डॉक्टर के लिए उसके पेशेंट का ठीक होने से बड़ी कोई खुशी नहीं होती है। साथ ही मरीजों की दुआएं भी मिलती हैं। इसी सेवा भाव को आगे बढ़ाते हुए राजधानी में कई डॉक्टर परिवार हैं जिनकी कई पीढिय़ों से परिजन बतौर डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। मेडिकल फील्ड महज एक पेशा भर नहीं है। यह सेवा भाव के साथ जुड़ा क्षेत्र है। जहां डॉक्टर और पेशेंट के बीच आत्मीयता वाले संबंध होते हैं, क्योंकि एक डॉक्टर के लिए उसके पेशेंट का ठीक होने से बड़ी कोई खुशी नहीं होती है। साथ ही, मरीजों की दुआएं भी मिलती हैं। इसी सेवा भाव को आगे बढ़ाते हुए राजधानी में कई डॉक्टर परिवार हैं, जिनकी कई पीढिय़ों से परिजन बतौर डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पेश है डॉक्टर्स डे पर ऐसे ही कुछ परिवारों पर स्पेशल रिपोर्ट।हैप्पी एंड सेटिस्फाइड फैमिली


मेरे परिवार में तीन पीढिय़ों से डॉक्टर चले आ रहे हैं। मेरे फादर स्व। डॉ। अमरेंद्र सिंह रि। डीजी हेल्थ, ताऊ डॉ। केपीएस पवार, मैं यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर, मेरी वाइफ डॉ। रिता सिंह गाएनी, बेटी डॉ। विदुषी पवार पीजी गाएनी कर रही है, जबकि दामाद डॉ। एसआर सिंह यूरोलाजी एमसीएच कर रहे हैं। मेरा बेटा डॉ। अनुराग पवार गे्रजुएट एमएस सर्जरी प्रयागराज से कर रहा है। हमारा हैप्पी एंड सेटिस्फाइड फैमिली फंडा है, क्योंकि हम लोग अपना काम करने में खुश महसूस करते हैं और हमारे पेशेंट भी खुश हैं। परिवार में डॉक्टर बनने की बड़ी वजह एक-दूसरे से इंस्पायर होना है। यह एक ऐसा पेशा है जो आपको पेशेंट के ठीक होने पर खुश होने का मौका देता है। - डॉ। आरएस पवारचार पीढ़ी के लोग डॉक्टरहमारे यहां चार पीढ़ी के लोग डॉक्टर हैं। मेरे ससुर उनका बेटा व बेटियां, उनकी बहू और दामाद और उनके बच्चे भी डॉक्टर हैं, जबकि मैं गायनी की डॉक्टर हूं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मेडिकल प्रोफेशन के एक अच्छी फील्ड होने के साथ-साथ इसमें सेवा भाव भी होता है। इसमें काम करके आप बेहद खुश होते हैं। हर डॉक्टर अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता है। पर अब बदलाव देखने को मिल रहा है। मरीजों में डॉक्टर के प्रति विश्वास कम हुआ है। यह चीज दूर करने की जरूरत है। - डॉ। मधु गुप्तामेडिकल प्रोफेशन सबसे अच्छा

हमारे यहां चार पीढिय़ों के लोग डॉक्टर हैं। मेरे ग्रैंड फादर स्व। डॉ। भगतराम अग्रवाल मुजफ्फरनगर में फीजिशियन होने के साथ-साथ सर्जन भी थे। वह फ्रैक्चर का भी इलाज कर देते थे। उस दौर में वह पुडिय़ा में दवा देते थे। उनके बाद फादर स्व। डॉ। रमेश चंद्रा रहे। वह केजीएमयू के प्रिंसिपल रहने के साथ-साथ उन्होंने वहां प्लास्टिक सर्जरी विभाग भी शुरू किया था। उनके बाद मैं और मेरा भाई भी डॉक्टर हैं। इसके अलावा मेरी वाइफ डॉ। तूलिका और दोनों बेटियां भी डॉक्टर हैं, जबकि बेटा एमबीबीएस कर रहा है। परिवार में सभी लोग डॉक्टर हैं। बच्चे पेरेंट्स को देखकर उनको फॉलो करते हैं। बच्चे अपनी मर्जी के अनुसार काम करते हैं। यह प्रोफेशन अच्छा है इसलिए डॉक्टर बनना एक बड़ी बात है। - डॉ। राजीव अग्रवालपांच पीढ़ी से लोग डॉक्टरहमारे परिवार में पांच पीढ़ी से डॉक्टर चले आ रहे हैं। मेरे ग्रैंड फादर स्व। डॉ। आरआर मिश्रा और उनके ग्रेट ग्रैंड फादर से लेकर मेरे पैरेंट्स भी डॉक्टर रह चुके हैं। इसके अलावा मैं, मेरी वाइफ और मेरी बेटी, सभी डॉक्टर हैं। मेरी वाइफ आई सर्जन हैं, जबकि मैं केजीएमयू में सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग का हेड भी रह चुका हूं। हमारे परिवार में सभी डॉक्टर बनना चाहते है, क्योंकि इस फील्ड में सेवा भाव और काम करना अच्छा लगता है। इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। हम लोग अपने पेरेंट्स से प्रेरणा लेकर ही डॉक्टर बने हैं। यह सिलसिला लगातार चलता आ रहा है। - डॉ। संजीव मिश्रा

Posted By: Inextlive