहीं भी सीएमओ के रेफरल लेटर की जरूरत नहीं है लेकिन कुछ अस्पताल इसकी मांग करते हैं क्योंकि प्राइवेट अस्पताल को रेफरल मांगने पर सरकार से पेमेंट मिलने में प्राब्लम नहीं होती है। जहां तक केजीएमयू की बात है तो वो अलग यूनिवर्सिटी है। हम लोग भी रिक्वेस्ट के आधार पर भर्ती कराते हैं। वैसे अगर उनके यहां बेड खाली हैं तो भर्ती कर लेना चाहिए।

दो तरह से होती है भर्ती

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ। सुधीर सिंह ने बताया कि रेफरल सिस्टम चल रहा है। हमारे यहां दो तरीकों से मरीजों की भर्ती होती है। पहले वो जो हमारे पेशेंट हैं। पॉजिटिव आने पर उनको भर्ती किया जाता है, क्योंकि जो पेशेंट हमारे यहां के हैं उनको दूसरी जगह तो भर्ती नहीं करा सकते। दूसरा कुछ मरीज कमांड सेंटर से भेजे जाते हैं। ऐसे में रेफरल सिस्टम खत्म कर देना चाहिए। इसके अलावाए डिलीवरी केस, हेड इंजरी, कैंसर पेशेंट जैसे इमरजेंसी केस तत्काल देखे और भर्ती किए जाते हैं।

जांच के बाद ही होगीे भर्ती

डॉ। सुधीर के मुताबिक जहां तक सवाल ब्लैक फंगस के मरीजों का है तो इसकी क्या पुष्टि है, कौन बताएगा कि उसको ब्लैक फंगस है। डायगनोसिस बनाकर भेजा जाएगा, जो हमारे यहां ही होगा। उसके अलावा कोविड जांच की जाएगी। अगर मरीज नॉन कोविड हुआ तो नॉन कोविड वार्ड में भर्ती कराया जाएगा् और कोविड पॉजिटिव हुआ तो कोविड वार्ड में। तब तक उसे होल्डिंग एरिया में रखा जाएगा और जरूरत के अनुसार इलाज किया जाएगा।

मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं

गौरतलब है कि जब शासन से बिना रेफरल के भर्ती का आदेश आ चुका है तो इसको लेकर कोई मॉनिटरिंग सिस्टम क्यों नहीं है। राजधानी में कमांड सेंटर बनाने के बावजूद मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कमांड सेंटर फोन करने के बाद भी मदद नहीं मिलती है। घंटों इंतजार कराया जाता है। ऐसे में जिला प्रशासन को मॉनिटरिंग सिस्टम मजबूत करना होगा।

अस्पताल में भर्ती कराने की जिम्मेदारी कोविड कमांड सेंटर की है। सीएमओ रेफरल लेटर की जरूरत नहीं है। अगर बेड खाली है तो अस्पताल को भर्ती करनी चाहिए।

डॉ। संजय भटनागर, सीएमओ

कमांड सेंटर से ही मरीजों की भर्ती हो रही है। हम अपने मरीजों को भी भर्ती करते हैं। होल्डिंग एरिया में भर्ती मरीजों को जांच के बाद ही कोविड व नॉन कोविड वार्ड में शिफ्ट किया जाता है।

डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि रेफरल लेटर की बाध्यता खत्म की जा चुकी है। अगर कोई मरीज गंभीर है तो अस्पताल इसका इंतजार किए बिना तत्काल भर्ती कर इलाज करेगा।

अभिषेक प्रकाश, डीएम

Posted By: Inextlive