- मालिनी अवस्थी के गीतों ने बांधा समां

LUCKNOW : शताब्दी समारोह का आगाज शाम को सजी रौशन चौकी से हुई। इस चौकी को स्तंभकार यतींद्र मिश्र और लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने सजाया। मालिनी अवस्थी ने डेढ़ घंटे की प्रस्तुति में गोस्वामी तुलसीदास के दोहों से लेकर गीत-गजल से लोगों का दिल जीत लिया। इस दौरान मंत्री नीलम कटियार भी मौजूद रहीं।

भावुक हो गई मालिनी अवस्थी

इस दौरान मालिनी अवस्थी ने अवधी गायकी और यूनिवर्सिटी के पुराने दौर की बातें भी बताई। यूनिवर्सिटी में सम्मानित होते ही वे भावुक हो गई और बोलीं, वे यूनिवर्सिटी के इतिहास का हिस्सा रही हैं। 45 साल पहले यहां आई थी, तब राजनीति शास्त्र के साथ-साथ संस्कृत का भी अध्ययन किया।

हनुमान चालीसा पर झूमा कैंपस

मालिनी अवस्थी ने गायकी की शुरुआत तुलसीदास के दोहों से की। जब उन्होंने आल्हा गायिकी में ढली हनुमान चालीसा प्रस्तुत की तो पूरा कैंपस तालियों की आवाज से गूंजने लगा। उन्होंने खुसरो की छाप तिलक सब छीनी कलाम गाकर माहौल सूफियाना रंग में रंग दिया। पूरब मत जइयो राजा जी, गोरी की नैन जैसे कटारी, अख्तर पिया की ठुमरी फुलगेंदवा में छाई रे बहार सइयां मोये, गेंदा मंगा दे जैसे कई गानों से अवधी संगीत से रूबरू कराया। उन्होंने नौशाद साहब द्वारा रचे गए, मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रे, तेरी महफिल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे भी प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में वीसी ने मालिनी अवस्थी एवं यतींद्र मिश्र को सम्मानित किया।

Posted By: Inextlive