डीन के नए पदों के सृजन को लेकर शिक्षक संघ भले विरोध में है पर इनके चलते लखनऊ यूनिवर्सिटी में रिसर्च की गाड़ी फास्टट्रैक मोड पर आ गई है। दो माह के अंदर यूनिवर्सिटी को रिसर्च एंड डेवलपमेंट तथा सेंटर फॉर एक्सीलेंस के नाम पर एक करोड़ से अधिक का बजट आवंटित हुआ है। जिससे यूनिवर्सिटी में रिसर्च से संबंधित प्रोजेक्ट और इम्प्लॉयबिलिटी बढ़ी है।


लखनऊ (ब्यूरो)। पहले यूनिवर्सिटी में एक प्रोजेक्ट के अप्रूवल के लिए शिक्षक को रजिस्ट्रार और वीसी कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते थे। समय पर प्रोजेक्ट शुरू न होने से आवंटित बजट लैप्स होने का खतरा रहता था। इसे ध्यान में रखते हुए वीसी प्रो। आलोक कुमार राय की तरफ से डीन के पदों का सृजन किया गया है। इनमे एक पद डीन रिसर्च का है। डीन रिसर्च का पद अस्तित्व में आने के बाद अब शिक्षक को रजिस्ट्रार कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं। प्रोजेक्ट अप्रूवल व रिसर्च एसोसिएट की नियुक्ति डीन रिसर्च की चेयरमैनशिप में सहायक कुलसचिव रिसर्च, संबन्धित विभाग के विभागाध्यक्ष व शिक्षक करते हैं और अप्रूवल के लिए वीसी को प्रस्ताव भेजा जाता है। रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए डीन रिसर्च शासन स्तर पर पैरवी के लिए अधिकृत होते हैं।एक करोड़ से अधिक की ग्रांट
दो माह के अंदर यूनिवर्सिटी को रिसर्च एंड डेवलपमेंट और सेंटर फॉर एक्सीलेंस के नाम पर एक करोड़ से अधिक का बजट आवंटित हुआ है। इसमें 55 लाख रुपये रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए और 46 लाख से अधिक राशि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को लेकर मिली है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट के अंतर्गत 14 प्रोजेक्ट साइंस के और 2 प्रोजेक्ट लॉ से संबंधित हैं। इसके अलावा 4 लाख से ऊपर की राशि सेमिनार के लिए प्राप्त हुई है।

रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए वीसी की तरफ से जो स्टेप लिए गए हैं, उसके परिणाम स्वरूप यह प्रोजेक्ट शासन स्तर पर स्वीकृत किए गए हैं। इससे यूनिवर्सिटी में प्रोजेक्ट और इम्प्लॉयबिलिटी बढ़ी है।प्रो राजीव पांडेय, डीन, रिसर्च, एलयू

Posted By: Inextlive