अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष पीके श्रीवास्तव ने बताया कि यह खेल राजधानी के सभी बड़े स्कूलों में हो रहा है। पहले उन्होंने रिजल्ट में हो रही देरी का बहाना बनाकर एडमिशन कर लिया।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में बच्चों व अभिभावकों के साथ किस कदर 'खेलÓ होता है। यह इन उदाहरणों से समझा जा सकता है। सिटी के बड़े स्कूलों ने 10वीं का रिजल्ट आने का इंतजार किए बिना बच्चों को 11वीं में उनके पसंद के सब्जेक्ट व स्ट्रीम में एडमिशन दे दिया। जब सीबीएसई बोर्ड के हाईस्कूल का रिजल्ट जारी हुआ तो स्कूल बच्चों को उनके द्वारा लिए गए सब्जेक्ट व स्ट्रीम में कम्पीट न कर पाने की बात कह कर उन पर स्ट्रीम व ग्रुप बदलने का दबाव बना रहे हैं। ऐसे में, स्टूडेंट्स के साथ-साथ अभिभावक भी परेशान हैंकेस 1


वृंदावन स्थित एसकेडी एकेडमी ने अपने सीबीएसई बोर्ड से 10वीं का एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स को बिना रिजल्ट आए 11वीं में पीसीएम में एडमिशन दे दिया। जब जुलाई के दूसरे वीक में बोर्ड का रिजल्ट आया तो स्कूल उसे पीसीएम की जगह पीसीबी लेने का दबाव बना रहा है। बिना रिजल्ट जारी हुए स्कूल ने मार्च में ही 11वीं का सेशन शुरू कर एक क्वार्टर की पूरी फीस जमा करा ली। अब 30 प्रतिशत कोर्स पूरा होने के बाद स्टूडेंट पर ग्रुप बदलने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे कई और मामले स्कूल में चल रहे हैं।केस 2

मनीपाल पब्लिक स्कूल ने सीबीएसई हाईस्कूल का एग्जाम देने वाले अपने लगभग सभी स्टूडेंट्स को मार्च में उनकी पसंद की स्ट्रीम में 11वीं में एडमिशन दे दिया था। पर रिजल्ट जारी होने के बाद स्टूडेंट्स पर स्ट्रीम बदलने का दबाव बनाया जा रहा है। यहां भी स्टूडेंट्स ने फीस जमा करने के साथ ही चार महीने की पढ़ाई पूरी कर ली है।केस 3एलपीएस की विभिन्न शाखाओं में 11वीं की क्लास बिना 10वीं का रिजल्ट जारी हुए ही शुरू करा दी गई थी। मार्च में ही बच्चों को उनकी पसंद के ग्रुप व स्ट्रीम में एडमिशन दे दिया गया था, ताकि बच्चे कहीं और एडमिशन के लिए न चले जाएं। अब अब सीबीएसई ने रिजल्ट जारी कर दिया है तो स्कूल प्रशासन बच्चों को स्ट्रीम बदलने का दबाव बना रहा है।चार महीने की पढ़ाई हो चुकी है

स्कूलों ने सीबीएसई बोर्ड के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के रिजल्ट में हुई देरी का फायदा उठाते हुए बोर्ड एग्जाम के बाद ही 11वीं के प्रोविजनल एडमिशन कर लिए थे। कोरोना के बाद सुधरे हालात को देखते हुए स्कूलों ने बच्चों को पहले ही अपने यहां पर उनकी पसंद के स्ट्रीम में एडमिशन करने के साथ फीस जमा करा ली, ताकि बच्चे रिजल्ट आने के बाद पसंद का स्ट्रीम न मिलने पर स्कूल न छोड़ दें। इस डर से पहले ही एडमिशन लेकर पढ़ाई शुरू करा दी। अब बच्चे बुक्स लेने के साथ ही चार महीने की पढ़ाई के बाद स्ट्रीम बदलने से काफी परेशान हैं। इस मसले पर जब इन स्कूलों से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया।अभिभावक संघ डीआईओएस से करेगा शिकायतअभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष पीके श्रीवास्तव ने बताया कि यह खेल राजधानी के सभी बड़े स्कूलों में हो रहा है। पहले उन्होंने रिजल्ट में हो रही देरी का बहाना बनाकर एडमिशन कर लिया। अब दूसरे स्कूल से आ रहे एडमिशन और बेहतर मार्क्स वाले स्टूडेंट्स को एडमिशन देने के लिए कम मार्क्स वाले स्टूडेंट्स को या तो स्ट्रीम बदलने का दबाव बना रहे या फिर पीसीएम की जगह पीसीबी या कम्प्यूटर लेने को कह रहे हैं। संघ ऐसे अभिभावकों को लेकर डीआईओएस और उच्च अधिकारियों तक इसकी शिकायत करेगा।केवी में रिजल्ट जारी होने के बाद क्लास
वहीं दूसरी ओर, राजधानी के सभी केंद्रीय विद्यालयों ने सीबीएसई के हाईस्कूल रिजल्ट आने के बाद ही अपने यहां 11वीं के एडमिशन की प्रक्रिया शुरू की। केवी संगठन की ओर से बताया गया कि 11वीं की क्लासेस जुलाई के सेकेंड वीक से शुरू हुई हैं। रिजल्ट आने के बाद ही स्टूडेंट्स को उनकी पसंद की स्ट्रीम दी गई। बच्चों को कौन सी स्ट्रीम से पढऩा है, यह वे खुद तय करते हैं।अभी मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं आया है। अगर स्कूलों में ऐसा हुआ है तो मामला प्रकाश में आने के बाद जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।-राकेश पांडेय, डीआईओएसस्कूलों ने पहले सेमेस्टर के रिजल्ट के आधार पर एडमिशन लिया था। बाकि स्कूल अपने हिसाब से एडमिशन करते हैं।-डॉ। जावेद आलम खान, सिटी कोऑर्डिनेटर, सीबीएसई

Posted By: Inextlive